चिंतामण गणेश का आशीर्वाद लेकर नए वर्ष का स्वागत
नीम मिश्रित जल से महाकाल को कराया स्नान

उज्जैन । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर नवसंत्सर नल 2080 का स्वागत नगरवासी सुबह 6 बजकर 27 मिनट पर सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर किया। शंख, ढोल नगड़े, शहनाई की मंगल ध्वनि हुई। संवत्सर सूक्त का वाचन किया गया। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल को नीम मिश्रित जल से स्नान कराया गया। मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया गया। आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र का भी आरंभ हो गया है। शक्तिपीठ हरसिद्धि सहित शहर के अन्य प्राचीन देवी मंदिरों में सुबह घट स्थापना की गई। शाम को हरसिद्धि, गढ़कालिका, भूखी माता मंदिर में दीपमालिका सजाई जाएगी।
चिंतामन गणेश मंदिर में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के संयोग में चैत्र मास की तीसरी जत्रा का आयोजन हो रहा है। भक्त हिन्दू नववर्ष के पहले दिन की शुरुआत भगवान चिंतामन गणेश के दर्शन से करेंगे। शाम को चैत्र महोत्सव के अंतर्गत गीत, संगीत व नृत्य की कला त्रिवेणी से सजी तीसरी शाम आयोजित होगी। नृत्यगुरु रितु शुक्ला व डा. तृप्ति नागर साथी कलाकारों के साथ प्रस्तुति देंगी। पं.शंकर पुजारी ने बताया तड़के 4 बजे मंदिर के पट खुले। इसके बाद भगवान चिंतामन गणेश का पंचामृत अभिषेक पूजन कर भगवान का पूर्ण स्वरूप में शृंगार किया गया। भगवान को छप्पन पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई। उज्जैन में शिप्रा नदी के रामघाट पर सूर्य को अर्घ्य देकर नववर्ष का स्वागत किया गया। यहां बंगाली समाज की महिलाओं ने शंख भी बजाया।
भक्त चिंतामन गणेश के दर्शन के साथ नववर्ष की शुरुआत कर रहे हैं। मंदिर प्रशासक अभिषेक शर्मा ने बताया शाम 6 बजे से तीसरी सांस्कृतिक सांझ नृत्य सिद्धा कथक अकादमी के कलाकार नृत्यगुरु रितु शुक्ला के साथ कथक की प्रस्तुति देंगे। पश्चात डा. तृप्ति नागर व साथी कलाकारों का गायन होगा।
विघ्नहर्ता गणेश चिंतामन गणेश मंदिर में पुराण प्रसिद्ध लक्ष्मण बावड़ी है। मान्यता है वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, सीता व लक्ष्मण जब उज्जैन आए, तो उन्होंने यहां विघ्नों के विनाश के लिए षड विनायक की स्थापना की। चिंतामन गणेश की स्थापना करते समय माता सीता को प्यास लगी। इस पर भगवान लक्ष्मण ने बाण चलाकर यहां पाताल गंगा को प्रकट किया, आज भी यहां लक्ष्मण बावड़ी अस्तित्व में है। पं. ईश्वर पुजारी ने बताया बावड़ी के मुहाने पर विघ्नहर्ता गणेश विराजित हैं। चिंतामन गणेश के दर्शन के बाद इनके दर्शन की मान्यता है।