अध्यात्म

हनुमान जी का प्रिय तीर्थ चित्रकूट

माना जाता है कि चित्रकूट में आज भी हनुमान जी वास करते हैं, जहां भक्तों को दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिलती है। चित्रकूट का आध्यात्मिक रूप से भी बड़ा महत्त्व है। कहते हैं कि चित्रकूट में ही भगवान राम ने तुलसीदास को दर्शन दिए थे और यह संभव हुआ था हनुमान जी की कृपा से३
सनातन धर्म में हनुमानजी को ग्यारहवां रुद्रावतार माना जाता है। कलियुग के देव राम भक्त हुनमान चिरंजीवियों में से एक हैं। वहीं ज्योतिष में मंगल के कारक देव होने के कारण सप्ताह में मंगलवार का दिन हनुमान जी का माना जाता है। माना जाता है कि चित्रकूट में आज भी हनुमान जी वास करते हैं, जहां भक्तों को दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिलती है। चित्रकूट का आध्यात्मिक रूप से भी बड़ा महत्त्व है। कहते हैं कि चित्रकूट में ही भगवान राम ने तुलसीदास को दर्शन दिए थे और यह संभव हुआ था हनुमान जी की कृपा से। ये भी माना जाता है कि चित्रकूट में भगवान राम की कृपा से हनुमान जी को उस ताप से मुक्ति मिली थी, जो लंका दहन के बाद हनुमान जी को कष्ट दे रहा था। इस विषय में एक रोचक कथा भी है। जिसके अनुसार हनुमान जी ने प्रभु राम से कहा, लंका जलाने के बाद शरीर में तीव्र अग्नि बहुत कष्ट दे रही है। तब श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा कि चिंता मत करो। चित्रकूट पर्वत पर जाओ, वहां अमृत तुल्य शीतल जलधारा बहती है, उसी से कष्ट दूर होगा। चित्रकूट में हनुमान जी का एक मंदिर है, जिसे हुनमान धारा मंदिर कहते हैं। मान्यता है कि लंका जलाने के बाद हनुमान जी के शरीर से तीव्र ताप से मुक्ति का साक्षी है। यहां भगवान राम का छोटा सा मंदिर भी है। हनुमान जी के दर्शन से पहले नीचे बने कुंड में भरे पानी से भक्त हाथ मुंह धोते हैं। कुछ साल पहले यहां पंचमुखी हनुमान जी प्रकट हुए हैं। यहां सीढिघ्यां कहीं सीधी हैं, तो कहीं घुमावदार। यहां से ही कुछ ऊपर सीता की रोसोई है। जहां माता सीता ने भगवान राम और देवर लक्ष्मण के लिए कंदमूल से रसोई बनाई थी। जिन चीजों से यहां रसोई बनाई थी, उन चीजों के चिन्ह आज भी यहां देखे जा सकते हैं।

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