कनाडा में चंद्र आर्य ने की पीएम पद की दावेदारी

कनाडा इस समय राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है। अब वो अगला नया नेता चुने जाने तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे। नए प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद वह प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। ऐसे में कई नेता अब पीएम पद की रेस में है। पीएम पद की रेस में अब एक नया नाम जुड़ गया है। यह नाम भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य का है। आर्य ने यह भी प्रस्तावित किया कि कनाडा का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद अगले 25 वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने सेवानिवृत्ति की आयु को दो वर्ष बढ़ाने और वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों को जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास की दिशा में प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर देने की बात की।
कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने 9 जनवरी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। चंद्र आर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनकर देश के पुनर्निर्माण और समृद्धि की दिशा में काम करना चाहते हैं। चंद्र आर्य ने लिखा, “मैं कनाडा के अगले प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ रहा हूं, ताकि अपने देश का पुनर्निर्माण कर सकूं और भावी पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित कर सकूं।” उन्होंने कहा कि कनाडा को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो बड़े और साहसिक निर्णय लेने से डरता न हो। आर्य ने यह भी कहा कि कनाडा को आज कठिन फैसलों की आवश्यकता है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके और सभी कनाडाई नागरिकों के लिए समान अवसर मिल सकें। चंद्र आर्य का जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ था और उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद, उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया। चंद्र आर्य की राजनीति में सक्रियता विशेष रूप से भारतीय समुदाय और कनाडा के समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर रही है। उन्होंने 2022 में कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में अपनी मातृभाषा कन्नड़ में भाषण दिया और टोरंटो में हिंदू मंदिरों की तोड़फोड़ के मामलों में भी मुखर रूप से अपनी आवाज उठाई। इस हमले के लिए उन्होंने खालिस्तानी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। अपने प्रधानमंत्री बनने के इरादे के बारे में आर्य ने कहा कि कनाडा को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो बड़े और साहसिक फैसले ले सके।