तालिबान-भारत की दोस्ती से पाक की नींद हराम

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अंतरिम तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच पिछले सप्ताह दुबई में मीटिंग हुई। मीटिंग के बाद तालिबान ने भारत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सहयोगी बताया। इसके अलावा तालिबानी मंत्री ने यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की थी। मुत्ताकी ने काबुल में सऊदी अरब के चार्जडी अफेयर्स फैसल तालक अल-बक्मी से मुलाकात की। तालिबान ने इन मुलाकातों के जरिए पाकिस्तान को दिखा दिया है कि मुस्लिम दुनिया में पाकिस्तान के अलावा भी उसके दोस्त हैं। यूएई और सऊदी से तालिबान का मिलना पाकिस्तान की टेंशन भले न बढ़ाए। लेकिन भारत और तालिबान के बीच की करीबी से पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स हैरान हैं। वह भारत की विदेश नीति की तारीफ कर रहे हैं, साथ ही पाकिस्तान को चेतावनी भी दे रहे हैं। पाकिस्तानी टीवी चैनल ‘समा टीवी’ के कार्यक्रम में अबसार आलम ने चेतावनी देते हुए कहा कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता जाने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम आ रहा है। इसके बाद से ही देखा गया कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में बातचीत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ भारत शुरू से संपर्क में है। वह मुफ्त गेहूं, दवाई और पोलियो वैक्सीन दे रहा है। यूएई में भारत और तालिबान की मीटिंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत और तालिबान की मीटिंग खतरनाक और दिलचस्प दोनों है। दोनों की मीटिंग में टीटीपी और अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक पर चर्चा हुई। इंडिया ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए मदद का भरोसा दिलाया है।’ संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने पाकिस्तान की विदेश नीति की पोल खोल दी। उन्होंने कहा, ‘भारत को मैनेज करना जरूरी है। क्योंकि पाकिस्तान के प्रति उसकी पॉलिसी बेहद आक्रामक है। ईरान से तनाव है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की जमीन पर एयर स्ट्राइक की है, जिससे हमारे संबंध तालिबान से भी खराब हुए हैं। पाकिस्तान तीन फ्रंट पर नहीं लड़ सकता।’ लोधी ने कहा, ‘भारत कश्मीर पर बात नहीं करना चाहता है। लेकिन अफगानिस्तान के साथ हमें अपनी नई पॉलिसी बनाने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक पाकिस्तान ने जो पॉलिस अपनाई है उससे वह नतीजे नहीं निकले, जिसकी उम्मीद थी।’