लेखक की कलम

यूपी में स्वास्थ्य सेवा: कमी कहां पर है?

यूपी स्वास्थ्य सेवा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

बाराबंकी के जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। आम आदमी की तरह अस्पताल पहुंचने पर पर्चा बनवाया, ओपीडी, अल्ट्रासाउण्ड कक्ष समेत कई स्थानों का निरीक्षण किया। हर जगह उन्हें अव्यवस्था मिली। इस पर सीएमएस को फटकार लगाते हुए तत्काल सुधार करने के निर्देश दिए। इससे पहले लखनऊ के केजीएमयू का भी डिप्टी सीएम ने निरीक्षण किया था। उसके बाद मानसिक क्लीनिक पहुंचे यहां पर उखड़ा प्लास्टर और खुले में पड़ी दवाएं देख भड़क उठे। सिरिंज भी खुले में पड़ी थी। ब्रजेश पाठक बोले अभी स्टॉक चेक करेंगे तो यही दवाएं कम होंगी फिर कार्रवाई करनी पड़ेगी। दवाओं को अच्छे से रखें। वहीं पर एक मशीन पन्नी में पैक मिली। बोले मशीन आई थी तब से इसे चलाकर नहीं देखा।

सरकारी अस्पतालों में भीड़। शिकायतों की भरमार। स्ट्रेचर न मिलने पर मरीज को पीठ पर लादकर ले जाते तीमारदार। इस प्रकार के दृश्य उत्तर प्रदेश में भी दिखते हैं। यहां के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था भी संभाल रहे हैं। वे अपनी तरफ से भरपूर प्रयास कर रहे हैं कि आम जनता को भी बेहतर इलाज मिले। उन्होंने गत दिनों स्वास्थ्य विभाग के मुख्य भवन स्थित कार्यालय कक्ष में मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन एवं चिकित्सा विभाग की जनपदों में दवाओं की आपूर्ति एवं उपलब्धता की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिये कि दवाइयां मरीजों तक पहुंचें, इसके लिए समय से अस्पतालों में आपूर्ति अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करायी जाए। उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर समस्त चिकित्सालयों का निरीक्षण किया जाए। मंत्री ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिए कि आवश्यक दवाइयों की सूची के अनुसार अनुपलब्ध दवाइयों की उपलब्धता के लिए दवा निर्माता कंपनियों एवं सक्षम अधिकारियों के साथ बैठक करते हुये निविदा आदि की कार्यवाही यथाशीघ्र पूर्ण की जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि समस्त जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) पर दवाइयों की उपलब्धता प्रदर्शित की जाये। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाये कि मरीजों को किसी भी स्तर पर बाहर की दवाइयां न लिखी जाएं। इसके बावजूद डिप्टी सीएम को करोड़ों की एक्सपायर डेट की दवाएं मिलती हैं जिनको न तो मरीजों को दिया गया और न दवा कम्पनियों को वापस किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की इस तरह की लापरवाही सरकार के नेक प्रयासों पर भी पानी फेर
देती हैं। इसलिए स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेदार अकर्मण्य लोगों पर उसी प्रकार कार्रवाई की जाए जैसी रेल मंत्रालय ने की है।
उत्तर प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुये कहा है कि प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर पीने के पानी, स्ट्रेचर एवं व्हील चेयर आदि की यथोचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। अस्पताल में उपलब्ध मशीनों को संचालित अवस्था में रखा जाये। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदेश की योगी आदित्य नाथ सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए खजाना खोल दिया है। सरकार से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में मेडिकल कोर्स के लिए सीटों की संख्या को दोगुनी करने के अलावा राज्य में 6,000 से अधिक डॉक्टरों और 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश में अत्याधुनिक लाइफ सपोर्ट सुविधाओं से लैस एंबुलेंस की संख्या को भी दोगुना किया जाएगा। उत्तर प्रदेश हेल्थ व सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स और दवाओं जैसी चिकित्सा सुविधाओं के उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बनेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार राज्य में छह धन्वंतरि मेगा हेल्थ पार्क स्थापित करेगी। इस मद में प्रदेश सरकार ने 30,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनायी है। इसके साथ ही महर्षि सुश्रुत हेल्थ मिशन के तहत राज्य में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से हर स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली के लिए स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार भी किया जाएगा। हर जिले में डायलिसिस सेंटर खुलेंगे। जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा जिससे आम जनता को सस्ती दवायें मिल सकें। आवश्यक दवाओं की उपलब्धता पर भी काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मंत्रियों को प्रदेश भ्रमण करने इसी मकसद से भेजा था कि इससे जनता की समस्याओं का पता चल सकेगा। ब्रजेश पाठक तो यह काम बहुत पहले से कर रहे हैं। वह सामान्य मरीज बनकर अस्पताल में पहुंचते हैं। लाइन में लगकर पर्चा बनवाते हैं और फर्श पर बैठकर मरीजों से बतियाने लगते हैं।
मरीजों को अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर वाहन उपलब्ध न होने की भी शिकायत रहती है। उपमुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से उनके अधीन चिकित्सालयों में उपलब्ध क्रियाशील एवं निष्क्रिय वाहनों की अद्यतन स्थिति प्राप्त की जाये। साथ ही संचालन योग्य वाहनों को क्रियाशील रखा जाये। उन्होंने कहा कि समस्त चिकित्सालयों को राज्य स्तरीय कंट्रोल सेन्टर से जोड़ते हुये उनकी निरन्तर मानीटरिंग की व्यवस्था की जाये। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद, मिशन निदेशक एन.एच.एम. अपर्णा यू. एवं प्रबन्ध निदेशक उ0प्र0 मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन डा0 मुत्थूकुमार सामी बी. एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इन अधिकारियों को ही इस पर अमल करना है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक चिकित्सा सुविधाओं का स्वयं भी निरीक्षण करते हैं। इसी क्रम में बाराबंकी के जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। आम आदमी की तरह अस्पताल पहुंचने पर पर्चा बनवाया, ओपीडी, अल्ट्रासाउण्ड कक्ष समेत कई स्थानों का निरीक्षण किया। हर जगह उन्हें अव्यवस्था मिली। इस पर सीएमएस को फटकार लगाते हुए तत्काल सुधार करने के निर्देश दिए। इससे पहले लखनऊ के केजीएमयू का भी डिप्टी सीएम ने निरीक्षण किया था। उसके बाद मानसिक क्लीनिक पहुंचे यहां पर उखड़ा प्लास्टर और खुले में पड़ी दवाएं देख भड़क उठे। सिरिंज भी खुले में पड़ी थी। ब्रजेश पाठक बोले अभी स्टॉक चेक करेंगे तो यही दवाएं कम होंगी फिर कार्रवाई करनी पड़ेगी। दवाओं को अच्छे से रखें। वहीं पर एक मशीन पन्नी में पैक मिली। बोले मशीन आई थी तब से इसे चलाकर नहीं देखा। फिर इमरजेंसी वार्ड पहुंचे और मरीजों से
हाल चाल लिया।वार्डों में गंदगी और लावारिस मरीजों की देखभाल बेहतर न होने पर नाराजगी जताई। निरीक्षण के दौरान गायब मिले रेडियोलॉजिस्ट से स्पष्टीकरण लेने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य मंत्री का पारा उस समय चढ़ गया जब वह मानसिक क्लीनिक का निरीक्षण कर रहे थे और उन्हें गत्तों पर दवाएं खुली पड़ी मिलीं। सिरींज बिखरी मिलीं। बोले कि यह सरकारी पैसा खर्च होने पर आता हैं और यहां इनकी कोई कदर नहीं है। इतने में उनकी नजर एक बंद मशीन पर पड़ी। बोले कि यह कौन सी मशीन है और कब आई थी। इस सवाल पर मानसिक रोग चिकित्सक डॉ. राहुल सिंह बगले झांकते नजर आए।
ऐसे ही कुछ कारण हैं जिससे सरकार के प्रयास फलीभूत नहीं हो पाते हैं। (हिफी)

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