लेखक की कलम

महाराष्ट्र में भी याद किये जा रहे योगी

कैलाश मंदिर जिसे औरंगजेब भी नष्ट नहीं करवा पाया

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

भारत में एक बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड रहा है। इस बदलाव पर सियासत भी हो रही है। हालांकि इस देश का भूगोल बदलना अब संभव नहीं है लेकिन हिन्दू समाज करवट ले रहा है। लोग उस इतिहास पर नये सिरे से सोचने लगे हैं जिसमें बाहर से आये मुट्ठी भर आततायियों ने हमें आपस में लडाकर हमको अपना गुलाम बनाया और हमारे आत्मगौरव के प्रतीकों को भी नष्ट कर दिया अथवा इसका प्रयास किया। हमारे एक मित्र डॉ अनिल सिंह महाराष्ट्र घूमने गये । वहां उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब की समाधि देखी। कैलाश मंदिर जिसे औरंगजेब भी नष्ट नहीं करवा पाया जबकि तीन साल तक उसके सैनिक तोड़फोड करते रहे। औरंगजेब की वहीँ मौत भी हो गयी थी। उसकी समाधि आज भी वहां मौजूद है। इस समाधि को देखकर अब वहाँ के लोगों को अपमान महसूस होता है।. डॉ अनिल सिंह ने बताया कि वहां के लोग कहते हैं कोई योगी जैसा सीएम ही इस अपमान को भी नेस्तनाबूद कर सकता है।
इतिहास बताता है कि सन 1682 में औरंगजेब ने एल्लोरा गुफाओ में स्थित कैलाश मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया और 1000 लोगों को इस काम में लगाया जिन्होने तीन साल तक लगातार प्रयास किये परन्तु वे इस मंदिर का नुकसान नहीं कर पाये। वह केवल कुछ मूर्तियां ही तोड़ पाए थे। सन् 1669 ईसवीं की बात है। कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब ने समस्त वैष्णव मन्दिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। मथुरा के श्रीनाथ जी मंदिर के पुजारी श्री कृष्ण की मूर्ति लेकर राजस्थान की ओर निकल गए ताकि कम से कम कान्हा की सलोनी अष्टधातु की मूर्ति पर मलेच्छ का पाँव न पड़े। जयपुर व जोधपुर के राजाओं ने औरंगजेब से बैर लेना उचित नहीं समझा। पुजारी मेवाड़ की पुण्यभूमि पर महाराणा राजसिंह के पास गए। एक क्षण के विलम्ब के बिना राज सिंह ने यह कहा जब तक मेरे एक लाख राजपूतों का सर नहीं कट जाए, आलमगीर भगवान की मूर्ति को हाथ नहीं लगा सकता। आपको मेवाड़ में जो स्थान जंचे चुन लीजिए, मैं स्वयं आकर मूर्ति स्थापित करूँगा। मेवाड़ के ग्राम सिहाड़ में श्रीनाथ जी की प्रतिष्ठा धूमधाम से हुई, जिसमें स्वयं राज सिंह पधारे। आज जो प्रसिद्ध नाथद्वारा तीर्थस्थल है, वह सिहाड़ ग्राम ही है।
औरंगजेब ने राज सिंह जी को पत्र लिखा कि श्रीनाथ जी की मूर्ति को शरण दी तो युद्ध होगा। राज सिंह जी ने कोई उत्तर न दिया। चुपचाप मारवाड़ के वीर दुर्गादास राठौड़ के नेतृत्व में राठौडों व मेवाड़ के हिन्दुओं की सामूहिक सेना का गठन करने लगे। इसके बाद 1679-80 ईसवीं अर्थात दो वर्षों तक मुगलों और मेवाड़ के बीच संघर्ष चला। दो बार राज सिंह जी ने औरंगजेब को गिरफ्तार करके दया करके छोड़ दिया। अंततः 1680 में पूर्ण रूप से पराजित औरंगजेब अपना काला मुँह लेकर सर्वथा के लिए राजस्थान से चला गया। नाथद्वारा हममें से बहुत लोग गए होंगे लेकिन बहुत लोग नहीं जानते कि यह विग्रह अर्थात मूर्ति मूूल रूप से मथुरा के श्रीनाथ मंदिर की हैं।
इतिहास में यह क्यों नहीं पढाया जाता कि किसके कारण पुजारियों को पलायन करना पड़ा? किसने अपना सर्वस्व दाँव पर लगाकर श्रीनाथ जी की रक्षा की? किसी ने राज सिंह जी का नाम भी सुना है ? हमें क्यूँ नहीं पता कि पचास सहस्त्र (हजार) मेवाड़ व मारवाड़ के हिन्दुओं ने शीश का बलिदान देकर मुगलों से श्रीनाथ जी की रक्षा की थी? यह सब बच्चों को पढाया जाना चाहिए।
औरंगजेब की मजार औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर दूर खुल्ताबाद में है उसकी दिली तमन्ना थी कि उसे अपने गुरु के बगल में दफनाया जाये।इसलिए अहमदनगर में 23 मार्च 1707 को मौत होने के बाद उसे यहाँ लाकर दफनाया गया। औरंगजेब की कब्र कच्ची है। कब्र के पास मौजूद सेवादार बताते हैं कि उसकी इच्छा थी कि कब्र को भव्य रूप नहीं दिया जाये।
औरंगजेब आलमगीर का जन्म 4 नवम्बर 1618 को गुजरात के दाहोद में हुआ था। वह शाहजहाँ और मुमताज की छठी सन्तान और तीसरा बेटा था। उसका शासन 1658 से लेकर 1707 तक रहा। इस प्रकार उसने 50 साल यानी मुगल शासकों में सबसे ज्यादा साल तक शासन किया। उसकी पहचान हिन्दुस्तान के इतिहास के सबसे जालिम राजा के तौर पर है, जिसने अपने पिता को कैद किया, अपने सगे भाइयों और भतीजों की बेरहमी से हत्या की। गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया। गुरु गोबिंद सिंह के बच्चों को जिंदा दीवार में चुनवाया।
औरंगजेब के अन्तिम समय में दक्षिण में मराठों का वर्चस्व बहुत बढ़ गया था। उन्हें दबाने में शाही सेना को सफलता नहीं मिल रही थी। इसलिए सन् 1683 में औरंगजेब खुद सेना लेकर दक्षिण की ओर गया। वह राजधानी से दूर रहता हुआ, अपने शासन.काल के लगभग अन्तिम 25 वर्ष तक इसी अभियान में व्यस्त रहा। उसकी मृत्यु महाराष्ट्र के अहमदनगर में 23 मार्च सन 1707 ई. में हो गई। खुल्ताबाद में औरंगजेब की मजार मजार के बगल में फकीर बुरहानुद्दीन (शेख जैनुउद्दीन शिराजी-हक) की कब्र है इसलिए उनकी कब्र पर फूल चढ़ाने वाले और दुआएँ माँगने वाले पहुँचते हैं। वह अकबर के गुरु सलीम चिश्ती के परिवार से आते थे। हजरत ख्वाजा बुरहानुद्दीन फकीर शेख बुरहानुद्दीन के नाम पर मध्य प्रदेश का बुरहानपुर शहर भी बसा है।
इन मजारों और शहरों को देख कर ही अत्याचारों की याद आ जाती है। इसीलिए महाराष्ट्र में लोग योगी आदित्य नाथ को याद कर रहे हैं । योगी ने फरवरी 2015 में कहा था अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे। आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे। पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे। मक्का में गैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वैटिकन में गैर ईसाई नहीं जा सकता है। हमारे यहां हर कोई आ सकता है। इसी तरह सांसद के रूप में योगी आदित्य नाथ ने अगस्त 2014 में कहा था कि अगर वे एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करवाते हैं तो हम 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाएंगे। इसका वीडियो वायरल हुआ था । बाद में योगी ने वीडियो के बारे में कहा कि मैं इस मुद्दे पर कोई सफाई नहीं देना चाहता। योगी आदित्य नाथ ने यूपी में मुख्यमंत्री बनने के बाद इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है। भारतीय संस्कृति जहाँ-जहाँ से मिटाने का कुत्सित प्रयास हुआ वहाँ योगी का बुलडोजर पहुंच सकता है। दौलताबाद के निवासी अब एक ऐसी मजार का बोझ बर्दाश्त नहीं कर पा रहे जिसमें आराम फरमा रहे एक क्रूर शासक ने वैष्णव मंदिर गिरवा दिये। (हिफी)

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