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नीतीश ने विपक्ष को इकट्ठा तो किया

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

बिहार के पटना मंे लगभग डेढ़ दर्जन विपक्षी दलों के नेता एकत्र तो हो गये थे लेकिन बैठक से पहले जिस तरह के बादल छाए थे, वे सब कुछ पानी-पानी कर सकते थे। उत्तर प्रदेश से प्रमुख विपक्षी दल बसपा की नेता मायावती ने तो इस बैठक को खुले तौर पर नकार दिया था। एक अन्य दल राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चैधरी ने निजी कारण का सहारा लिया। सबसे बड़ी घटा तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बन गये थे। बैठक से पहले ही उन्होंने चिट्ठी लिख दी कि अगर केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली राज्य को लेकर जारी अध्यादेश के खिलाफ कांगे्रस समेत सभी दल एक साथ नहीं आएंगे तो वह बैठक का बहिष्कार करेंगे। दिल्ली में बैठे कांग्रेस के नेता इस आग मंे घी डाल रहे थे। संदीप दीक्षित ने तो साफ-साफ कह दिया था कि केजरीवाल इस बैठक से बचने का बहाना ढूंढ़ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केजरीवाल को अध्यादेश पर समर्थन का आश्वासन तक नहीं दिया है। केजरीवाल इस कसक को छिपा भी नहीं पाये। संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में वह शामिल भी नहीं थे। विपक्षी दलों की इस बैठक के संयोजक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे। उन्हांेने इस मामले को गंभीरता से समझा और बैठक के दौरान कहा कि अगर एक राज्य के सामने कोई चुनौती आती है तो हम सब साथ रहेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी फिलहाल मदद की जरूरत है। इस प्रकार नीतीश कुमार ने बात संभाल ली वर्ना केजरीवाल को मजबूरन बैठक का बहिष्कार करना पड़ता। बहरहाल, भाजपा के खिलाफ लड़ाई मंे विपक्षी दल एक कदम चले हैं और अगली बैठक शिमला मंे होगी जिसमें विपक्षी दलों की एकता का कुछ आकार तो दिख ही जाएगा।
बिहार के पटना में बीती 23 जून को विपक्षी दलों की पूर्व निर्धारित महाबैठक हुई। इस बैठक में 30 से अधिक विपक्षी नेताओं ने हिस्सा लिया। इस मीटिंग में आगामी लोकसभा चुनाव-2024 में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर मैदान में उतरने की साझा रणनीति पर मंथन किया गया। विपक्षी दलों का ये महामंथन करीब 4 घंटे तक चला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी समेत कई दिग्गजों ने बैठक में भाग लिया
बैठक में किसी ठोस निर्णय की अपेक्षा पहले से नहीं थी लेकिन नया विवाद खड़ा होने की आशंका केजरीवाल ने पैदा कर दी थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश बचाने के लिए कांग्रेस बलिदान देने को तैयार है। विपक्ष की बैठक की बड़ी बात यह कि हम सब साथ हैं। बीजेपी और आरएसएस हिंदुस्तान की नींव पर आक्रमण कर रही है। यह विचारधारा की लड़ाई है और हम साथ खड़े हैं। हमने निर्णय लिया है कि हम एक साथ काम करेंगे और अपनी सामान्य विचारधारा की रक्षा करेंगे। यह विपक्षी एकता की प्रक्रिया है जो आगे बढ़ेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम सभी एक साथ लड़ने के लिए एक आम एजेंडे पर आने की कोशिश कर रहे हैं। हम अगली बार 10 या 12 जुलाई को शिमला में फिर मिलेंगे। 2024 के लोकसभा चुनावों को एक साथ लड़ने के लिए साझा एजेंडे को अगली बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा। हमें हर राज्य में अलग-अलग तरह से काम करना पड़ेगा। केजरीवाल का भड़कना स्वाभाविक था।
इसलिए एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे और हम पिछले 25 सालों से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सब कुछ भूलकर हम साथ आए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में ये बैठक मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित हुई थी।
इस बैठक के बाद ज्वाइंट पीसी में नीतीश कुमार ने कहा कि आज की विपक्ष की बैठक में देश की सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भाग लिया। यह एक अच्छी बैठक थी जिसमें मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया। मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में अगली बैठक होगी। एकसाथ चलने पर बात हुई है। अगली मीटिंग, अंतिम मीटिंग होगी। हम सब साथ रहेंगे, हम बीजेपी को 100 सीटों पर रोकेंगे। हम सब साथ रहे तो बीजेपी जरूर पराजित होगी। नीतीश ने केजरीवाल की पीड़ा भी समझी।
नीतीश कुमार ने कहा कि अगली बैठक में तय होगा कि कौन कहां लड़ेगा। जो शासन में है वे देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। वे सब इतिहास बदल रहे हैं। हम सबका अभिनंदन करते हैं। हम सभी विपक्षी पार्टियों ने ये निर्णय लिया है कि हम आगे से सभी एक साथ मिलकर लड़ेंगे। बीजेपी देश का इतिहास बदल रही है। अगर यह देश में फिर से जीत कर आ जाते हैं तो देश का संविधान भी बदल देंगे। पटना में विपक्षी दलों की बैठक के समापन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि ये अच्छी मुलाकात रही। एक साथ चलने की सहमति बनी है। अगली मीटिंग मल्लिकार्जुन खड़गे अगले महीने करेंगे, जो शासन में हैं वो देशहित में काम नहीं कर रहे हैं। जो काम हो रहा है, उसको लेकर चिंता है। अगर एक राज्य के सामने कोई चुनौती आती है तो सब साथ रहेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगली बैठक कुछ दिन के बाद सब पार्टियों की फिर से की जाएगी। अगली बैठक में तय होगा की कौन कहां लड़ेगा, जो शासन में है वे देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। वे सब इतिहास बदल रहे हैं। केजरीवाल को राहत मिली।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम 10 या 12 जुलाई को शिमला में फिर से मिल रहे हैं, जिसमें हम एक सामान्य एजेंडा तैयार करेंगे। हमें हर राज्य में अलग-अलग तरह से काम करना पड़ेगा। हम सभी का मकसद एक है कि हमें भाजपा को सत्ता से बाहर करना है। इसलिए हम सब साथ चल रहे हैं। पटना में विपक्षी नेताओं की महाबैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, जेडीयू नेता नीतीश कुमार, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, एनसी नेता फारुख अब्दुला, सीपीआई सचिव डी. राजा, सीपीएम सचिव सीताराम येचुरी और सीपीआईएमएल के महासचिव
दीपांकर भट्टाचार्य ने भी अपने विचार रखे। (हिफी)

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