केटी रामाराव का सवाल मौजू

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
पटना मंे भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों की बैठक के बाद तेलंगाना के प्रभावशाली युवा ने केटी रामाराव ने बहुत सही सवाल उठाया है। वह कहते हैं कि किसी राजनीतिक दल को सत्ता से बेदखल करने की लड़ाई जुनूनी हो सकती है लेकिन यह लड़ाई प्रकुख मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए। केटी रामाराव वहां सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (पूर्व मंे तेलंगाना, राष्ट्र समिति) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। पार्टी के संस्थापक के। चन्द्रशेखर राव के बेटे हैं। परिवारवादी राजनीति के चलते ही तेलंगाना मंे भी चंद्रशेखर राव ने अपना उत्तराधिकारी बना दिया है। इस राज्य में कांग्रेस से चन्द्रशेखर राव ने सत्ता छीनी है। पहले तेलंगाना आंध्र प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। कांग्रेस के हाथ से दोनों राज्य चले गये, इसलिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश मंे सत्तारूढ़ दलों के लिए कांगे्रस भी भाजपा से कम बड़ी दुश्मन नहीं है। केटी रामाराव विपक्षी दलों की एकता का सीधे-सीधे विरोध नहीं कर सकते लेकिन देश के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर एकता बनाने की बात करते हैं। रोजगार, किसानों की समृद्धि, सिंचाई और ग्रामीण आजीविका को लेकर विपक्षी दल मिलकर क्या करेंगे, यह स्पष्ट नहीं है। इसके विपरीत मतभेद ज्यादा उभरे हैं। इस राज्य मंे विधानसभा के चुनाव भी इसी साल होने हैं।
भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष के।टी। रामा राव ने गत 25 जून को कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ाई देश के समक्ष उपस्थित ‘‘प्रमुख मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा लगता है कि वे सत्ता से ‘‘किसी को बेदखल’’ करने को लेकर ‘‘जुनूनी’’ हो गये हैं। पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित विपक्षी दलों की बैठक के कुछ दिन बाद उनका यह बयान आया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के।सी। चन्द्रशेखर राव के बेटे एवं राज्य के मंत्री राव ने कहा कि उनकी पार्टी देश के कल्याण से जुड़े मूल सिद्धांतों के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं करेगी, वह केवल उन राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करेगी जिनका एजेंडा लोगों के हित के लिए काम करना हो। राव ने कहा, ‘‘लड़ाई भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि देश के सामने प्रमुख मुद्दों पर होनी चाहिए। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है। ऐसा लगता है कि हम किसी को हटाने या किसी को वहां बैठाने को लेकर जुनूनी और चिंतित हैं। एजेंडा यह नहीं होना चाहिए। एजेंडा यह होना चाहिए कि देश की बुनियादी प्राथमिकताओं को कैसे पूरा किया जाए। वर्ष 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के लिए एकता बनाने के वास्ते पटना में 23 जून को आयोजित 17 विपक्षी दलों की बैठक पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘आपको किसी के खिलाफ एकजुट नहीं होना चाहिए। आपको किसी चीज के लिए एकजुट होना चाहिए। वह क्या है, कोई भी समझ नहीं पा रहा है। बीआरएस विपक्षी दलों की इस बैठक में शामिल नहीं हुआ था। राव ने संकेत दिया कि बीआरएस अपने दम पर वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार है और वह बड़ी संख्या में सीट जीतने का लक्ष्य रखते हुए एक प्रभावशाली शुरुआत करने की कोशिश करेगी।
तेलंगाना में पिछले दो विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर पिछले अक्टूबर में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) रखा गया था। दो महीने बाद इसे एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पंजीकृत किया गया। राज्य में अगला विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस या भाजपा को आधार बनाकर कोई भी संयुक्त मोर्चा सफल नहीं होगा, क्योंकि ये राष्ट्रीय पार्टियां देश के लिए ‘‘आपदा’’ साबित हुई हैं। राव ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों को सैद्धांतिक कल्याण के एजेंडे पर एकजुट होना चाहिए जो देश के लिए मायने रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के लिए जो मायने रखता है वह रोजगार, किसानों की समृद्धि, सिंचाई और ग्रामीण आजीविका का सृजन है। ये ऐसी चीजें हैं जो मायने रखती हैं, हिजाब या हलाल और धर्म के इर्द-गिर्द ‘‘बकवास’’ नहीं।
राव ने जोर देकर कहा कि बीआरएस भारत के विकास में बाधा डालने वाले दलों का विरोध करती है। उन्होंने कहा, ‘‘वे दो प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस हैं। कांग्रेस ने 50 साल तक शासन किया, जबकि
भाजपा ने 15 साल तक। अगर दोनों ने ठीक से काम किया होता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। राव ने दावा किया कि देश के पिछड़ने और पिछले 75 वर्षों में उतनी प्रगति न होने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि नया राज्य होने के बावजूद तेलंगाना ने बहुत कम समय में काफी प्रगति की है।
केटी रामाराव की कांग्रेस से नाराजगी जायज भी है। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति को विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। पूर्व सांसद पी श्रीनिवास रेड्डी और तेलंगाना सरकार के पूर्व मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव समेत प्रदेश के 35 नेता कांग्रेस में शामिल होंगे। इन नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने 100 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 25 लाख लोगों को रजिस्टर्ड करने का लक्ष्य रखा है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 20 हजार से 30 हजार तक समर्थकों का रजिस्ट्रेशन होगा। 2 जून को राज्य का स्थापना दिवस मनाते समय तेलंगाना आंदोलन में कांग्रेस की सक्रिय भूमिका और सोनिया गांधी के योगदान के बारे में लोगों को एक बार फिर याद दिलाया गया।
श्रीनिवास रेड्डी खम्मम से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। कृष्ण राव तेलंगाना की के. चंद्रशेखर राव सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। इन दोनों नेताओं को कुछ महीने पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में भारत राष्ट्र समिति से निलंबित कर दिया गया था। पूर्व सांसद पी श्रीनिवास रेड्डी और पूर्व मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव अपने समर्थकों के साथ जुलाई के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय नेताओं की मौजूदगी में औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे। बता दें कि तेलंगाना विधानसभा में 119 सीटें हैं। राज्य में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होंगे।
यही कारण है कि भारत राष्ट्र समिति ने केंद्र द्वारा बुलाई गई बैठकों के बहिष्कार के अपने दो साल के दौर को समाप्त कर दिया है। मणिपुर की स्थिति को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में केसीआर के पार्टी के नेता ने हिस्सा लिया। पार्टी की तरफ से ऐसा कदम इस समय उठाया गया। जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के।चंद्रशेखर राव, जो भाजपा के खिलाफ समान विचारधारा वाले दलों को एकजुट करने के प्रयासों में सबसे आगे रहे थे, ने विपक्षी एकता की कवायद से
अपने आप को अलग कर लिया है। केसीआर अब तेलंगाना विकास मॉडल पेश करने पर ध्यान केंद्रित कर
रहे हैं। (हिफी)