इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के
इश्क की सीमा में कतई न बांधें वरना
प्रेम के महत्व को भारत से ज्यादा कौन समझता है। संत कबीर ने कितनी अच्छी बात कही है कि-
पोथी पढ़-पढ़ जुग मुआ, पंडित भया न कोइ।
ढाई आखर प्रेम का पढ़ै, सो पंडित होइ।।
अर्थात बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़ने के बावजूद अगर ढाई अक्षर वाले शब्द प्रेम को नहीं समझ पाए तो उसे विद्वान नहीं कहा जा सकता। इसी प्रेम को रोम के सेंट वैलेेन्टाइन डे मनाया जाता है। इस पाश्चात्य त्योहार को पूर्वी दुनिया के देशों ने भी उसी रूप में अपना लिया है। इससे सेंट वैलेन्टाइन की भावना भी उसमें नहीं रह गयी और उच्छंखलता व अश्लीलता का प्रदर्शन ज्यादा होने लगा है। प्रेम को भी सिर्फ किशोर-किशोरियों और युवक-युवतियों तक सीमित कर दिया गया और यह मान लिया गया कि बैलेन्टाइन डे मनाने का सिर्फ उन्हें ही अधिकार है जबकि प्रेम सिर्फ इंसानों के बीच ही नहीं बल्कि इंसानों और जानवरों और प्रकृति के बीच भी निरंतर बना रहना चाहिए। हम सभी एक दूसरे पर अर्पित भी हैं। यह बात रोमन सम्राट क्लाॅडियस नहीं समझ पाये और भ्रम पाल लिया कि अविवाहित पुरुष विवाहित पुरुषों की तुलना में बेहतर सैनिक होते हैं। प्रेम विवाहितों के बीच हो अथवा अविवाहितों के बीच उसका अपना महत्व होता है। सेंट वेलेन्टाइन ने यही समझाने का प्रयास किया था और अपनी बात को सही साबित करने के लिए अपनी जान की कुर्बानी भी दी थी।
वेलेंटाइन डे संत वेलेंटाइन की याद में मनाया जाता है, ऐसा माना जाता है की तीसरी सदी के रोम में क्लाडियस नामक राजा का शासन था, उसने पूरे राज्य में ये आदेश जारी कर दिया की उसका कोई भी अधिकारी या सैनिक विवाह नहीं करेगा, उसने युवा पुरुषो के विवाह को गैर कानूनी घोषित कर दिया क्योकि उसका मानना था की अविवाहित पुरुष ज्यादा बेहतर सैनिक साबित हो सकता है। सेन्ट वैलेन्टाइन ने इसका विरोध किया था। निश्चित रूप से यह रोमन राजा की सनक थी लेकिन फरवरी मंे वैलेन्टाइन डे मनाने के कई और कारण भी हैं। बसंत ऋतु में मन मयूर नृत्य करने लगता है और हमारे देश मंे भी फागुन की हवा रसीली मानी जाती है। बसंत पंचमी से होलिकोत्सव की शुरुआत हो जाती है। इस प्रकार यह प्रेम का मौसम कहा जाता है। दुनिया का हर बंधन प्यार से बना होता है, अगर प्यार न हो, तो जिन्दगी में खुशियाँ नहीं हो सकती, वैसे प्यार का इजहार कभी वक्त या मुहूर्त देखकर नहीं किया जाता, प्यार बिन बोले ही बयाॅ हो जाता है, प्यार अहसास का एक ऐसा समुंदर है, जिसमे अगर तूफान भी आये, तो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. प्यार त्याग, विश्वास की एक ऐसी डोर है, जिसे बस महसूस कर सकते है, जिसे शब्दों में पिरोना आसान नहीं।ऐसे ही प्यारे अहसास को जब एक त्यौहार वैलेन्टाइन डे के रूप में मनाया जाता है, तब वह दिन एक यादगार दिन बन जाता है. जीवन में जब सब कुछ प्यार ही है। तो इस अनमोल अहसास को वक्त देना भी बहुत जरुरी है और वक्त शायद इस भाग दौड़ की दुनिया में कही खो गया है, वक्त एक ऐसा पंछी है, जो अगर हाथ से निकल गया, तो वापस नहीं आता और जिन्दगी में वक्त सुन्दर यादों में ही कैद हो पाता है। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 14 फरवरी के दिन वेलेंटाइन डे मनाया जाता है। वेलेंटाइन डे को प्रेम दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन प्रेमी युगलों के लिए एक उत्सव की तरह होता है, जब खास तौर से अपने प्रिय को प्रेम अभिव्यक्त किया जाता है।
वेलेंटइन डे की शुरुआत अमेरिका में सेंट वेलेंटाइन की याद में हुई थी। इसीलिए सर्वप्रथम यह दिन अमेरिेका में ही मनाया गया, फिर इंग्लैंड में इसे मनाने की शुरुआत हुई। इसके बाद यह पूरे विश्व में धीरे-धीरे मनाया जाने लगा। कुछ देशों में इसे अलग-अलग नामों के साथ भी मनाया जाता है। चीन में इसे नाइट्स ऑफ सेवेन्स वहीं जापान व कोरिया में वाइट डे के नाम से
जाना जाता है और पूरा फरवरी माह प्रेम का महीना माना जाता है। भारत में वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत सन 1992 के लगभग हुई थी, जिसके बाद इसका चलन यहां भी शुरू हो गया। वेलेंटाइन-डे मूल रूप से सेंट वेलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। हालांकि सेंट वेलेंटाइन के बारे में ऐतिहासिक तौर पर अलग-अलग मत देखने को मिलते हैं। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
वहीं 1260 में संकलित की गई ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन नामक पुस्तक में भी सेंट वेलेंटाइन का जिक्र किया गया है जिसके इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती। इसी के चलते उसने आदेश जारी किया कि उसका कोई भी सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा लेकिन संत वेलेंटाइन ने इस आदेश का न केवल विरोध किया बल्कि शादी भी की।
यह विरोध एक आंधी की तरह फैला और सम्राट क्लॉडियस के अन्य सैनिकों और अधिकारियों ने भी विवाह किए। इस बात से गुस्साए क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। ऐसा भी कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को अपनी आंखें दान कर दी थी और साथ ही एक पत्र भी लिखकर छोड़ा था जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था तुम्हारा वेलेंटाइन। सेंट वेलेंटाइन के इस निस्वार्थ प्रेम और त्याग ने भी लोगों का दिल जीता। वेलेंटाइन डे भले ही 14 फरवरी के दिन मनाया जाता है, लेकिन इसका उत्साह माह की शुरुआत से ही युवाओं में होता है। वेलेंटाइन डे के एक सप्ताह पहले यानि 7 फरवरी से ही वेलेंटाइन सप्ताह शुरु हो जाता है, जिसका हर दिन प्रेम का प्रतीक एवं इसी थीम पर आधारित होता है। 7 फरवरी रोज डे से वेलेंटाइन सप्ताह शुरू होता है, जो 8 फरवरी प्रपोज डे, 9 फरवरी चॉकलेट डे, 10 फरवरी टेडी डे, 11 फरवरी प्रॉमिस डे, 12 फरवरी हग डे, 13 फरवरी किस डे और 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे तक प्यार के एहसास के साथ मनाया जाता है। हालांकि बाद में इसमें कुछ और भी दिन जोड़ दिए गए जिसके अनुसार यह उत्सव ब्रेकअप दिवस पर समाप्त होता है, लेकिन अभी इनका चलन उतना नहीं है और प्रेम को ब्रेकअप अर्थात विच्छेद तक न ले जाएं तभी बेहतर होगा। सबसे बड़ी बात यह कि हम प्रेम के महत्व को समझें और सिर्फ इंसानों तक ही इसे सीमित न रखें। पर्यावरण से प्रेम करें जिसे हमें स्वास्थ्यप्रद वातावरण मिल सके। पशुआंे से प्रेम करें जिससे जैव विविधता कायम रह सके और प्यार को इश्क की सीमा में कतई न बांधें वरना गालिब की यह शेर याद आ जाएगी-
इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के (हिफी)