लेखक की कलम

सैन्य व्यवस्था पर व्यर्थ सियासत

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

अग्निपथ पर सेना के तीनों अंगों का साझा बयान महत्वपूर्ण रहा। इसके माध्यम से भ्रांतियों के निवारण का प्रयास किया गया। यह योजना देश के रक्षा हित को ध्यान में रखकर बनाई गई है। चार वर्ष के बाद प्रशिक्षित युवाओं के लिए विभिन्न सुरक्षा बलों में वरीयता हेतु व्यवस्था की गई। शेष युवाओं के लिए भी अवसर कम नहीं होंगे। उनकी उच्च कोटि की ट्रेनिंग, चार वर्ष का अनुभव भी योग्यताओं में शुमार होगा। ग्यारह लाख रुपये की धनराशि भी उनकी अगली योजना में सहायक होगी। अग्निपथ में शामिल होना बाध्यकारी नहीं है। किसी अभ्यर्थी को लगता है कि वह सरकारी सेवा में अवश्य चयनित हो जाएगा, तो उसे अपना प्रयास जारी रखना चाहिए। लेकिन स्वार्थ के लिए देश की सम्पत्ति को आग के हवाले करने वालों की पहचान जरूरी है। इस मानसिकता के लोग देश और समाज की भलाई नहीं कर सकते। विपक्षी पार्टियों में सीएए दौर की ऊर्जा लौट आई है। उसमें भी खूब हंगामा किया गया था। शाहीन बाग से लेकर घन्टाघर तक मुस्लिम महिलाओं को आगे करके धरना प्रदर्शन चल रहा था। विपक्ष के दिग्गजों के लिए ये सियासत के स्थल बन गए थे। वहाँ तक पहुँचने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी। सीएए नागरिकता देने का कानून था, जबकि उपद्रव इस बात पर हो रहा था कि इस कानून से वर्ग विशेष की नागरिकता छिन जाएगी।
एक बार फिर विपक्ष उसी अंदाज में सक्रिय है। अग्निपथ पर लगी आग को जमकर हवा दी जा रही है। ऐसा लग रहा है जैसे इनकी सरकार होती तो सभी बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरियों से नवाज दिया जाता यह भी बताया जा रहा है कि चार वर्ष के बाद युवाओं के लिए सारे रास्ते बंद हो जायेंगे। वह रिटायर हो जाएंगे, उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी। यहां तक कि इनका सेना के अधिकृत स्पष्टीकरण पर भी विश्वास नहीं है। वैसे ये वही लोग है जो पाकिस्तान के विरुद्ध हुई सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण मांग रहे थे। एक बार फिर गैर जिम्मेदाराना आचरण किया जा रहा है। सेना से सम्बन्धित विषय पर सियासत की एक सीमा अवश्य होनी चाहिए। भारत को चीन की चुनौती से निपटने के लिए अनेक मोर्चों पर तेज प्रयास करने पड़ रहे हैं। यूपीए के दस वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में बहुत लापरवाही की गई। चीन भारतीय सीमा पर ढांचा गत सुविधाओं का विस्तार करता रहा। मनमोहन सिंह सरकार हाथ पर हाथ धरे रही।
उसे लगता था कि भारत सीमा पर निर्माण करेगा तो चीन नाराज हो जाएगा। इसी प्रकार रक्षा तैयारियां आगे नहीं बढ़ाई र्गइं। वही लोग आज अग्निपथ पर सवाल उठा रहे हैं। युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। आप नेता संजय सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को सुरक्षा गार्ड ट्रेनिंग सेंटर बना दिया है। यह शर्मनाक बयान है। एक बार फिर अपनी ही सेना की क्षमता पर प्रश्न उठाया गया है। भारतीय सेना की ट्रेनिंग शानदार होती है। इसको गार्ड ट्रेनिंग बताना दुनिया में भारतीय सेना की छवि को धूमिल करने का आपत्तिजनक प्रयास है।
सोनिया गांधी ईडी जांच का सामना कर रही है। उन्होंने अस्पताल से पत्र लिखा कि सरकार ने युवाओं की आवाज को दरकिनार करते हुए नई आर्मी भर्ती योजना की घोषणा की है, जो कि पूरी तरह से दिशाहीन है। कांग्रेस युवाओं के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। पार्टी इस योजना को वापस करवाने के लिए संघर्ष करने व युवाओं के हितों की रक्षा करने का वादा करती है। वैसे अभी इस बात का खुलासा होना है कि ट्रेनों में आग लगाने वाले अराजक व असामाजिक तत्व कौन हैं और कांग्रेस ने किसके साथ खड़े होने का वादा किया है। दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐलान किया कि अग्निपथ योजना किसी भी रूप में वापस नहीं होगी। तीनों सेनाओं की ओर से साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अग्निवीरों की भर्ती योजना के बारे में आन्दोलनकारियों को विस्तार से समझाने की कोशिश की गई। भारतीय सेना को इस समय युवाओं की जरूरत है। यह सुधार लंबे समय से लंबित था। आज बड़ी संख्या में जवान अपने जीवन के तीसरे दशक में हैं, इसलिए सेना में औसत आयु छब्बीस साल करने के लिए यह योजना लाई गई है। यह सुधार तीन दशक से लंबित था। वर्तमान सरकार ने यह सुधार लागू किया लेकिन वर्तमान विपक्ष प्रत्येक मुद्दे पर हंगामे को तत्पर रहता है। यह ठीक है कि सेना अपने अनुशासन को कायम रखने के लिए कटिबद्ध है। उसकी तरफ से कहा गया कि अग्निपथ के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी एक प्रमाण पत्र देगा कि वे विरोध या बर्बरता का हिस्सा नहीं था। इस योजना के तहत सेना में मौजूदा सैनिकों के अनुभव के साथ युवावस्था को सहभागी बनाने का प्रयास किया जाएगा। आज सेना में जवानों की औसत आयु लगभग बत्तीस वर्ष है। कुछ वर्षों में यह और छब्बीस वर्ष हो जाएगी। देश के युवाओं की क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए उन्हें भविष्य का सैनिक बनाने की आवश्यकता है। इस साल चालीस हजार से शुरू होने वाली भर्ती से निकट भविष्य में सेनाओं में अग्निवीरों की संख्या सवा लाख हो जाएगी। सेना में अनुशासनहीनता की कोई जगह नहीं है। इसलिए अग्निवीरों को भी कुशल प्रशिक्षण के साथ-साथ मानसिक, शारीरिक और अनुशासन में रहने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। देश की सेवा में अपना जीवन कुर्बान करने वाले अग्निवीर को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आवश्यक पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले अग्निवीरों के लिए रक्षा मंत्रालय में नौकरी की रिक्तियों के दस प्रतिशत पदों को आरक्षित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह दस प्रतिशत आरक्षण भारतीय तटरक्षक बल,रक्षा असैन्य पदों और सभी सोलह रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में लागू किया जाएगा। अग्निपथ योजना सैनिकों के लिए भर्ती प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। योजना के तहत भर्ती होने वाले कर्मियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अग्निवीर योजना को लेकर भ्रांतियां पैदा की जा रही हैं। इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार का निर्णय महत्त्वपूर्ण है। पत्थरबाजी तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल अधिकतर युवा नकाब लगाकर सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुंचा रहे हैं। इस पूरे मामले की जांच में जुटीं एजेंसियों के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं। जिसका जल्द ही खुलासा होगा। जांच एजेंसियां अग्निपथ योजना के गुनहगारों के चेहरे जल्द बेनकाब करेंगी। (हिफी)

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