गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है?

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
ईसा मसीह को शुक्रवार के दिन क्रॉस पर लटकाए गया था। लेकिन इसके ठीक दो दिन बात तीसरे दिन रविवार को ईसा मसीह फिर से जिंदा हो गए थे। यही वजह है कि इसे ईस्घ्टर संडे कहा गया। इस मौके पर ईस्टर एग तैयार किए जाते हैं। क्रिश्चन लोगों के लिए ईस्घ्टर एग बेहद महत्व रखते हैं। ईस्टर एग क्या है? अगर आप यह सोच रहे हैं तो हम आपको बता दें कि इसे बहुत शुभ माना जाता है। ईस्घ्टर संडे पर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ अंडे के आकार के गिफ्ट साझा करते हैं। बहरहाल, लौट कर आते हैं गुड फ्राइडे पर। मान्यता है कि यीशु ने प्राणों का बलिदान फ्राइडे के दिन ही किया था। इसे गुड फ्राइडे, होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है।
कैसे वजन और पेट की चर्बी कम करने के लिए करें सेब के सिरके का इस्तेमाल।।।क्घ्या है ईस्घ्टर संडे?ईसा मसीह के जी उठने की याद में दुनिया भर में ईसाई धर्म को मानने वाले ईस्घ्टर संडे मनाते हैं। मान्घ्यता है कि मौत के तीन दिन बाद ईसा मसीह फिर से जीवित हो उठे थे। इसके बाद उन्घ्होंने अपने शघ्ष्घ्यिों के साथ 40 दिन रहकर हजारों लोगों को दर्शन दिए। ईस्घ्टर संडे के दिन लोग चर्च में इकट्ठा होते हैं और प्रभु यीशु को याद करते हैं। ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में लोग प्रभु भोज में भाग लेते हैं।
10 चीजें करेंगी वजन कम, पढ़ें वजन कम करने और घटाने के उपायगुड फ्राइडे पर भोजन और महत्व गुड फ्राइडे से 40 दिन पहले ही प्रार्थना और व्रत किए जाते हैं। इन 40 दिनों में शाकाहारी और सात्विक भोजन किया जाता है। गुड फ्राइडे के दिन भी उपवास और प्रेयर की जाती हैं। गुड फ्राइडे के दिन लोग चर्च और घरों में सजावट की चीजों को हटा दिया जाता है।
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। यह ईसाई धर्म के लोगों का त्योहार है। गुड फ्राइडे को ईस्टर संडे से पहले वाले शुक्रवार को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ईसा मसीह को कई शारीरिक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था। इस कारण इस त्योहार को ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है। ईसाई धर्म के लोगों की मान्यताओं के अनुसार यीशु (ईसा मसीह) ने लोगों की भलाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे। इसलिए इस शोक दिवस को ‘गुड’ का नाम दिया गया है। मान्यताओं के अनुसार लगभग 2000 वर्ष पहले प्रभु यीशु लोगों को मानवता, भाईचारे, एकता, अहिंसा और शांति का उपदेश दे रहे थे। वहां के लोगों में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए वहां के धर्मगुरुओं के ईसा को मानवता का शत्रु घोषित कर दिया। इसके बाद भी इनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। इसके बाद ईसा को राजद्रोह का आरोप लगा कर मृत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया गया। मृत्यु दंड का फरमान जारी होने के बाद ईसा को कोड़ों और चाबुकों से मारा गया। काटों का ताज पहना कर कई शारीरिक यातनाएं दी गई। आखिर में उन्हें कीलों से टोकते हुए सूली (क्रॉस) पर लटका दिया गया।
ईसाई धर्म ग्रंथ बाइबल के अनुसार ईसा मसीह को छः घंटों तक कीलों से ठोक कर सूली पर लटकाया गया था। आखिरी के तीन घंटों में पूरे राज्य में अंधेरा छा गया था। ईसा के प्राण त्यागने के बाद जलजला आ गया था। सभी कब्रों की कपाटें टूट कर खुल गई। पवित्र मंदिर का परदा फट गया था। इसके बाद हर वर्ष इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाने लगा। ईसाई लोग दोपहर 3 बजे चर्च में एकत्रित हो कर प्रार्थना करते हैं और गॉड जीसस से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इसके साथ ही इस दिन ईसा मसीह को श्रद्धांजलि भी दी जाती है। गुड फ्राइडे को चर्च में घंटियां नहीं बजाई जाती हैं। ईसाई धर्म के ज्यादातर लोग गुड फ्राइडे को काले रंग के कपड़े पहन कर अपना शोक व्यक्त करते हैं। ईसाई धर्म में इस पूरे सप्ताह को बहुत पवित्र माना गया है। फिर भी इस पवित्र सप्ताह में चर्च में प्रार्थना के अलावा किसी तरह का उत्सव (सेलिब्रेशन) नहीं मनाया जाता है।
प्रभु यीशु के पास उनके बारह प्रमुख शिष्य थे जो हर समय उनके साथ रहते थे । उनके पकडे जाने से एक दिन पूर्व उन्होंने अपने उन सभी शिष्यों के साथ भोजन किया। उस अवसर पर उन्होने कहा कि तुम में से कोई एक मुझे पकड़वायेगा । इस पर शिष्यो ने कहा कि वह कौन है । उन्होने यहूदा की ओर सकेत किया परन्तु उस समय वे समझ न पाये । यहूदा ने 30 रुपये में यीशु को तत्कालीन धर्म के ठेकेदारो को बेच दिया। उसने उनके प्रधान पुरोहित से कहा कि यीशु प्रातरू बाग में प्रार्थना के लिए आते हैं । उनके सभी शिष्य उन्ही की तरह समान परिधान पहनते थे । इसलिए उसने उनसे कहा कि प्रातरू बाग में जिसका मैं चुम्बन करूँगा, तुम उसी को पकड़ लेना।
पूर्व कार्यक्रम के अनुसार यीशु पकड़े गये। उन्हें न्यायालय के सामने लाया गया । उन प्रधान पुरोहितो ने उन्हें क्रूस पर लटकाने का मृत्यु दण्ड दे दिया । वृहस्पति की शाम को उनके साथ अत्यन्त निर्दयतापूर्ण व्यवहार किया गया । फिर शुकवार की प्रातरू यीशु को उस स्थान पर लाया गया जहाँ पर उन्हे क्रूस पर लटकाना था । वहाँ पर अपार भीड़ उमड़ आई । उस भीड़ ने उन पर अनेक अत्याचार किए। किसी ने उन पर पत्थर फैंके, किसी ने थूका, किसी ने अपशब्द कहे । उनके सिर पर काँटेदार तारो का मुकुट बाँधा गया। उनका सारा शरीर लहू-लुहान हो गया । प्रभु यह सब सहते रहे, क्योकि वे जानते थे कि पृथ्वी से पापों को दूर करने के लिए ऐसा सहना ही पड़ेगा । अन्त में उनके हाथ पैरों पर कीले गाड़कर क्रूस पर लटकाया गया । अर्थात् शुक्रवार ठीक बारह बजे दिन में उनको सूली पर लटकाया गया । इस प्रकार जगत के उद्धार के लिए यीशू ने अपना बलिदान कर दिया ।
गुड-फ्राईडे मनाने की परम्परा-गुड-फ्राईडे के दिन 12 बजे से 3 बजे तक गिरजाघरों में प्रार्थना सभाएँ होती हैं । सभी श्रद्धालुजन इन प्रार्थना सभाओं मे बड़ी श्रद्धा से भाग लेते हैं । इस दिन कोई नये कपड़े नहीं बनवाता है । सादे कपड़ो में प्रार्थना की जाती है । प्रायः सफेद व काले कपड़े पहन कर लोग गिरजाघरों में जाते है । यीशु ने सूली पर से सात वचन कहे थे । उन सात वचनों को प्रार्थना सभा मे सभी उपस्थित जनो के सामने रखा जाता है । वे सात वचन थे- (1) मैं प्यासा हूँ । (2) फिर अपनी माता को सूली के पास खड़ी देखकर अपने शिष्य से कहा यह तेरी माता है और उससे कहा हे स्त्री यह तेरा पुत्र है । (3) अपने साथ ढोंगी पापियों से एक से जिसने उसके चाहा, पहचाना, प्रतिज्ञा की कि आज ही रात तू मेरे साथ फिर दोष में होगा ।(4) हे परमेश्वर ! इन्हें क्षमा कर क्योकि यह नही जानते कि यह क्या करते हैं । (5) हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यो छोड़ दिया । (6) पूरा हुआ । (7) हे परमेश्वर ! मैं अपनी आत्मा तुझे समर्पित करता हूँ । यह कहकर उन्होने क्रुस पर प्राण त्याग दिये । जिस समय यीशु क्रूस पर थे उस समय सारे नगर में अन्धकार छाया रहा । वे सारे पापी अत्यन्त व्याकुल हो गये । इस प्रकार से गुड-फ्राइडे की प्रार्थना सभाएँ सम्पन्न होती हैं ।