
गुरु का कत्र्तव्य क्या है?जो शिष्य समर्पण भाव से उसके पास आए, उसके जीवन में जो अंधेरा है- अंधकार जो है- उसको दूर करे। ये उसका सबसे पहला और आखिरी कत्र्तव्य है। वह अंधकार को पहचाने और ज्ञान का प्रकाश उसके जीवन मंे जगमगा उठे, और जिस कार्य के लिए ये आत्मा इस पृथ्वी पर आयी है, वो उस कारण को सिद्ध कर सके। सम्पन्न कर सके। सुखमय जीवन बीता सके और अन्ततः मोक्ष को समझे।
ये पांच दिन बड़े महत्वपूर्ण होने वाले हैं। यदि तुम वास्तव में यह पांच दिन मेरे पास रहोगे। तो इन पांच दिनों में तुम खो जाओगे और पांच दिन बाद जब तुम अपने को ढूढोगे तुम ढूंढ नहीं पाओगे। तुम पाओगे कि तुम वह हो ही नहीं-कोई और आ गया तुम्हारी जगह। तुम्हारा जीवन शैली, जैसा जीवन में चल रहा था वो भी बदल जाएगा। तुम्हारे आस-पास के लोग बदल जायेंगे। तुम भी अपने को ढूढ न पाओगे।
इसलिए इन पांच दिन प्रयास करके अवश्य आना। जो न आ पाएं हो उनको सूचना दे देना कि इस बारी चूकना मत। अगर भयंकर रोग से ग्रसित हो तो लेटे-लेटे आ जाना पर यहां आना जरूर। क्यांेकि ये पाचं दिन में जो मिल जाए तुमको शायद कई लाख जन्मों से इन उसी को तुम खोज रहे थे। और अब मौका आया है उसको समझने का उसको जानने का। जीवन की गुत्थी जो है इसको समझना है, इन पाचं दिनों में यही प्रयास हमने किया है।
घर जा के ये सेवा जरूर कर लेना जो रह गया है उसको बोलना बाबा का संदेश हैं। अभी घूमने फिरने के लिए बड़ा जीवन पड़ा है। दूसरे मैंने ये सेवा भी लगाई है कि रिकाॅर्डिंग हो रही है इसका आॅडियो और विडियो बना डालो। जिससे पांच दिनों के बाद भी मैं तुम्हारा पीछा न छोड़ंू। तुम्हारे साथ ही साथ रहे ये आवाज जो तुम्हारे कानों में गूजेंगी और जो बदलाव तुम्हारे भीतर लेकर आएगी- तुम उसके आनंद को सत्चित आनंद को, जो जा चुका है उसको वापस लाओ। तुमको यह अनुभव करना है।
ये अनुभव तुम्हारे जीवन में जो बैठी आत्मा है वो भी कर सकती है। आत्मा को जकड़े हुए जो भय है, उसे निकालो और इन पांच दिनों में भय का भक्षण हो जाएगा। सिर्फ आत्मा रह जाएगी। वो सत्चित आंनद भी तुमको मिलेगा।
थियोरी आफ करमा, दि लाॅ आफ करमा-ग्रन्थों में इसके बारे में बहुत कुछ बताया है। लेकिन इस मार्ग के क्या सिद्धान्त है और कैसे सरल करके उन सिद्धान्तों को अपनाना है ये तुम पर निर्भर है। और मेरी आवाज हमेशा तुम्हारे कानों में गूजती रहे यही बदलाव है। वैसे तो बाबा ने चार लाइन में बता भी दिया है लेकिन समझना बड़ी बात है। शुद्ध भावना, निर्मल मन, निश्चल मन, विशाल मन ये समझो की इन पांच दिनों में तुम्हे यह समझना है। तब तुमको लाॅ आॅफ करमा, थियोरी आॅॅफ करमा का लाभ होगा।
आखिर में बाबा बोलता है, सब मिट्टी है। सब मिट्टी है। जो मनुष्य ये सोच के जीवन जिए सब, सब मिटटी है, तो दुख आ ही नहीं सकता उसके जीवन में। वो ये समझ ले की ये सब तो बेशकीमती है, अगर यह सोचते हो पृथ्वी पर जो रखा है कीमती है पृथ्वी पर जो रखा है कीमती है, इसको भी ले लूं-तो फंस जाएगा माया में और ऊपर नहीं उठ पाएगा।
एक गाना है किसमें है मालूम नहीं लेकिन गाना वो है – दुनियंा बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई। कैसी ये दुनिया बनाई-क्या तेरे मन में समाई हां मजा आ गया न। कैसी ये दुनियां बनाई! अब इसमें कही कोई रोता है कही कोई हंसता है। कही कोई राजा है तो कही कोई रंक है, कही कोई भोजन खा खा के दुखी होके फंेक देता है तो कहीं फेका हुआ भोजन उठा उठा के खाता है। बड़ी विडम्बना है।
बात आ गई दुनिया बनाने वाले का दोष है, दोष उस दुनिया बनाने वालेे का है। किसका दोष है? गड़बड़ उसने करी है क्या? वो तो केवल उसी को बोलता है दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई फिर बोलता है काहे ये दुनिया बनाई-दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई काहे ये दुनिया बनाई। क्यों बना दी ये दुनिया- उसको दोष देता है। पर वास्तव में ध्यान से इसे समझना है।
ऐसा कौन सा कारण है जहां एक आदमी पूरे आंनद में हैं सुखी है, उसी परिस्थिति में, उसी स्थिति में दूसरा व्यक्ति दुखी है। सब परिस्थिति वही हैं, तुमने घर में भी देखा होगा घर में दस सदस्य है या पांच सदस्य है चार व्यक्ति संतुष्ट है शांत हैं- पांचवां लड़ने को तैयार है, क्रोधित है ऐसा की छूते ही हाथ जल जाए। वो कहता है परिस्थितियों ने बहुत गड़बड़ी की है। एक के साथ ऐसा क्यों चार के साथ ऐसा क्यों एक आदमी किसी काम में हाथ डालता है और सोना ही सोना बनता है और दूसरा मेहनत करता है कुछ नहीं होता है। बहुत से लोग आकर बताते है छः आपरेशन हो गए हैं सातवें की तैयारी है कोई फायदा नहीं है, ऐसा क्यों? दूसरा भला चंगा है। एक इजेंक्शन भी नहीं लगवाया।
एक बच्चा है उसके लिए गाड़ी है बंगला है, स्कूल है! और एक बच्चा है जो सड़क पर है, जो दिन भर मेहनत करता है। बहुत से बालक हमारी संस्था से भी जुड़े हैं सारा दिन मेहनत का कार्य करते है। हम उनके लिए थोड़ा ही करते हैं कोई ज्यादा नहीं फिर भी कितना आनंद आता है। बाबा खाना दे रहे हैं, दाल, चावल रोटी, थोड़ी सब्जी। क्यों ये हो रहा है- इन पांच दिनों में समझाना है।
जीवन में दुख और अभाव क्यों है, किसी के मेरे जीवन में सुख क्यों है। और जो हम बार-बार बोलते हैं, यह क्यों है बाबा हमको पहचानों। इसको समझने का रास्ता सरल है। तुम प्रयास करों, मैं तुम्हारी अंगुली पकड़ के ढकेल दूंगा। ये सब कर्मों का फल है प्रत्येक घटना जीवन की पूर्वजन्म के कर्मों का असर है। प्रत्येक मनुष्य, प्रत्येक घटना को जीवन में वैसे ही उतारता है, जैसे उसके पूर्वजन्म के कार्य या संचित कर्म होते हैं। उसी के अनुसार अपने आस-पास होने वाली घटना को वो देखता है। उन पूर्वजन्म के संस्कारों के कारण वो उस घटना को अलग तरीके से अनुभव करता है
एक ही घटना होगी दस लोगों को खड़ा कर दो। दस में से कुछ लोग बोलेगे बड़ा आनंद है, बहुत कुछ आसान है। दो लोग बोलेंगे कोन्सटेन्ट constant ऐसा कुछ भी नहीं है। दो ऐसे होगे जो बोलेगे की भयंकर बीमारी है। कष्ट है ताप है भयंकर परेशानी है। इसलिए कि पूर्वजन्म के संस्कार उस मनुष्य को बाध्य कर देते हैं। मनुष्य जैसी घटना है वैसी ही देखता। प्रत्येक घटना में प्रत्येक मनुष्य में अपना प्रतिबिम्ब अपना reflection देखता है।
मैं जो हूं वास्तव में वहीें मैं दूसरे में देखता हूं अगर मैं आनंद से भरा हूं, अगर मैं positivity से भरा हूं तो दूसरा मनुष्य जिसको मैं देखूगा वो आनंद से भरा हुआ और positivity से भरा हुआ ही होगा। यदि मेरे मन में चोर है तो सामने बड़े से बड़ा संत भी खड़ा कर दो तो मुझे अगले व्यक्ति के मन में भी चोर दिखेगा। मैं स्वयं जैसा हूं मुझे सामने वाले में भी ठीक वैसा ही प्रतिबिम्ब दिखेगा।
मैं ऐसा क्यों हूं? मैं ऐसा इसलिए हूं क्योंकि मेरे पूर्वजन्म के संस्कार और पूर्वजन्म के संचित कर्म मुझे ऐसा बना देते हैं। ऐसी दृष्टि और ऐसी सोच दे देते हैं और उसी सोच के अनुसार हम उसको अनुभव करते हैं। कर्म मैंने पैदा कर लिए अब मैं उसको भोग रहा हूं। अब मैं रोज दुखी होता हूं खुश होता हूं। प्रारब्ध भोग, भोग रहा हूं। हमारे सारे शास्त्र बोलते हैं होनी को कौन टाल सकता है जो होनी है वो होकर रहेगी।
दूसरी तरफ बाबा बोलता है कि दिव्य मार्ग में You are creator of your our destiny। बड़ा confusion हो गया है। एक तरफ तो ये बोल दिया होनी को कोई टाल नहीं सकता, जो होना है वो होकर रहेगा, और दूसरी तरफ बोलता है You can create your own destiny पहला तो Whatever you are destined to receive you are bound to receive दूसरा बोलता है You can alter your destiny and can change your destiny। इसको तुम समझ जाओगे तो सब आसान हो जाएगा।
बहुत से लोग मुझसे बात करते हैं कभी-कभी गुस्से से कह देते हैं बाबा तुम शान्त बैठे रहते हो। You are very soft गुस्सा भी करते हैं। अपने हो तभी गुस्सा करते हो, अपना होगा तभी गुस्सा होगा कोई आकर बोलता है तुमको सब दिखता है, ये गड़बड़ करेगा- तुमको पहले से ही मालूम है। बाबा को डांट पड़ती है- अपनों से ही डाट पड़ती है, मैं समझाऊंगा तुम समझोगे। प्रारब्ध भोग भोगना है बिल्कुल भोगना है, तुम उसको बदल नहीं सकते । तुम उसको बिल्कुल भी बदल नहीं सकते। जो भी बाबा के आजू-बाजू होता है उसको भी सुनना पड़ता है। वो उसमें अगुंली नहीं डालता। अंगुली डालना भी नहीं चाहिए जो हो रहा है उसे हो जाने दो जो निकल रहा है, निकल जाने दो। http://hindustansamacharnews.com/?p=1494&preview=true