नारी शक्तिहमारे होनहार

आपकी बेटी एक और अनीता न बन पाये

दहेज में शिक्षित लाड़ली दें

 

बेटी के केवल हाथ पीले करना ही आपका फर्ज नहीं है। उसके हाथों मंे शिक्षा का हथियार भी दीजिए। इस हथियार के साथ वह सुरक्षित रह सकेगी। जगाने की जालिम राहों से गुजर सकेगी। आपकी बेटी एक और अनीता न बन पाये, अपराध के पन्नों की शोभा न बने, उन बुराईयों को न छूने पाये जिनसे आपकी आंखें शर्म से झुक जायें तो आपको, हम सभी को ये संकल्प लेना होगा कि हम दंेगे दहेज में पूर्ण शिक्षा अपनी लाड़ली को।

कब तक हमारे समाज में लड़की को शिक्षा के प्रति जो उपेक्षापूर्ण नजरिया था उसमें तो बदलाव आया है मगर अब एक नई समस्या ने जन्म ले लिया है और वह है बेटी की पढ़ाई अधूरी छुड़ाकर मां-बाप द्वारा शादी की जल्दबाजी करना।
बस बहुत पढ़ ली। अब तेरे ससुराल वाले चाहें तो आगे पढ़ लेना। ये शब्द अक्सर आज उस घर में मां-बाप के मुंह से अपनी बेटी के लिए सुनाई दे जाते हैं जहां बेटी के लिये सुर्ना दे जाते हैं जहां बेटी का रिश्ता तय किया जा चुका होता है।
यूं यह एक छोटी सी बात है मगर क्या कभी आपने सोचा है कि आपकी यह सोच, आपका यह नजरिया आपकी बेटी के भविष्य से खिलवाड़ कर सकता है और आपकी लाड़ली आपको कोसने लग जाती है।
कारण है तालीम का अधूरा रह जाना। इस अधूरी तालीम के कारण कभी-कभी लड़कियांे को कितनी कठिनाईों के दौर से गुजरना पड़ता है। इसका एक उदाहरण है-अनीता।
लगभग 27-28 वर्षीय खूबसूरत अनीता की शादी आज से आ वर्ष पूर्व उस वक्त हुई थी जब वह बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी। शादी तय होते ही पिता ने इसकी आगे की तालीम का बोझ सुसराल वालों पर डालकर अपने हाथ खींच लिये।
शादी के बाद एक वर्ष तो अनीता का यहां-वहां घूमने-फिरने में ही गुजर गया। उसके बाद वह एक बच्चे की मां बन गयी। जाहिर है शिक्षा के बीच में गैप बढ़ाने और स्वयं की जिम्मेदारियां बढ़ने के फलस्वरूप उसकी शिक्षा के प्रति रूचि कम हुई। दूसरे घर में उसके अलावा सिर्फ पति और सास के होने से पति ने कौन सी नौकरी करनी है। कहकर शिक्षा की बात हमेशा के लिए बन्द कर दी। मगर वक्त की गति कौन जान सकता? एक हादसे में अनीता शादी के सिर्फ छः वर्ष बाद विधवा हो गयी।
पति की मौत के बाद अपने दो बच्चों के साथ-साथ सास के जीवन की जिम्मेदारी उस पर आ गयी लेकिन शिक्षा अधूरी छोड़ देने के कारण वह कोई अच्छी नौकरी न प सकी। परिणामस्वरूप आज वह एक छोटे से स्कूल में पढ़ाकर तथा कुछ ट्यूशन कर बेहद संघर्षमय जीवन व्यतीत कर रही है। उसे ाज इस बात का अफसोस है कि पढ़ाई में अव्वल रहने के बावजूद वह ग्रेजुएट न बन सकी और इसी कारण आज वह अपने पैरों पर मजबूती से खड़ी न हो सकी। इसका जिम्मेदार वह अपने मां-बाप को मानती है जिन्होंने उसकी शादी में जल्दबाजी की लेकिन यह समस्या सिर्फ पति की मौत से ही नहीं जुड़ी होती कई अन्य ऐसे अवसर होते हैं जब लड़की को समुचित शिक्षा की जरूरत महसूस होती है। जैसे -जैसे जब पति की निश्चित आय में परिवार का खर्च सुचारू रूप से नहीं चल पाता तो पत्नी सर्विस करना चाहती हो या पति-पत्नी के आपसी ताल्लुकाम समाप्त होने पर पत्नी द्वारा अपनी आजीविका चलाने के अवसर पर इसके अलावा भी कई ऐसे मौके होते हैं जब लड़की कुछ करना चाहती हो और शिक्षा की अयोग्यता ऐसा कर सकने में बाधक बनती है। इसके अलावा अपराध जगत से जुड़ी कुछ महिलाओं की पृष्ठभूमि जानने से यह ज्ञात होता है कि इन्हें अपराध में उतारने के पीछे शिक्षा की भी अप्रत्यक्ष भूमिका रही है।
जब एक कम पढ़ी-लिखी बेसहारा औरत मो अपने परिवार का पेट भरने लायक समुचित और उसके सामाजिक रतरानुरूप काम और पैसा नहीं मिलता तो कुछ तो मजबूरी में आकर अपराध जगत से जुड़ जाती हैं और कुछ अत्यधिक तनाव झेलते रहने के कारण स्वयं आत्महत्या या कभी-कभी बच्चों समेत मर जाने जैसे कदम उठा लेती है। विभिन्न समाचार पत्रों में इस तरह की अक्सर खबरें छपती रहती हैं।

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