नीतीश की एकता पर भाजपा का काउंटर

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति के महासमर मंे भी दुश्मन को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने नीतीश कुमार की एकता बैठक के प्रभाव को कुंद करने की रणनीति बना ली है। देश भर में विपक्षी दलों को एक करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुहिम चला रहे हैं। वह पहले दिल्ली में प्रमुख विपक्षी नेताओं से मिले। इसके बाद महाराष्ट्र मंे शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी विपक्षी दलों की एकता कैसी हो, इस पर विचार विमर्श कर चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी नीतीश कुमार ने चर्चा की है। हालांकि उनकी एकता मुहिम पिघलती बर्फ जैसी है। उनके अपने राज्य में ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी नाराज हो गये हैं। मांझी का आरोप है कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का जद(यू) मंे विलय चाहते थे। जीतनराम इस प्रस्ताव पर तैयार नहीं हुए। इसके बाद उनके बेटे ने सरकार से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा स्वीकार कर मांझी समुदाय से ही एक अन्य नेता को मंत्री बनाने की घोषणा भी कर दी गयी। इस प्रकार पटना में विपक्षी दलों की 23 जून को होने वाली एकता बैठक से पहले ही बिखराव की शुरुआत हो गयी है लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने इस एकता बैठक को निष्प्रभावी बनाने की रणनीति बना ली है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने एक बैठक कर काउंटर अटैक प्लान पर चर्चा की। भाजपा ने जेपी नड्डा की रैली 24 जून को ही वहां करने की घोषणा कर दी है। इस रैली के बाद बिहार मंे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे होंगे।
बिहार में महागठबंधन में दरार पड़ती नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष के नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद बिहार की राजनीति में लोकसभा चुनाव से पहले काफी उठापटक देखने को मिल रही है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी ने गत दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपने पुत्र संतोष सुमन के राज्य मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने का ठीकरा फोड़ा। सुमन के कैबिनेट से इस्तीफा देने के एक दिन बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जीतनराम मांझी ने आठ साल से अधिक समय पहले उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किये जाने का भी जिक्र किया। आठ साल से अधिक समय पहले मांझी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद ही जनता दल यूनाइटेड ( जदयू) के प्रमुख नीतीश कुमार सत्ता में लौटे थे। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक मांझी से जब एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई मुलाकात की पृष्ठभूमि में उनकी राजग में वापसी की अटकलों के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, हम 18 जून को अपनी पार्टी की कार्यकारिणी बैठक के बाद भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे। मैं इस महीने की शुरुआत में नीतीश कुमार से मिला था। मेरे साथ मेरी पार्टी के विधायक थे जो अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के बारे में कुछ चिंताओं को साझा करना चाहते थे। बैठक 45 मिनट तक चली और उस दौरान हमारी पार्टी का जदयू में विलय पर मुख्यमंत्री जोर देते रहे। संयोग से नीतीश कुमार से कुछ साल बड़े मांझी ने कहा, मैंने उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, यहां तक कि उन्हें मजाक में कहा कि उम्र उनके ऊपर हावी होती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जब नीतीश विलय की बात पर अड़े रहे, तो उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है, तब कहा गया- तो बेहतर होगा कि आप बाहर चले जाएं। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक ने दावा किया, मुझे उसी दिन गया जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए रवाना होना था और 12 जून को लौटना था। मुख्यमंत्री ने मुझे उनके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने और वापस आने पर उन्हें बताने के लिए कहा। 12 जून को मैं उनसे दोबारा मिला और विलय के लिए सहमत होने में अपनी असमर्थता से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने फिर कहा कि अगर ऐसा है तो आप यहां से चले जाइए। इसलिए मैंने अपने बेटे से अगले ही दिन इस्तीफा देने को कहा। बता दें कि राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चैधरी ने दावा किया कि सुमन ने व्यक्तिगत कारणों से एक साथ रहना मुश्किल बताया था। संतोष सुमन ने उन्हें ही अपना त्याग पत्र सौंपा था। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा अपनी पार्टी की तुलना छोटी दुकान से किए जाने पर भी मांझी ने कहा, यह उनके लिए उपयुक्त भाषा है, जिनके लिए सब कुछ बिकाऊ है। उन्होंने कहा कि जदयू को याद रखना चाहिए कि यह कहना व्यर्थ है कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा महागठबंधन से बाहर है, क्योंकि पार्टी कभी भी गठबंधन में शामिल नहीं हुई थी और हमारी वफादारी केवल नीतीश कुमार के साथ टिकी हुई थी। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर कि नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने में मदद करके उन्हें सम्मान दिया, मांझी ने कहा, राजद के युवा नेता में क्षमता है, लेकिन वह स्पष्ट रूप से पूरी कहानी से अवगत नहीं हैं। मांझी ने कहा, नीतीश ने मेरे गुणों के कारण मेरा समर्थन नहीं किया। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार पर शर्म महसूस कर रहे थे। वह लाइमलाइट से दूर रहना चाहते थे और अपनी जगह किसी ऐसे व्यक्ति को रखना चाहते थे, जिसे वह लचीला मानते थे। लगभग दो महीने तक मैंने उनकी सलाह के अनुसार काम किया।
उधर, नीतीश कुमार की अगुवाई में 23 जून को पटना में होने वाली बैठक को लेकर बीजेपी ने भी रणनीति बना ली है। बिहार बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की अगुवाई में हुई। इस बैठक में विपक्षी दलों की बैठक के काउंटर अटैक प्लान पर चर्चा हुई। बीजेपी विपक्षी एकता की बैठक के दूसरे दिन से ही दो बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। विपक्ष की बैठक के अगले ही दिन 24 जून को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार का दौरा करेंगे। झंजारपुर में उनकी जनसभा होगी। इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह 29 जून के बिहार के लखीसराय में रैली कर विपक्ष के जवाब देंगे। बैठक में लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति पर चर्चा हुई। चुनाव में संभावित सहयोगियों को लेकर भी चर्चा की गई है। इसके अलावा मोदी सरकार के नौ साल पर चल रहे महासंपर्क अभियान की समीक्षा भी की गई। बीजेपी की कोशिश है कि हर दृष्टिकोण और राजनीतिक दांव-पेंच के साथ महागठबंधन को घेरा जाए। इसके अलावा पार्टी समर्थकों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी उत्साहित रखने में यह पहल संदेशपरक साबित होगी। बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चैधरी ने मीडिया से कहा कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक में चर्चा हुई है। हम लोग 30 मई से 30 जून तक जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। इसमें सभी जिलों में हम लोग जाकर कार्यक्रम कर रहे हैं। 24 जून को झंझारपुर लोकसभा सीट में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यक्रम होगा। इसमें काफी संख्या में लोग उपस्थित होंगे। दूसरा कार्यक्रम 29 जून को मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में होगा जिसमें गृह मंत्री अमित शाह आएंगे। यह विशाल कार्यक्रम होगा। इसके साथ ही भाजपा की टिफिन बैठकें भी हो रही हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 9 वर्ष पूर्ण होने पर हिमाचल प्रदेश के झंडूता विधानसभा क्षेत्र में एक टिफिन बैठक में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री के 9 वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में संगठनात्मक चर्चा की गई। भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल की है। इसके अंतर्गत 48.27 करोड़ से अधिक जनधन खाते देश में खोले गए हैं। देश भर में लाभार्थियों के बैंक खातों में 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर किया गया है इस प्रक्रिया से 2.73 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित बचत इस प्रक्रिया से हुई है। प्रधानमंत्री किसान योजना 2019 में लॉन्च की गई थी किसानों को तीन समान किस्तों में हर वर्ष 6000 रुपये प्राप्त होते हैं। पहली बार
पूरे देश में प्रत्यक्ष नकद समर्थन शुरू किया गया। प्रधानमंत्री किसान योजना के अंतर्गत अब तक 11.39 करोड से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। इन उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। (हिफी)