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माइक्रान से मिलेगी 5 हजार को नौकरी

(अखिलेश पाठक-हिफी फीचर)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बार अमेरिका जाने से भारत को तमाम प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ मिले हैं। इनमंे एक है गुजरात में चिप असेम्बलिंग और टेस्टिंग फैक्ट्री। इस फैक्ट्री को लगाने मंे अमेरिका की मेमोरी चिप कम्पनी माइक्रान टेक्नालाॅजी 82.5 करोड़ डालर का निवेश करेगा। भारत में माइक्रान की यह पहली फैक्ट्री होगी। इस प्रोजेक्ट से 5 हजार लोगों को नौकरी मिलेगी। इस फैक्ट्री पर 2.75 अरब डालर का कुल निवेश होना है।
माना जा रहा है कि यह सिर्फ कुछ सौ नौकरियां नहीं, सेमीकंडक्टर चिप्स के निर्माण को सहारा देने के लिए समूचे ईकोसिस्टम की शुरुआत है और 60,000 से भी ज्यादा युवाओं को सेमीकंडक्टर इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग मिलेगी। अमेरिका की कंपनी माइक्रॉन टेक्नोलॉजी द्वारा गुजरात के साणंद में फैक्टरी की स्थापना से भारत सेमीकंडक्टर निर्माण का केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
केंद्रीय रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी कहते हैं इस प्लांट से पहली मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन 18 महीने में, यानी दिसंबर, 2024 तक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में बनने जा रहा माइक्रॉन का यह प्लांट अत्याधुनिक होगा और भारत में सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम के फैलाव में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि माइक्रॉन दुनियाभर में मोबाइल फोनों, लैपटॉप, सर्वर, रक्षा उपकरणों, कैमरों, इलेक्ट्रिक वाहनों, ट्रेनों, कारों और दूरसंचार उपकरणों में इस्तेमाल किए जाने वाले सेमीकंडक्टर के निर्माण के क्षेत्र में पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी है। कई विकल्प होने के बावजूद भारत और साणंद को माइक्रॉन द्वारा खासतौर से चुना गया, क्योंकि यहां प्रतिभा, अति-शुद्ध पानी और अति-स्थिर ऊर्जा की उपलब्धता है, जो सभी सेमीकंडक्टर उद्योग के फलने-फूलने के लिए अहम हैं।
ध्यान रहे कांग्रेस ने सेमीकंडक्टर चिप निर्माण पर केंद्र सरकार द्वारा खासा निवेश करने की जरूरत पर सवाल उठाया था और आरोप लगाया था कि इससे जितने रोजगार पैदा होने का वादा किया गया है, वह संख्या इतने निवेश के लायक नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस अतीत में कम से कम तीन बार सेमीकंडक्टर उद्योग को देश में लाने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन नाकाम रही, क्योंकि वह उद्योग की जटिलताओं को संभालने के लिए तैयार नहीं थी, और अब वह श्हताशाश् के चलते बोल रही है। माइक्रॉन टेक्नोलॉजी ने घोषणा की है कि वह गुजरात के साणंद में 2.75 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश से सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण संयंत्र स्थापित करेगी। इस रकम में से 82.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश माइक्रॉन करेगी, जबकि शेष रकम केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से दी जाएगी। एक ओर, केंद्र सरकार ने माइक्रॉन के साथ हुए इस समझौते और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में हुए दो अन्य समझौतों को ऐतिहासिक करार देकर सराहा है, लेकिन कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़े किए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इसका अर्थशास्त्र फायदेमंद नहीं है, और यह संसाधनों और करदाताओं का दुरुपयोग करना है, क्योंकि यहां सिर्फ असेम्बलिंग होगी, निर्माण नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, श्श्टैक्सपेयरों को शेष लगभग 2 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश का बोझ उठाना होगा। हम 5,000 नौकरियां पैदा करने के लिए 2 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं।यानी एक रोजगार की लागत 4 लाख अमेरिकी डॉलर, यानी 3.2 करोड़ रुपये होगी। अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि सेमीकंडक्टर प्लांट से हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने, लॉजिस्टिक्स से लेकर स्टोरेज तक बड़ी तादाद में संबंधित उद्योग पैदा होने और भविष्य में देश के सेमीकंडक्टर विनिर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित हो जाने की उम्मीद है। केंद्रीय मंत्री ने सेमीकंडक्टरों को स्मार्टफोन से ट्रेनों और टीवी सेट तक हर चीज का बुनियादी उद्योग करार देते हुए कहा कि कई देश दुनिया का अगला सेमीकंडक्टर हब बनने की होड़ में हैं, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इस उभरती हुई प्रौद्योगिकी में निवेश आकर्षित करने में कामयाब रही है। उन्होंने कहा, प्लाज्मा की बारीकी लेजर की तुलना में एक लाख गुना अधिक होती है। ऐसे उपकरण और पुर्जे भी भारत में ही डिजाइन किए जाएंगे। अंततः मशीनें भी यहीं बनेंगी और 104 संस्थानों के साथ समझौते कर 60,000 से अधिक युवाओं को सेमीकंडक्टर इंजीनियरिंग में प्रशिक्षित किया जाएगा।
सेमीकंडक्टर उद्योग को बेहद जटिल और ज्यादा लागत वाला बताते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा, पिछले नौ साल में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग जिस तरह भारत में विकसित हुआ है, उससे दुनिया को विश्वास है कि हम यह (सेमीकंडक्टर निर्माण) करने में सक्षम होंगे। केंद्रीय मंत्री ने पहले कहा था कि भारत सरकार आधा दर्जन से अधिक सेमीकंडक्टर निर्माण, पैकेजिंग और परीक्षण कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है, जो एक वर्ष के भीतर देश में अहम निवेश की योजना बना सकती हैं।
इस मामले में विशेषज्ञों से बात की गयी, उनका कहना है कि भारत के लिए यह कदम उठाना अहम है, क्योंकि सेमीकंडक्टर बाजार अगले सात साल 600 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना होकर 1000 से 1300 अरब (1.3 ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, और भारत सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी होगा। भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 2020 में 15 अरब अमेरिकी डॉलर था और अगले तीन साल में इसके 63 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि सेमीकंडक्टरों के निर्माण को बढ़ावा देने की केंद्रीय पहल घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति शृंखला विकसित करने के सरकार के उद्देश्य के लिए अहम है, ताकि वह विदेशों से आयात को कम कर सके, खासतौर से चीन से, जिसके साथ पिछले पांच सालों में तनाव बढ़ा है।
पिछले साल अमेरिका ने अमेरिकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अमेरिकी सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लंबे समय से प्रतीक्षित विधेयक पारित किया था, जिसका उद्देश्य सेमीकंडक्टर चिप की किल्लत से निपटना और विनिर्माण के लिए अमेरिका की चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करना था। उस वक्त अमेरिकी सांसदों ने कहा था कि ऐसा उपाय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अहम है। (हिफी)

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