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पाक के मुख्यमंत्री अली अमीन ने दी सरकार को सलाह

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा है कि क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए तालिबान के साथ बातचीत जरूरी है। शांति के लिए यही एकमात्र रास्ता है। इस्लामाबाद में एक इफ्तार पार्टी में पत्रकारों से बात करते हुए गंडापुर ने दावा किया कि बातचीत ही एकमात्र रास्ता है और वह तालिबान को बातचीत की मेज पर ला सकते हैं, बशर्ते उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाए।मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उन्होंने बातचीत में कबीलों के बुजुर्गों को शामिल करने और इसकी पूरी रूपरेखा वाला मसौदा तैयार किया था और इसे विदेश मंत्रालय तथा आंतरिक मंत्रालय को भेजा था, लेकिन ढाई महीने बाद भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि तालिबान कबीलों के बुजुर्गों के साथ बातचीत करने से इनकार नहीं करेगा और मौलाना फजलुर रहमान का अब तालिबान पर कोई प्रभाव नहीं है।
मुख्यमंत्री गंडापुर ने साथ ही कहा कि वह किसी भी दिन तालिबान नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा के साथ चर्चा कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि तालिबान के साथ अभी तक कोई संपर्क नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) संस्थापक इमरान खान की रिहाई के बिना कोई राजनीतिक वार्ता नहीं हो सकती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की राजनीतिक स्थिरता पूर्व प्रधानमंत्री की रिहाई पर निर्भर है। इसलिए अगर सरकार शांति की स्थापना करना चाहती है तो उनके सुझाए गए विचारों पर उसे सोचना होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सियासी स्थिरता केवल पीटीआई संस्थापक को रिहा करके ही हासिल की जा सकती है क्योंकि इमरान खान सरकार को हटाए जाने से पहले हालात सामान्य थे और उनके हटने के बाद आतंकवाद और अस्थिरता बढ़ गई है। गंडापुर ने आतंकवाद का मुकाबला करने में जनता के समर्थन को जरूरी बताया और कहा कि लोगों के समर्थन के बिना कोई भी लड़ाई नहीं जीती जा सकती।
इमरान खान का तालिबान के साथ रिश्ता जगजाहिर है और यही वजह है कि उन्हें सियासी हलकों में ‘तालिबान खान’ के नाम से भी जाना जाता है। गंडापुर की पूरी कोशिश होगी की मौजूदा हालात का फायदा उठाया जाए और यही वजह है कि इमरान की रिहाई को वह शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं।

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