राष्ट्रपति के नाम पर एकता की थाह

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
- ममता की बैठक मंे 22 की जगह सिर्फ 17 दलों के प्रतिनिधि आए।
- भाजपा से टक्कर लेने वाले कोई नेता नहीं हुए शामिल।
- राष्ट्रपति के लिए साझा उम्मीदवार नहीं तय हो पाया।
राजनीति मंे दूरदर्शी संदेश छिपे होते हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति के चुनाव के बहाने विपक्षी दलों की एकता की क्षमता का प्रदर्शन भी किया है। ममता बनर्जी ने 22 विपक्षी दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा था लेकिन दिल्ली मंे सिर्फ
17 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। ममता बनर्जी के निशाने पर मुख्य रूप से भाजपा है जिसने पश्चिम बंगाल में शून्य से मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल कर लिया है। कांग्रेस और वामपंथियों का शून्य होना ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही है, इसलिए वे ऐसे लोगों को विपक्षी एकता के नाम पर जोड़ना चाहती हैं जो भाजपा से टक्कर ले सकते हैं। इनमंे ओडिशा (उड़ीसा) के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएसआर जगन रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं डीएमके नेता एमके स्टालिन का नाम सामने आता है। इन नेताओं ने ममता की बैठक से दूरी बनाए रखी। वामपंथी नेता भी उनके साथ नहीं खड़े हो रहे हैं। इस प्रकार ममता बनर्जी का मुख्य उद्देश्य तो पूरा होता नहीं दिख रहा है। दिल्ली में बैठक के बाद शरद पवार ने सभी पक्षों की राय से राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित करने की बात कही है। इससे लगता है कि प्रयास अभी जारी है। प्रयास यही होना चाहिए कि आप, टीआरएस, डीएमके, बीजेडी और शिरोमणि अकाली दल समेत सभी दमदार विपक्षी नेता एक मंच पर आ जाएं। विपक्षी दल साझा उम्मीदवार न उतार पाएं, इसकी रणनीति भाजपा बना रही है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए दिल्ली में 15 जून को टीएमसी चीफ ममता बनर्जी की अगुआई में विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में विपक्षी नेताओं ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव में एक कॉमन कैंडिडेट उतारने का फैसला किया। वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साफ कर दिया है कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों की ओर से उम्मीदवार के रूप में उनका नाम रखे जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। शरद पवार ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
शरद पवार के इनकार के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए जम्मू- कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नाम का सुझाव दिया। इसकी जानकारी आरएसपी नेता एन के प्रेमचंद्रन ने दी।एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी पक्षों से बातचीत की जाएगी। वहीं, ममता बनर्जी ने कहा कि इस वक्त विपक्ष को साथ आने की जरूरत है। विपक्षी नेताओं की बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरजेडी समेत 16 दलों के नेता शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच सहमति बनाने का जिम्मा दिया हुआ है।
राष्ट्रपति चुनाव का शंखनाद होने के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गैर-भाजपा शासित राज्यों के विपक्षी नेताओं और उनके समकक्षों से संपर्क साधा है। दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में ममता बनर्जी ने 17 विपक्षी दलों को एक मंच पर बैठाया। टीएमसी सुप्रीमो ने कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल, केरल के सीएम और वाम नेता पिनराई विजयन, ओडिशा के सीएम और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित 22 नेताओं को पत्र लिखा था। बनर्जी ने तेलंगाना में अपने समकक्ष के. चंद्रशेखर राव (तेलंगाना राष्ट्र समिति), तमिलनाडु में एमके स्टालिन (डीएमके), झारखंड में हेमंत सोरेन और पंजाब में भगवंत मान से भी संपर्क किया। माना जा रहा है कि 2021 में संपन्न बंगाल विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद से एक प्रमुख राष्ट्रीय भूमिका निभाने की मांग कर रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ एक सर्वसम्मति से विपक्षी उम्मीदवार खड़ा किया जा सके। भारत के अगले राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक दल राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के मामले में अपने सांसदों और विधायकों को कोई व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 जून होगी। इसके अलावा नामांकन पत्रों की जांच 30 जून को होगी और नामांकन पत्र वापस लेने का अंतिम दिन 2 जुलाई होगा। यदि आवश्यक हुआ तो मतदान 18 जुलाई को होगा और मतगणना 21 जुलाई को होगी।
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी द्वारा आहुत संयुक्त बैठक से पहले ही विपक्षी एकता को झटका लगता दिख रहा था। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिल्ली में बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई। आम आदमी पार्टी के सूत्रों की मानें तो विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही पार्टी इस मुद्दे पर विचार करेगी। सूत्रों ने यह भी बताया था कि आम आदमी पार्टी के अलावा टीआरएस यानी तेलंगाना राष्ट्र समिति भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिल्ली में बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में भाग नहीं लेगी। अनुमान सच निकला और टीआरएस ने बैठक में भाग नहीं लिया।
दरअसल राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दल एक ऐसा चेहरा तलाशने में लगे हैं, जिस पर सभी विपक्षी दल सहमत हों। एनसीपी नेता शरद पवार इसके लिए सबसे मुफीद माने जा रहे थे, लेकिन वह संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनने के इच्छुक नहीं हैं। पवार के इनकार के बाद विपक्ष अब दूसरे नेताओं के नामों पर भी विचार कर रहा है। कुछ नेताओं ने संभावित विकल्प के तौर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी और फारुक अब्दुल्ला का नाम लिया।
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार थे। हालांकि वह एम. वेंकैया नायडू से चुनाव हार गए थे। सूत्रों के मुताबिक, महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी शुरुआती प्रतिक्रिया ‘‘सकारात्मक’’ रही है, हालांकि उन्होंने समय मांगा है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का नामों पर भी विचार किया गया। शरद पवार ने कहा, सभी पक्षों से बात की जाएगी। (हिफी)