पाक की पड़ोसियों से दुश्मनी, बांग्लादेश से यारी

पाकिस्तान अपने पड़ोसियों से दुश्मनी करके बांग्लादेश से करीबी बढ़ा रहा है। पाकिस्तान की विदेश नीति के लिए यह मुश्किलों वाला दौर माना जा रहा है। पाकिस्तान के भारत के साथ तो पहले से ही संबंध खराब हैं, और अब उसने अफगानिस्तान और ईरान से भी दुश्मनी मोल ले ली है। बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट होने को पाकिस्तान ने एक महत्वपूर्ण मौके की तरह देखा। क्योंकि शेख हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश का झुकाव भारत की ओर था। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के आने के बाद भारत से संबंधों में खटास आई है। इस वैक्यूम को भरने के लिए पाकिस्तान आगे आ गया। स्थितियां अब यहां तक आ गई हैं कि दोनों देशों की सेनाएं आपस में बातचीत कर रही हैं।
जनवरी में ही बांग्लादेश की सेना के हाई लेवल अधिकारी पाकिस्तान पहुंचे। वहीं, हाल ही में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट्स भी बांग्लादेश पहुंचे हैं। भारत की इस स्थिति पर नजर है। हालांकि यह स्थिति कुछ उसी तरह है जैसा अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद हुआ था। तब भी पाकिस्तान की आईएसआई बेहद एक्टिव थी लेकिन स्थितियां आज ऐसी हो गई हैं कि पाकिस्तान की एयरफोर्स अफगानिस्तान में मासूम लोगों पर बम गिराती है। पाकिस्तान का आरोप है कि आतंकी अफगानिस्तान के जरिए उसके इलाकों पर हमला करते हैं। बांग्लादेश चाहता है कि पाकिस्तान के साथ उसके व्यापारिक सबंध बढ़ें। दिसंबर में पाकिस्तान का दूसरा मालवाहक जहाज बांग्लादेश पहुंचा। वहीं, पिछले सप्ताह पाकिस्तान में बांग्लादेश के उच्चायुक्त इकबाल हुसैन खान ने बांग्लादेश-पाकिस्तान के बीच जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने का प्रस्ताव दिया लेकिन बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान सिर्फ इस कारण दोस्ती बढ़ा रहा है, ताकि दो फ्रंट पर भारत को घेरा जा सके। पाकिस्तान-भारत सीमा के जरिए आईएसआई ड्रग्स और आतंकियों की सप्लाई भारत में करता है। बांग्लादेश में आईएसआई की बढ़त होना भारत को टेंशन दे सकती है। चीन को छोड़ दिया जाए तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह किसी देश के साथ लंबे समय तक अपनी दोस्ती नहीं चला पाता। 1971 की दुश्मनी का एक इतिहास है, जिस कारण यह देखने वाली बात है कि बांग्लादेश के साथ उसकी नई-नई दोस्ती कितनी टिक पाएगी।