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ह्वाइट हाउस में दिखी भारत की कूटनीतिक सफलता

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका के ह्वाइट हाउस मंे जिस प्रकार से भव्य स्वागत किया गया और विभिन्न क्षेत्रों मंे समझौते हुए, उनसे हमारे कूटनीतिक सिद्धांतों की सफलता दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले रेड कार्पेट बिछवाया, जो वहां खुशनसीब मेहमानों को ही मयस्सर होता है। पीएम मोदी ने भी अमेरिका के प्रति भारत की आत्मीयता को पूरी तरह खोलकर सामने रखा। मोदी ने कहा भारत और अमेरिका के डीएनए मंे प्रजातंत्र शामिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा भारत की कूटनीतिक विजय को दर्शाती है। हमारे कुछ पड़ोसी देशों को इससे चिढ़ भी महसूस हो रही होगी लेकिन रूस जैसे देशों से मित्रता पर रंचमात्र भी असर नहीं पड़ा है। अमेरिका मंे जो बाइडेन का सम्मान बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने भी कहा कि आप बोलने मंे सौम्य लेकिन ऐक्शन में सख्त हैं। भारत-अमेरिका के बीच कई अहम समझौते हुए हैं।
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की राजकीय यात्रा के बारे में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी मुख्य रूप से दो कार्यक्रम में शामिल हुए। पहला कार्यक्रम वाशिंगटन के एक कम्युनिटी कॉलेज में फर्स्ट लेडी के साथ हुआ, जो कि भविष्य कौशल पर आधारित था। उसके बाद शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी के साथ व्हाइट हाउस में बैठक की। पीएम और राष्ट्रपति बाइडेन ने औपचारिक स्वागत के बाद चर्चा की, तो चर्चा में प्रौद्योगिकी बहुत प्रमुखता से शामिल थी। संयुक्त बयान में पहचाने गए प्रौद्योगिकी साझेदारी के 20-25 क्षेत्र दोनों नेताओं के बीच चर्चा का खास विषय रहे। भारत और अमेरिका के बीच कई अहम समझौते हुए हैं। दोनों देशों के बीच सेमी कंडक्टरों को लेकर समझौता हुआ है। तकनीकी ट्रांसफर की सुविधा अमेरिका ने किसी को नहीं दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को चीन का वर्चस्व रोकने के लिए एक साथ चाहिए। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने चर्चा की, तो दोनों के बीच ऐसी वैश्विक चुनौतियों के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने कहा कि 9/11 के दो दशक और 26/11 के एक दशक के बाद भी आतंकवाद की समस्या वैश्विक समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। स्पष्ट रूप से, वह जिस बात पर प्रकाश डाल रहे थे, वो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह पहचानने की आवश्यकता थी कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं, आतंकवाद का समर्थन करते हैं, वे हमारे समाज की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं और उनसे बहुत सख्ती से निपटना होगा।
निश्चित रूप से भारत और अमेरिका के संबंध एक नये दौर में प्रवेश कर रहे हैं। दोनों देश मिलकर भविष्य की योजनाएं तैयार कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक के बाद कहा कि भारत और अमेरिका वर्ष 2024 तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने के लिए गठजोड़ कर रहे हैं। भारत और अमेरिका एक साथ विकास के लिए करीब-करीब हर मानवीय प्रयासों में गठजोड़ कर रहे हैं। बाइडेन ने कहा, कैंसर, मधुमेह जैसी बीमारियों के परीक्षण एवं उपचार के नये रास्ते तैयार करने में गठजोड़ से लेकर मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान और 2024 तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने आदि में गठजोड़ कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 1967 के बाह्य अंतरिक्ष संधि पर आधारित अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण को दिशानिर्देशित करने के लिए तैयार किये गये गैर-बाध्यकारी सिद्धांतों का एक ‘सेट’ है। यह 2025 तक चंद्रमा पर मानव को फिर से भेजने का अमेरिका नीत प्रयास है, जिसका लक्ष्य मंगल और अन्य ग्रहों तक अंतरिक्ष का अन्वेषण करना है।
सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियां भारत में सेमीकंडक्टर व्यवस्था के निर्माण के लिए गठजोड़ कर रहे हैं। अमेरिकी चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने कहा कि माइक्रोन गुजरात में सेमीकंडक्टर परीक्षण एवं असेंबली संयंत्र लगाएगी और इसके माध्यम से कुल 2.75 अरब डॉलर का निवेश होगा। माइक्रोन ने कहा कि दो चरणों में विकसित किए जाने वाले इस संयंत्र पर वह अपनी तरफ से 82.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी, बाकी राशि का निवेश केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा।
रक्षा के क्षेत्र मंे एक ऐतिहासिक समझौते में जीई एयरोस्पेस ने भारतीय वायुसेना के हल्के लड़ाकू विमानों एमके2 तेजस के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजनों का उत्पादन करने के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते में भारत में जीई एयरोस्पेस के एफ414 इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन शामिल है, और जीई एयरोस्पेस इसके लिए आवश्यक निर्यात अधिकार हासिल करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ काम कर रही है। भारत द्वारा जनरल एटॉमिक्स के डफ-9 रीपर हथियारबंद ड्रोन की खरीद पर मेगा डील की घोषणा भी हुई है। यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल हिन्द महासागर में, बल्कि चीन के साथ सीमा पर भी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को और मजबूत करेगा। दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका बेंगलुरू और अहमदाबाद में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलेगा, जबकि भारत सिएटल में एक मिशन स्थापित करेगा। अमेरिका अब ऐसा एच-1बी वीसा पेश करने के लिए तैयार है, जिसे देश में रहकर ही रीन्यू किया जा सकेगा। यह एक अहम फैसला है, जो अमेरिका में रहने वाले हजारों भारतीय पेशेवरों को अपने वर्क वीसा के नवीनीकरण के लिए विदेश यात्रा की परेशानी के बिना अपनी नौकरी जारी रखने में मदद करेगा।
बहुप्रतीक्षित एच-1बी वीसा गैर-अप्रवासी वीसा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को ऐसे विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है, जिनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता
की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे
देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर हैं। (हिफी)

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