ट्रम्प की दूसरी ताजपोशी और भारत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रम्प ने दूसरी बार इस दायित्व को संभाला है। इस बार ट्रम्प का रुख स्पष्ट नहीं है। भारत के संदर्भ मंे देखें तो ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह मंे विदेश मंत्री जयशंकर को अगली पंक्ति में बैठाकर यही संकेत दिया गया कि ट्रम्प की नजर मंे भारत का बहुत महत्व है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वह अभिन्न मित्र हैं। ट्रम्प को बधाई देते हुए मोदी ने कहा है- प्रिय मित्र राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रम्प, बधाई, मैं दोनों देशों को लाभ पहुंचाने और दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए फिर साथ काम करने को उत्सुक हूं। आगामी कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं। दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ताबड़तोड़ फैसले लिये हैं। इन्हीं फैसलों मंे ब्रिक्स देशों पर सौ फीसदी टैरिफ लगाना शामिल है। ब्रिक्स देशेां मंे ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इंडोनेशिया, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इस दायरे मंे स्पेन भी शामिल है जो ब्रिक्स का सदस्य नहीं है। ध्यान रहे भारत और अमेरिका के बीच बड़ी मात्रा मंे कारोबार होता है। दोनों देशों के बीच 2023-24 मंे 118 अरब डालर से ज्यादा का कारोबार हुआ। अब यह कारोबार बढ़े हुए टैरिफ के चलते प्रभावित हो सकता है। इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के रुख को देखकर ही भारत को कदम बढ़ाने होंगे। अमेरिका दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है। भारत की रूस से नजदीकी अमेरिका को पसंद नहीं है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। चार साल बाद दूसरी बार सत्ता में उनकी वापसी हुई। अमेरिका में बहुत अधिक ठंड की वजह से शपथ ग्रहण समारोह कैपिटल रोटुंडा (संसद भवन के केंद्रीय कक्ष) में आयोजित किया गया। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर शपथ ग्रहण समारोह के मेहमान थे। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विशेष दूत के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। जब उनकी अमेरिका से तस्वीर सामने आई, तो बहुत से लोगों को हैरानी हुई। तस्वीर देख लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा था। दरअसल, वह तस्वीर कोई आम तस्वीर नहीं। यह बदलते भारत की तस्वीर है। यह नए इंडिया की तस्वीर है। डोनाल्ड ट्रंप सामने पोडियम पर शपथ ले रहे थे। उनके ठीक सामने पीएम मोदी के हनुमान यानी जयशंकर बैठे थे। कैपिटल रोटुंडा में हुए डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में विदेश मंत्री जयशंकर सबसे आगे की पंक्ति में बैठे थे। जयशंकर ने ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरों को अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया। अमेरिका के लिए भारत कितना अहम है, यह इन तस्वीरों से समझा जा सकता है। शपथ ग्रहण समारोह में भारत के विदेश मंत्री को पहली पंक्ति में ट्रंप के ठीक सामने बिठाना। फिर ट्रंप का मंच से जयशंकर की ओर देखकर सीधे मुखातिब होना। यह दिखाता है कि अब अमेरिका ही नहीं, दुनिया का नजरिया भारत के प्रति बदला है। अब दुनियाभर में भारत की धमक बढ़ी है।
अब ट्रम्प की दूसरी तस्वीर देखें राष्ट्रपति पद की कुर्सी पर बैठते ही डोनाल्ड ट्रंप का एक्शन शुरू हो गया है। उन्होंने पूरी दुनिया को झलक दिखा दी है कि आने वाला समय अमेरिका के लिए कैसा होगा। अमेरिका का किसके प्रति क्या रुख-रवैया रहेगा। कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ का ऐलान कर दिया। ट्रंप ने कहा कि 1 फरवरी से कनाडा और मैक्सिको पर अमेरिका 25 फीसदी टैरिफ लगाएगा। इससे एक कदम आगे बढ़कर अब उन्होंने एक ऐसी बात कही है, जिससे 11 देशों में खलबली मच गई है। इसमें भारत और चीन भी शामिल हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को खुलेआम धमकी दे दी है। ट्रंप ने कहा कि स्पेन समेत ब्रिक्स देशों पर 100 फीसद टैरिफ लगाया जा सकता है। ब्रिक्स में दस देश शामिल हैं। ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात। स्पेन ब्रिक्स का हिस्सा नहीं है। बावजूद वह भी ट्रंप के रडार में है। हालांकि, दिसंबर में ही डोनाल्ड ट्रंप ने इसका इशारा कर दिया था कि वह ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। हालांकि, उन्होंने इसके लिए एक शर्त रखी थी।
भारत और अमेरिका के बीच कारोबार काफी अधिक होता है। आंकड़ों की मानें तो अभी भारत और अमेरिका के बीच सबसे अधिक व्यापार हो रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार 2023-24 में 118.3 अरब डॉलर रहा। वहीं साल 2021-22 और 2022-23 के दौरान भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार अमेरिका ही था। मगर वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साथी बदल गया। अमेरिका की जगह चीन ने ले ली। चीन 118.4 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। हालांकि, अब भी भारत का चीन के बाद अमेरिका ही सबसे बड़ा कारोबारी साथी है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, ‘अगर ब्रिक्स देश ब्रिक्स करेंसी बनाते हैं या डॉलर के मुकाबले दूसरी करेंसी का समर्थन करते हैं तो 100 फीसदी टैरिफ देना होगा और अमेरिका में अपने सामान को बेचने से अलविदा कहना होगा। कोई चांस नहीं कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले।’ डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी का मतलब है कि भारत भी इसके लपेटे में आएगा। भारत ब्रिक्स का अहम सदस्य है। ट्रंप का बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि ब्रिक्स देश अपनी नई करेंसी पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, उस पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं है। अगर ट्रंप की धमकी सही साबित होती है तो ब्रिक्स देशों के लिए बड़ी मुसीबत होगी। ऐसे में भारत के लिए भी अमेरिका से आयात-निर्यात करना बहुत कठिन हो जाएगा।
मेक्सिको और कनाडा, अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं। संघीय व्यापार डेटा के अनुसार, 2024 में अमेरिका ने मेक्सिको से 475 बिलियन डॉलर और कनाडा से 418 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान आयात किए। यह पिछले साल अमेरिका द्वारा निर्यात किए गए सभी सामानों के मूल्य का 30 प्रतिशत है। अमेरिका ने पिछले साल कनाडा को 354 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान और मेक्सिको को 322 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान निर्यात किए, जो पिछले साल अमेरिका द्वारा निर्यात किए गए सभी सामानों के मूल्य का एक तिहाई है। ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा पर 25 फीसद टैरिफ लगाने की की बात कही। राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप ने आयात पर व्यापक टैरिफ लगाने का वादा किया था। उन्होंने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25 फीसद और चीन से आने वाले सामानों पर 60 फीसद तक टैरिफ लगाने की बात कही थी। अब शपथ लेते ही उन्होंने अपनी बात फिर दोहराई है। टैरिफ लगाने से केवल कनाडा और मैक्सिको को ही पीड़ा होगी, ऐसा भी नहीं है। इसकी आंच आम अमेरिकियों और कंपनियों पर भी आएगी। (हिफी)