ताइवान ने कभी चीन के भर दिया था भूसा

पहले चीन और ताइवान एक ही देश का हिस्सा थे। इसे संयुक्त चीन के रूप में जाना जाता था। बीजिंग कभी भी युद्ध में ताइवान पर कब्जा नहीं कर पाया है। चीन ने ताइवान से दो युद्ध निर्णायक रूप से हारे हैं। साल 1949 से पहले चीन को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में जाना जाता था। पूरे देश का नेतृत्व कुओमितांग पार्टी ने किया था, जिसकी स्थापना 1912 में हुई थी। पार्टी के संस्थापक सन यात-सेन थे। वो लोकतांत्रिक मूल्यों को मानने वाले थे। कुछ सालों बाद माओत्से तुंग के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट ताकतें देश में तेजी से बढ़ने लगी जिसके बाद चीन में गृह युद्ध शुरू हो गया था। चीनी गृह युद्ध 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्ट आंदोलन की जीत और चियांग काई-शेक की सत्तारूढ़ कुओमितांग पार्टी की हार के साथ खत्म हुआ था। कुओमिन्तांग ने ताइवान में शरण ली। पिछले 76 सालों से चीन और ताइवान के बीच ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।
ताइवान को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी चीन गणराज्य का एक हिस्सा मानता है। इसी कड़ी में तब दो बार ताइवान पर कब्जा कर पूरे चीन को एक करने का प्रयास किया गया। कम्यूनिस्ट पार्टी के माओत्से तुंग ने फैसला किया कि ताइवान पर कब्जा करने के लिए सबसे पहले उसके करीबी द्वीप किनमेन और मात्सु पर कब्जा करना जरूरी है। किनमेन में दो बड़े द्वीप और तेरह छोटे द्वीप हैं। ताइवानी क्षेत्रों में से सबसे करीब होने के कारण माओत्से तुंग ने पहले इन पर निशाना साधने का फैसला किया। किनमेन की भौगोलिक स्थिति ताइवानी सेना के लिए फायदेमंद साबित हुई। पहले लगभग 10,000 सैनिक इस द्वीप पर भेजने की योजना थी। यह प्लान किया गया कि द्वीप पर कब्जा करने के बाद अतिरिक्त 10 हजार सैनिक भेजे जाएंगे। उन्हें लगा कि यह ताइवान की सेना को परास्त करने के लिए सही स्ट्रैटेजी होगी। द्वीप उनके कब्जे में होगा और ताइवान की सेना हताश होकर घुटने टेक देंगे। ताइवान की सेना ने तट पर करीब 7,500 बारूदी सुरंगें बिछा दी थीं। द्वीप के बाकी हिस्सों पर कई खदान बनाई गई ताकि वहां जल्द से जल्द सैनिकों को जरूरी समान सप्लाई किया जा सके। ताइवान की सेना के अलावा दो टैंक रेजिमेंट सहित अपने बख्तरबंद डिवीजनों को ताइवान ने वहां तैनात कर दिया। चीन का तीन दिनों में द्वीप पर नियंत्रण हासिल करने का प्लान था लेकिनदूसरे दिन के अंत तक चीनी सैनिकों के पास खाना व अन्य आपूर्ति खत्म हो गई। तीसरे दिन की सुबह ताइवान के कम्युनिस्ट सेना पर पूरा कंट्रोल बना लिया और उनके 5,000 से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाकर रख लिया।