विश्व-लोक

इमरान समर्थक नागरिकों को सजा

पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा 25 पाकिस्तानी नागरिकों को सजा सुनाए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए अमेरिका ने कहा कि इन अदालतों में न्यायिक स्वतंत्रता, पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया की गारंटी का अभाव है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में नौ मई 2023 को हुए विरोध-प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को सजा सुनाए जाने से अमेरिका बेहद चिंतित है। इन सैन्य अदालतों में न्यायिक स्वतंत्रता, पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया की गारंटी का अभाव है।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अमेरिका, पाकिस्तानी अधिकारियों से पाकिस्तान के संविधान में निहित निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के अधिकार का सम्मान करने का लगातार आह्वान करता आ रहा है।’’ हालांकि, अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक करीबी सहयोगी रिचर्ड ग्रेनेल ने कहा कि यह आह्वान देरी से किया गया है और कमजोर है। रिचर्ड ग्रेनेल ने कहा, आपने बहुत देरी कर दी। आपके आह्वान में वो जोर नहीं दिखता। इमरान खान को रिहा किया जाए।
ग्रेनेल ने 2020 में ट्रंप के अधीन राष्ट्रीय खुफिया विभाग के कार्यवाहक निदेशक के रूप में काम किया और वह 2018 से 2020 तक जर्मनी में अमेरिकी राजदूत भी रहे हैं। भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने इमरान खान की रिहाई को लेकर ग्रेनेल की मांग पर सहमति जताई। खन्ना ने कहा, ‘‘मैं रिचर्ड ग्रेनेल से सहमत हूं। इमरान खान को रिहा करने और पाकिस्तान के लोगों को नए लोकतांत्रिक चुनाव कराने की अनुमति देने का समय आ गया है।’’ पाकिस्तानी नागरिकों को सजा सुनाए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “सैन्य अदालतों में नागरिकों पर मुकदमा चलाने में पारदर्शिता, स्वतंत्र जांच का अभाव है और यह निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को कमजोर करता है।” वहीं, इस फैसले पर यूरोपीय संघ का भी बयान सामने आया है। यूरोपीय संघ ने कहा कि सजा नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के तहत पाकिस्तान की प्रतिबद्धताओं से मेल नहीं खातीं हैं।
उधर, पाकिस्तानी फौज ने एक बार फिर जेल में बंद इमरान खान के सामने शर्तों के साथ रिहाई का पिटारा रखा है। इस पिटारे में अनेक ऐसी लुभावने पेशकश हैं जिनके जरिए इमरान खान को एक तरह का लालच दिया गया है। यह पिटारा इमरान खान के सामने इसलिए रखा गया है क्योंकि पाकिस्तानी फौज की जनरल असीम मुनीर अमेरिका के लचीले रुख को देखते हुए बेहद परेशान हैं। उन्हें लगता है की कहीं 20 जनवरी के बाद अमेरिका ने इमरान खान मसले समेत अन्य मामलों की जांच जिनमें इस्लामाबाद कांड भी शामिल है की जांच करा दी तो असीम मुनीर को लेने के देने पड़ जाएंगे।

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