विश्व-लोक

ट्रम्प के आने से पहले हिंडन ने बांधा बोरिया-बिस्तर

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को पद की शपथ लेने वाले हैं लेकिन, उनके व्हाइट हाउस पहुंचने के ठीक 3 दिन पहले ही ऐसी खबर आई है जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया तो कुछ लोग काफी खुश हो गए। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन ने इस रिसर्च फर्म को बंद करने का ऐलान कर दिया है। वैसे तो हिंडनबर्ग पिछले 7 साल से काम कर रही थी, लेकिन भारत में इसकी लोकप्रियता अडानी ग्रुप पर आरोप लगाने के बाद बढ़ी। लेकिन, ऐसा क्यों हुआ कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने से ठीक 3 दिन पहले ही हिंडनबर्ग ने अपना बोरिया-बिस्तरा बांध लिया। अगर आप हिंडनबर्ग के काम करने के तरीके और डोनाल्ड ट्रंप के तेवर पर निगाह डालें तो तस्वीर बिलकुल साफ हो जाती है। ट्रंप न सिर्फ अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, बल्कि वे एक कारोबारी भी हैं। लिहाजा उनकी नीतियों में कारोबार को बढ़ावा देना और कंपनियों के लिए माहौल बनाना प्राथमिकता पर आता है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क उनके करीबी और सहयोगी भी हैं। दूसरी तरफ, नाथन एंडरसन जिनकी कंपनी हिंडनबर्ग दुनियाभर के कारोबारियों को ही निशाने पर लेती है। हिंडनबर्ग की तमाम रिपोर्ट के चलते 100 से अधिक लोगों को आपराधिक या दीवानी मामलों का सामना करना पड़ रहा है। ऊपर दिए तथ्यों से साफ हो जाता है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एंडरसन का काम पसंद नहीं आता। भले ही हिंडनबर्ग की स्थापना ट्रंप के पहले कार्यकाल में हुई थी, लेकिन उसकी लोकप्रियता जो बाइडन के समय में ही खूब बढ़ी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने न सिर्फ भारतीय कारोबारी गौतम अडानी को परेशान किया, बल्कि भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख बुच के खिलाफ भी खूब जहर उगला। इससे भारत की छवि खराब होने लगी और यह बात तो पूरी दुनिया जानती है कि ट्रंप और भारत का करीबी नाता है। इन सभी कड़ियों को जोड़ा जाए तो यह समझते देर नहीं लगेगी कि आखिर हिंडनबर्ग ने कंपनी क्यों बंद की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button