कोर्ट ने छेड़छाड़ के आरोपित को 25 हजार के बांड पर किया रिहा

ग्वालियर। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने छेड़छाड़ के मामले में अपराधी परीक्षा अधिनियम के आधार पर फैसला दिया है। यदि किसी अपराध में न्यूनतम सजा का प्रविधान है और केस का अभियुक्त अपराधी परीक्षा अधिनियम के दायरे में आता है तो उसे अधिनियम का लाभ दिया जा सकता है। कोर्ट ने अपीलार्थी को 25 हजार के बांड पर रिहा करने का आदेश दिया है।
जितेंद्र के खिलाफ डबरा थाने में छेड़छाड़ का केस दर्ज हुआ था। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने चार अप्रैल 2022 को 354 में एक साल की सजा और 500 रुपये का जुर्माना लगाया था। आदेश के खिलाफ अपर सत्र न्यायालय में अपील दायर की गई। अपर सत्र न्यायालय से भी उसे राहत नहीं मिल सकी। इसके बाद हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर की। इस अपील में अपराधी परीक्षा अधिनियम के प्रविधानों को देखा गया। इस अधिनियम का लाभ तभी दिया जा सकता है, जब धारा में न्यूनतम सजा का प्रविधान है। आरोपित 21 वर्ष का है, उसमें भविष्य में सुधरने की संभावना है, वह अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि छेड़छाड़ के मामले में अपराधी परीक्षा अधिनियम का लाभ दिया जा सकता है, बांड पर रिहा किया जा सकता है।