गाजा पट्टी के लोग गड्ढों में रहने को मजबूर

इजरायली बमबारी के बाद बेघर हुए फिलिस्तीन के लोग अब गड्ढों को घर बनाकर रह रहे हैं। ऐसे ही एक परिवार की तस्वीर सामने आई है जिसने लोगों के दिलों को गम से भर दिया है। फिलिस्तीन के लोगों पर पिछले करीब 2 साल से मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। इस कड़ाके की ठंड में लोगों को सिर पर न छत है, न ओढ़ने और बिछाने को कंबल। बच्चों की हालत सबसे खराब है। उनके लिए न तो दूध है और न खाने को कुछ सामान। इनकी तस्वीरों को देखकर दिल गम से भर जाता है। दक्षिणी गाजा पट्टी के खान यूनिस में इजरायल-हमास संघर्ष के दौरान पिछले इजरायली हमलों में नष्ट हुए एक घर के मलबे के पास से गुजरते हुए फिलिस्तीनी लोग। दक्षिणी गाजा पट्टी के खान यूनिस में इजरायल-हमास संघर्ष के दौरान पिछले इजरायली हमलों में क्षतिग्रस्त हुए अपने परिवार के घर से एक फिलिस्तीनी लड़का बाहर देख रहा है। विस्थापित फिलिस्तीनी व्यक्ति तैसीर ओबैद अपने परिवार के साथ एक भूमिगत गड्ढे में खाना खा रहा है, जिसे उसने इजरायली हमलों से बचाने के लिए अपने टेंट कैंप में खोदा था, जो मध्य गाजा पट्टी के देयर अल-बलाह में है। विस्थापित फिलिस्तीनी व्यक्ति तैसीर ओबैद अपने परिवार के साथ अपने टेंट कैंप में आग के चारों ओर बैठा है, जहां उसने इजरायली हमलों से बचाने के लिए अपने टेंट कैंप में एक भूमिगत गड्ढा खोदा था, जो मध्य गाजा पट्टी के देयर अल-बलाह में है। इजरायली कब्जे वाले पश्चिमी तट पर तुबास के निकट अल-फरा शिविर पर इजरायली हमले के बाद क्षतिग्रस्त सड़क पर एकत्र बच्चे।
गाजा पट्टी , भूमध्य सागर के किनारे सिनाई प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्व में 140 वर्ग मील (363 वर्ग किमी) में फैला हुआ क्षेत्र है। गाजा पट्टी एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जिसे किसी भी मौजूदा देश के कानूनी हिस्से के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।हमास की शुरुआत 1987 में मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा के रूप में हुई थी। इसका नाम है इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन। वह फिलिस्तीनी भूमि पर इजरायल के अस्तित्व का विरोध करता है।