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केजरीवाल व सक्सेना फिर भिड़े

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

केन्द्र शासित विधानसभा वाले प्रदेश दिल्ली मंे उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच झगड़े का नया मुद्दा मिलता ही रहता है। केन्द्रीय गृहमंत्रालय के निर्देश पर काम करने वाले उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने केन्द्र सरकार के अधिनियम से मिली नयी ताकत दिखाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति उमेश कुमार को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) का चेयरमैन तैनात कर दिया तो मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इसका विरोध किया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया जिसने लगभग एक महीने पहले ही दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों की व्याख्या दी थी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति उमेश कुमार के शपथ लेने पर 11 जुलाई तक रोक लगाकर मुख्यमंत्री केजरीवाल का ही पक्ष मजबूत किया है। दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच पंगा सिर्फ एक मुद्दे पर ही नहीं है बल्कि उपराज्यपाल सक्सेना ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों मंे नियुक्त 400 विशेषज्ञ हटाने का फैसला किया। अरविन्द केजरीवाल की सरकार इससे भी नाराज है। एक नया मामूला दिल्ली एमसीडी और गाजियाबाद विकास प्राधिकरणस के बीच भी छिड़ गया है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की मेयर सुनीता दयाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली एमसीडी का कूड़ा उनके क्षेत्र मंे डम्प किया जा रहा है जबकि दिल्ली की मेयर शैली ओबेराय ने इससे इनकार किया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच विवादों की कड़ी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति उमेश कुमार दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन फिलहाल शपथ नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने शपथ को 11 जुलाई तक टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार का या उपराज्यपाल का है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्त लगभग 400 विशेषज्ञों की सेवाओं को समाप्त कर दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने बयान जारी किया। दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस नियुक्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए। ये दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है। केंद्र अध्यादेश ला सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो कुछ भी करे। दिल्ली में चुनी हुई सरकार के तहत ये नियुक्ति आती है। दिल्ली सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है। एलजी का ये कदम चैंकाने वाला है। केंद्र सरकार अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अध्यादेश ले आई और एलजी ने उसके तहत नियुक्ति कर दी, यह सही नहीं है, क्योंकि दिल्ली का प्रशासन दिल्ली सरकार को चलाना है। दिल्ली सरकार वोटरों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन उसके पास कदम उठाने का अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा, क्या चेयरमैन शपथ वे चुके हैं? सिंघवी ने इस पर जवाब दिया- उनको गुरुवार को शपथ लेनी है। इस नियुक्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए। सिंघवी ने कहा दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट फ्री बिजली देने की योजना शुरू की। उपराज्यपाल द्वारा उस स्कीम को बंद करने की कोशिश है। केंद्र सरकार ने वकील सिंघवी की इस दलील का विरोध किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा न करें। तथ्यों पर दलील दीजिये। कोई भी फ्री बिजली को रोक नहीं रहा है।
इससे पूर्व दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्त लगभग 400 विशेषज्ञों की सेवाओं को समाप्त करने का फैसला किया। इसके बाद आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने कहा, उपराज्यपाल दिल्ली को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। उन्होंने इन 400 टैलेंटेड यंग प्रोफेशनल को केवल इसलिए बर्खास्त करने का फैसला किया है, क्योंकि इन सभी ने दिल्ली सरकार के साथ जुड़ने का फैसला किया। उपराज्यपाल ने यह फैसला लेते समय नेचुरल जस्टिस के किसी भी सिद्धांत का पालन नहीं किया। केजरीवाल सरकार ने अपने बयान में कहा, एलजी के पास ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं है। वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य दिल्ली सरकार को पैरालाइज बनाने के लिए हर दिन नए तरीके ढूंढना है, ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो। दिल्ली सरकार ने कहा कि जिन ‘‘विशेषज्ञों’’ की सेवाओं को समाप्त करने का फैसला एलजी ने किया है, वे आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, एनएएलएसएआर, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, कैम्ब्रिज जैसे टॉप कॉलेजों और यूनिवर्सिटी से पढ़े थे। वे दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में शानदार काम कर रहे थे। इन विशेषज्ञों को उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक मानदंडों का पालन करते हुए सेवाओं में शामिल किया गया था।
नया विवाद कूड़े का है। पूर्वी दिल्ली का सैकड़ों टन कूड़ा गाजियाबाद के मोरटा में डंप करने का भंडाफोड़ हुआ है। औचक निरीक्षण में महापौर सुनीता दयाल ने एमसीडी के नौ ट्रक पकड़े हैं। तीन ट्रकों को नंदग्राम थाने और छह ट्रक पाइपलाइन पुलिस चैकी पर जब्त कराया गया हैं। मोरटा में गार्बेज फैक्टरी का संचालन करने वाली जीरॉन कंपनी के खिलाफ महापौर के निर्देश पर नंदग्राम थाने में तहरीर दी गई है। महापौर ने बताया कि पिछले काफी समय से उन्हें शिकायत मिल रही थी कि दिल्ली का कूड़ा गाजियाबाद में डंप किया जा रहा है। उन्होंने नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमके सिंह और पार्षद राजीव शर्मा के साथ फैक्टरी का निरीक्षण किया। यहां पता चला कि दिल्ली का कूड़ा पास में ही डंप किया जा रहा है। राजनगर एक्सटेंशन में एमसीडी के तीन डंपर मोरटा कूड़ा ले जाते मिले। ग्रामीणों ने भी बताया कि रात के समय भी एमसीडी के ट्रक कूड़ा लेकर साइट पर आ रहे हैं। पाइप लाइन चैकी के पास मकरेड़ा के पास एमसीडी के छह ट्रक मिले। बताया गया कि ये सभी ट्रक कूड़ा डालकर लौट रहे हैं। महापौर ट्रकों के साथ नंदग्राम थाने पहुंचीं। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है गाजियाबाद में कूड़ा डंप कर रहे दिल्ली नगर निगम के ट्रकों को जब्त कर लिया गया है। भविष्य में भी अगर ये काम जारी रहा तो हम दिल्ली सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। (हिफी)

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