अध्यात्म

मौनी अमावस्या पर मंगलकारी योग

(पं. आरएस द्विवेदी-हिफी फीचर)
हिन्दू धर्म के प्रत्येक महीने मंे एक तिथि अमावस्या की पड़ती है। इस दिन पवित्र नदियों मंे स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। अमावस्या जब माघ महीने मंे पड़ती है तब उसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी को होगी। संयोग है कि इस बार प्रयागराज मंे महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इसलिए प्रयागराज में मौनी अमावस्या का स्नान विशेष मंगलकारी होगा। मौनी अमावस्या को स्नान के बाद पितरों के तर्पण, पिण्डदान और श्राद्ध का भी विधान है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या की तिथि का प्रारम्भ 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर होगा और समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन वे अपने वंशजों से तर्पण और दान की अपेक्षा करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। शाम को जब पितर अपने लोक लौटते हैं, तो उनके मार्ग को रोशन करने के लिए दीपक जलाया जाता है। ऐसा करने से पितर संतुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।मौनी अमावस्या के दिन पितरों के लिए दीपक सूर्यास्त के बाद, प्रदोष काल में जलाएं। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 5.58 बजे है।इस दिन महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान भी किया जाएगा, वहीं इस तिथि पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्ध योग का निर्माण भी हो रहा है, जो पितरों को प्रसन्न करने के लिए कल्याणकारी है। इस संयोग में पितृ स्त्रोत का पाठ करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप से मुक्ति प्राप्त होती है, साथ ही सभी ग्रह दोष समाप्त हो सकते हैं। इस बार मौनी अमावस्या के दिन सिद्धि योग बन रहा है। मौनी अमावस्या के प्रातःकाल से लेकर रात 9 बजकर 22 मिनट तक सिद्धि योग बना रहेगा। उसके बाद से व्यतीपात योग बनेगा। सिद्धि योग के स्वामी गणेश जी हैं, जो शुभता प्रदान करते हैं। इस योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं। पूजा पाठ, दान आदि का शुभ फल प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या को प्रातःकाल से लेकर सुबह 8 बजकर 20 मिनट तक उत्तराषाढा नक्षत्र है, उसके बाद से श्रवण नक्षत्र प्रांरभ होगा। उस दिन मकर राशि का चंद्रमा है।
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त से ही प्रारंभ हो जाएगा। उस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातःकाल 5 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। प्रयागराज में महाकुंभ मेले का तीसरा अमृत स्नान भी ब्रह्म मुहूर्त से प्रारंभ हो जाएगा। उस दिन अभिजीत मुहूर्त कोई नहीं है।
सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृत के समान
होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष की
प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या पर लोग मौन व्रत भी रखते हैं। अमावस्या की तिथि ही पुण्यदायी मानी
जाती है।
हिन्दू पंचांग में अमावस्या का दिन वो दिन होता है जिस दिन चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता है। चंद्रमा 28 दिनों में पृथ्वी का एक चक्कर पूर्ण करता है। 15 दिनों तक चंद्रमा
पृथ्वी की दूसरी ओर होता है और भारतवर्ष से उसको नहीं देखा जा सकता है।
संस्कृत में, अमा का अर्थ है एक साथ और वास्य का अर्थ है निवास करना या सहवास करना। अर्थात चंद्रमा दिखाई नहीं दे रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भागों में इस्तेमाल किए जाने वाले पूर्णिमांत मान हिंदू चंद्र कैलेंडर में, चंद्र महीना पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और इसलिए अमावस्या हमेशा महीने के मध्य में आती है। हालाँकि, कुछ स्थानों पर इस्तेमाल किए जाने वाले अमांत मान कैलेंडर में, चंद्र महीना अमावस्या के दिन से शुरू होता है, जिससे उन स्थानों पर अमावस्या चंद्र महीने का आखिरी दिन बन जाता है। कई त्यौहार, जिनमें सबसे प्रसिद्ध दिवाली है, अमावस्या को मनाया जाता है। कई हिंदू अमावस्या पर उपवास करते हैं। पंच-द्रविड़ में अमावस्या के अगले दिन से अमावस्या तक का महीना होता है। अमावस्या 29-30 दिन (अमंत) होती है। शुक्ल पक्ष को उज्ज्वल पक्ष कहा जाता है क्योंकि चंद्रमा अमावस्या से पूर्णिमा में बदल जाता है जबकि कृष्ण पक्ष में यह पूर्णिमा से अमावस्या में बदल जाता है। इसलिए यह देखा जाता है कि एक ही अमावस्या को पूरे देश में एक ही त्योहार होता है। उज्जैन, इलाहाबाद, उड़ीसा, बिहार के ब्राह्मण उन कुछ पंच-गौड़ ब्राह्मणों में से हैं जिनका महीना पूर्णिमा के 1 दिन बाद से पूर्णिमा (दिन) (पूर्णिमांत) तक होता है, जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश के पंच-द्रविड़ के लोगों का महीना अमावस्या के 1 दिन बाद से अमावस्या तक होता है। चूंकि कांचीपुरम मठ जहां आदि शंकराचार्य रहते थे और सभी पंच-गौड़ और पंच-द्रविड़ आते थे, इसलिए तमिलनाडु ने पंचांगम और शक कैलेंडर का मिश्रण विकसित किया। इसी तरह जहां पंच-गौड़ और पंच-द्रविड़ एक साथ रह रहे हैं जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ भी मिश्रण दिखाते हैं। साथ ही जैन धर्म का पालन करने वाले लोग पंच-द्रविड़ कैलेंडर का पालन करते हैं, अमावस्या अंतिम 29-30 दिन होती है। प्राचीन भारतीय संस्कृति और मान्यताओं में, चाहे कोई भी धर्म हो, अमावस्या को महान शक्ति का समय माना जाता है। तमिल में, हालांकि अमावसई का उपयोग आमतौर पर धार्मिक क्षेत्रों में किया जाता है।
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस अमावस्या पर व्रत रखने से महिलाओं में विधवापन दूर होता है और संतान प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इस अमावस्या पर व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मौनी अमावस्या पर देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल प्राप्त होगा। वहीं साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। बड़ी संख्या में साधक मौनी अमावस्या पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। साथ ही पूजा जप-तप एवं दान करते हैं। मौनी अमावस्या के अवसर पर गंगा स्नान किया जाता है। इस शुभ अवसर पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से दुखों से मुक्ति मिलेगी। (हिफी)

 

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