अध्यात्म

अयोध्या, काशी व मथुरा में मनाएं नया साल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
वर्ष 2024 बीतने जा रहा है और नये वर्ष 2025 का सूरज नयी उम्मीदें लेकर निकलेगा। इस सूरज को देखने के लिए कई लोग अपने नगर से दूर जाने का प्रोग्राम बनाते हैं। इसकी तैयारी अभी से शुरू हो गयी होगी। उत्तर प्रदेश में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या, योगेश्वर कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और भगवान शिव की बसाई तीन लोक से न्यारी काशी में अब काफी बदलाव आ चुके हैं। नया साल का जश्न मनाने के लिए इन धार्मिक नगरियों मंे भी जाने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है। नये वर्ष के पहले दिन और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम, जो 11 जनवरी से 13 जनवरी तक चलेगा, मंे रामलला की दर्शन अवधि में बदलाव भी किया गया है। इस प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्राप्त कर लेना आवश्यक होगा। इसी तरह काशी और मथुरा में भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है। प्रयागराज में महाकुंभ के प्रमुख स्नान तो 13 जनवरी से प्रारम्भ होंगे लेकिन नये साल का सूरज संगम में देखना भी यादगार क्षण रहेगा।
रामलला के विराजमान होने के बाद हर दिन अयोध्या आने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अब तक करोड़ों रामभक्तों ने भगवान श्रीराम का दर्शन किये हैं। भव्य राम मंदिर में हर दिन लगभग 2.5 लाख रामभक्त रामलला का दर्शन करने आते हैं, जो भारत या दुनिया के किसी भी धार्मिक स्थल पर लगातार श्रद्धालुओं के आने का एक रिकॉर्ड है। सदियों से रामभक्त अयोध्या रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के विराजमान होने का इंतजार कर रहे थे, ऐसे में अयोध्या मंदिर में भीड़ जल्द ही कम होने की उम्मीद नहीं है और अप्रैल में रामनवमी और गर्मियों की छुट्टियों से पहले भीड़ बढ़ने की उम्मीद है। अयोध्या जाने का सबसे आसान तरीका सीधी उड़ान है। इंडिगो, एयर इंडिया और स्पाइस जेट के विमान मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, जयपुर, पटना और दरभंगा जैसे विभिन्न शहरों से अयोध्या के लिए डेली उड़ान भर रहे हैं। अयोध्या के लिए ट्रेन कनेक्टिविटी भी अच्छी है, जिसमें दिल्ली-अयोध्या वंदे भारत और अमृत भारत भी शामिल है। अयोध्या पहुंचने से पहले होटल का कमरा पहले से बुक कर लें क्योंकि रामभक्तों की भीड़ की वजह से कमरों की कमी है। होमस्टे की बुकिंग के लिए आप धर्मशालाओं का विकल्प भी चुन सकते हैं या ‘होली अयोध्या’ ऐप डाउनलोड कर सकते हैं।
कम से कम दो दिवसीय यात्रा में आपके पास राम मंदिर जाकर रामलला के दर्शन करने, शाम को राम की पैड़ी, जहां वार्षिक दीपोत्सव होता है, और प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर देखने के लिए पर्याप्त समय होगा। हनुमानगढ़ी मंदिर के पास उपलब्ध लड्डुओं को खाने से न चूकें। रामलला के दर्शन के लिए सुबह का समय सही होगा। राम मंदिर सुबह 6.30 बजे खुलता है और दोपहर 12 बजे तक तक दर्शन का सिलसिला जारी रहता है। मंदिर का पट दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच दो घंटे के लिए बंद रहता है। मंदिर दोपहर 2 बजे फिर से खुलता है और रात 10 बजे तक खुला रहता है। सुबह-सुबह मंदिर जाने से भीड़ कम हो सकती है। याद रखें आप मंदिर परिसर के अंदर जूते, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान या बैग नहीं ले जा सकते हैं। आप केवल अपना छोटा बटुआ ही ले जा सकते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर कतार में प्रवेश करने से पहले सभी सामान तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र में जमा कर दें। इसके अलावा, आप भगवान को चढ़ाने के लिए कोई भी प्रसाद या फूल अंदर नहीं ले जा सकते। प्रसाद आप मंदिर परिसर के अंदर ट्रस्ट से प्राप्त कर सकते हैं। अयोध्या में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ की वजह से आपको लता मंगेशकर चौक की ओर जाने वाले धर्म पथ पर मंदिर में प्रवेश से कम से कम 3-4 किमी पहले पुलिस चेक-पोस्ट मिल सकते हैं और वाहनों को यहां रोका जा सकता है। इसलिए आप पैदल ही लंबी दूरी तय करने के लिए तैयार रहें।
उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर की ओर जाने वाले धर्म पथ और राम पथ पर तीर्थयात्रियों के लिए इलेक्ट्रिक बसें चला रही है। अयोध्या जिले में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के साथ पर्यटकों और भक्तों की संख्या में संभावित वृद्धि को देखते हुए तीन मार्गों का चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण और छह स्थानों पर पार्किंग और सार्वजनिक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। मुख्य मंदिर की ओर जाने वाले राम जन्मभूमि पथ पर अब पीने के पानी की सुविधा के साथ-साथ कुर्सियां और चटाई भी हैं।
इस प्रकार काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है, जो शिवमेटल के सबसे पवित्र हैं। भगवान शिव की नगरी बताई जाती है- काशी। यह वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है, जिसका आधिकारिक नाम वाराणसी है। यह एशिया का सबसे प्राचीन शहर है, दुनिया में सबसे ज्यादा शिव-मंदिरों वाली नगरी भी यही है। यहां भगवान शिव की स्तुति व पूजा-अर्चना के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध देवालय है। पंडित रामचंद्र जोशी कहते हैं कि यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख स्थान रखता है। शास्त्रों में वर्णित है कि विशेश्वरगंज इलाके में बाबा विश्वनाथ की साक्षात दिव्य ज्योति दिखाई पड़ती थी। इसलिए यहां पर आज बाबा विश्वनाथ का भव्य विशाल मंदिर है, जिसे ‘काशी विश्वनाथ मंदिर’ के नाम से पहचाना जाता है। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर कहते हैं कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है और यहां कभी प्रलय नहीं आ सकती। वो कहते हैं कि कलयुग में जब विदेशी आक्रांता आए तो उन्होंने हमारे हजारों प्राचीन-भव्य मंदिरों को तहस-नहस कर डाला। ऐसा कहा जाता है कि इस्लामिक शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ के मूल मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनवा दी। मगर अब वहां देखिए।।इतना भव्य और विशाल मंदिर है, जैसा आजाद भारत में पहले किसी ने नहीं देखा होगा।’ बाबा विश्वनाथ के शिखर पर पंजाब के राजा रणजीत सिंह ने 22 टन सोना चढ़वाया था। इसके अब तक प्रमाण मिलते हैं।
धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत में तापमान लगातार गिरने लगा है, जिसकी वजह से ठंड का प्रकोप बढ़ने लगा है। ब्रज में भी सर्दियां आते ही मंदिरों के समय में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से दर्शन के समय से लेकर आरती और भोग लगाने के समय में भी परिवर्तन किया जाता है। हाल ही में मथुरा के प्रमुख मंदिरों के समय में परिवर्तन किया गया है।
मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है और प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर का समय बदल दिया गया है। अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के भागवत भवन अरु गर्भगृह के दर्शन सुबह 6.30 बजे से श्रद्धालु कर सकेंगे। दर्शन खुलने के साथ ही भगवान की मंगला आरती की जाएगी। साथ ही गर्भगृह के
दर्शन सुबह 6.30 से 8.30 तक होंगे। इसके बाद सुबह 9 बजे भगवान को माखन भोग लगाया जाएगा। दोपहर को 12.30 बजे मंदिर दर्शन के लि ए बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद मंदिर दोबारा दोपहर 3 बजे खोला जाएगा और शाम 6 बजे मंदिर में भगवान की आरती होगी, जिसके बाद सभी श्रद्धालुओं के लिए मंदिर शाम 8.30 बजे बंद कर दिया जाएगा। (हिफी)

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