लेखक की कलम

कौन लाएगा प्रतिपक्ष की शुचिता!

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

संसद और विधानसभाओं मंे सत्तारूढ़ दल हमेशा यह कहता है कि सदन की मर्यादा बनाए रखने के लिए विपक्ष को सदन में नारेबाजी नहीं करनी चाहिए। हालांकि विपक्ष मंे रहकर उनकी पार्टी भी वही आचरण करती है। गंभीर प्रश्न है कि सदन में प्रतिपक्ष की शुचिता को कौन पुनप्र्रतिष्ठित करेगा? अभी
23 मई को उत्तर प्रदेश विधानसभा मंे बजट सत्र शुरू हुआ। भाजपा अपने दो सहयोगी दलों के साथ यहां दूसरी बार लगातार सत्तारूढ़ हुई है जबकि मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) है। उसके साथ भी ओमप्रकाश राजभर की सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और जयंत चैधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल है। सत्र की शुरुआत में विपक्षी दलों का हंगामा अखिलेश यादव को भी सीख दे गया होगा। उनके सहयोगी दल सुभासपा के विधायक चुपचाप बैठे रहे। ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि राज्यपाल महोदया महिला हैं (श्रीमती आनंदी बेन पटेल) और दूसरी बात यह कि राज्यपाल के अभिभाषण पर विरोध की परम्परा बदलनी चाहिए। उन्हांेने कहा कि हमारी पार्टी विरोध नहीं करती। उधर, सपा के ही दो वरिष्ठ विधायक मो. आजम खान और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव भी विरोध प्रदर्शन मंे साथ नहीं थे। अखिलेश यादव की भद तो उस समय और पिट गयी जब सपाई कर्नाटक की जल्ली कट्टू मंे सांड़ की फोटो का पोस्टर विधान भवन मंे लहरा रहे थे। प्रतिपक्ष को वैसे भी हर जगह विरोध की जरूरत नहीं है। राज्यपाल अथवा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्षी दलों को शोर, विरोध की परम्परा खत्म करनी होगी।
उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र 23 मई को विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच शुरू हुआ। वहीं, शोरगुल के बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सदन में अपना अभिभाषण पढ़ा। हालांकि राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होने से पहले ही समाजवादी पार्टी के विधायक बैनर और पोस्टर लेकर सदन के बीचों-बीच आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान सपा सदस्यों ने ‘गवर्नर गो बैक’ के नारे लगाए। इस बीच सपा के सदस्य का पोस्टर चर्चा का कारण बन गया है। यही नहीं, भाजपा ने भी इस पर चुटकी ली है। हुआ यह कि यूपी भाजपा के उपाध्यक्ष और एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने एक फोटो ट्वीट करते समाजवादी पार्टी पर तंज करते हुए लिखा, ‘जब एसी कमरों में बैठकर राजनीति करनी हो और मुद्दों का पता न हो तो यही हाल होता है। अब बुलफाइट की तस्वीर दिखाकर सपाई योगी सरकार से कार्रवाई की मांग कर हैं।’ दरअसल सपा विधायकों ने सांड के हमलों में घायल तस्वीरों को विधानसभा में विरोध करते हुए दिखाया था।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक घंटे तक पढ़े गए अभिभाषण में राज्य सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का जिक्र किया। इस दौरान सपा, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य सदन में राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध कर रहे थे, लेकिन सपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सदस्यों ने इसका विरोध नहीं किया। इस बारे में पूछे जाने पर सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि पहली बात तो यह है कि राज्यपाल महोदया महिला हैं। दूसरी बात यह है कि जो पुरानी परंपरा है, सब बदल रही है तो राज्यपाल के विरोध की यह पुरानी परंपरा भी बदलनी चाहिए। हमारी पार्टी विरोध जरूरी नहीं समझती, इसलिए विरोध नहीं किया।
सपा द्वारा विरोध का औचित्य पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सबकी पार्टी के हम मालिक तो हैं नहीं, हम तो अपनी पार्टी के मालिक हैं। उत्तर प्रदेश में सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली सुभासपा के नेता से जब सवाल किया गया कि कहीं आप दोनों के रास्ते जुदा तो नहीं हो रहे हैं तो उन्होंने दावा किया कि इसका सवाल ही नहीं पैदा होता है। रामपुर के विधायक आजम खान की सीट सदन में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल में निर्धारित की गई है। वह दसवीं बार विधानसभा सदस्य चुने गए हैं। आजम ने आज विधायक पद की शपथ तो ली, लेकिन सत्र में शामिल नहीं हुए। इस दौरान उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम जरूर सदन में आए, लेकिन उन्होंने सपा के अन्य सदस्यों की तरह विरोध नहीं किया। वह पिछली कतार में अपनी सीट पर बैठे रहे। वहीं, सपा के चिह्न पर चुनाव जीतने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी अखिलेश से कुछ दूर निर्धारित अपनी सीट पर बैठे रहे, लेकिन उन्होंने भी राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध नहीं किया। इसके अलावा सपा के वरिष्ठ सदस्य ओमप्रकाश सिंह भी अपनी सीट पर ही बैठे देखे गए। जबकि पार्टी के लगभग सभी सदस्य अपनी सीट छोड़कर लगातार नारेबाजी करते रहे। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्य हाथों में तख्तियां और बैनर थामे हुए थे, जिन पर पुरानी पेंशन की बहाली, कानून-व्यवस्था व छुट्टा पशुओं की समस्या समेत विभिन्न मुद्दों का जिक्र था। सपा सदस्य ‘कानून-व्यवस्था
ध्वस्त है, योगी सरकार मस्त है’, ‘जब से भाजपा आई है, महंगाई लाई है’ जैसे नारे लगाते हुए लगातार अभिभाषण का विरोध कर रहे थे। उधर, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भी भगवा टोपी लगाकर आए थे
और अभिभाषण के समर्थन में मेजें थपथपाने से लेकर तालियां बजा रहे थे। यह राज्य विधानमंडल का बजट सत्र भी है।
उल्लेखनीय है कि 1985 में कांग्रेस पार्टी की लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। उसके बाद किसी भी दल को लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर नहीं मिला था, लेकिन योगी सरकार ने ये कर दिखाया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विधानमंडल के संयुक्त सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान समाजवादी पार्टी के सदस्यों द्वारा विरोध किये जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है। इसके साथ उन्होंने कहा कि सपा का विरोध का तरीका अशोभनीय है। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा सदस्यों ने न तो राज्यपाल का सम्मान किया और न ही महिला का सम्मान किया। मौर्य ने कहा कि सरकार सदन में हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है। यही बात ओम प्रकाश राजभर ने भी कही थी।
प्रदेश के जल शक्ति मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सपा के विरोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण के समय सपा सदस्यों द्वारा नारा लगाना ठीक नहीं है। उन्होंने तंज किया कि पिछली बार सपा सदस्यों के नारे में जो जोश था, वह जोश इस बार नहीं दिखा। सिंह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार गरीबों का कल्याण कर रही है। इस प्रकार मुख्य विपक्षी दल खुद ही उपहास का पात्र बन गया। (हिफी)

 

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