देवघर के लिए 105 किमी. पैदल यात्रा

(पं. आर.एस. द्विवेदी-हिफी फीचर)
सावन महीने मंे शिव शंकर भोले के दर्शन-अभिषेक को देश भर में श्रद्धालु शिवालों में पहुंचते हैं। कुछ स्थानों पर शिव भक्तों की विशेष श्रद्धा रहती है। इनमें बिहार का देवघर भी शामिल है। बिहार के सुल्तानगंज मंे गंगाजी मंे स्नान के बाद श्रद्धालु देवघर के लिए 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। यह यात्रा वैद्यनाथ धाम मंदिर मंे शिवलिंग पर जल चढ़ाने के साथ ही सम्पन्न होती है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि देवघर मंे सावन के महीने मंे 50 लाख से ज्यादा शिव भक्त पहुंचते हैं। इस बार सावन का महीना 11 जुलाई से प्रारम्भ हो गया है और पहले ही दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सोमवार के दिन तो श्रद्धालुओं की संख्या बहुत बढ़ जाती है। बैद्यनाथ धाम के तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी की माने तो सावन के महीने में सबसे ज्यादा शिव भक्त देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं। भीड़ का आलम यह रहता है कि चारों ओर सिर्फ कांवरिया ही नजर आते हैं। सावन में आम तौर पर भक्तों की कतार मंदिर से 2-3 किलोमीटर तक रहती है जिससे 2 से 3 घंटे में भक्त दर्शन कर सकते हैं लेकिन यही कतर रविवार एवं सोमवार के दिन मंदिर से 7 से 8 किलोमीटर दूर तक पहुंच जाती है। जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन और जलाभिषेक में 6 से 7 घंटे का वक्त लग जाता है। सावन में करीब 50 लाख भक्त
देवघर पूजा के लिए आते हैं। लिहाजा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यहां 200 एआई-आधारित कैमरे,
सूचना फीडबैक और हेल्पलाइन के लिए एक चैटबॉट, एक एआई-आधारित यातायात प्रबंधन प्रणाली, लगभग 700 नियमित कैमरे, 10 एआई-आधारित ड्रोन, लगभग 40 टेलीविजन और चेहरों की पहचान करने वाले कैमरे लगाए गए हैं।
देवघर श्रावणी मेले की शुरुआत हो चुकी है। बैद्यनाथ धाम मंदिर में सुबह से शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पूरा मंदिर परिसर बोल बम-बोल बम के नारों से गूंज उठता है। कांवड़ियों का जल लेकर आने का सिलसिला जारी है। बता दें कि श्रावणी मेला देश के पूर्वी क्षेत्र के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। लिहाजा इसकी भव्य तैयारी की गई थी। मेले का विधिवत उद्घाटन किया गया। बाबा नगरी देवघर में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का शुभारंभ हो गया। उद्घाटन समारोह में बिहार सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चैधरी और विजय कुमार सिन्हा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। उपमुख्यमंत्रियों ने मंच पर पूजा-अर्चना के बाद विधिवत रूप से मेले का उद्घाटन किया। इस मौके पर बिहार सरकार के मंत्री दिलीप जायसवाल, संजय सरावगी, जयंत राज और स्थानीय विधायक भी मौजूद रहे। उद्घाटन के साथ ही एक महीने तक चलने वाला श्रावणी मेला शुरू हो गया है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबाधाम पहुंचने लगे हैं। प्रशासन की ओर से सुरक्षा, जलपान, स्वास्थ्य और यात्रा की सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। सावन माह की शुरुआत के साथ ही देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। भीड़ नियंत्रण और सुगम जलाभिषेक के लिए जिला प्रशासन ने अर्घा व्यवस्था शुरू की है। इस व्यवस्था के तहत श्रद्धालु कतारबद्ध होकर कम समय में बाबा का जलाभिषेक कर पा रहे हैं। तीर्थ पुरोहित एसएन झा के अनुसार, सावन का पहला दिन होने के कारण अपेक्षाकृत भीड़ कम रही, फिर भी पट बंद होने तक करीब 1 लाख श्रद्धालुओं द्वारा जलाभिषेक किए जाने की संभावना है। देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में सावन के महीने में भीड़ बढ़ जाती है। लिहाजा कतार काफी लंबी हो जाती है। बैद्यनाथ मंदिर में अभिषेक करने के लिए दो कतारें लगती है। एक आम कतार और दूसरी शीघ्रदर्शनम कतार। शीघ्रदर्शनम कूपन कटाकर भक्त इस कतार में लगकर कम समय मे मंदिर में अभिषेक कर सकते हैं। वहीं, सावन के महीने में शीघ्रदर्शनम व्यवस्था में कुछ बदलाव किया गया है। इस सावन हफ्ते में दो दिन यानी रविवार और सोमवार को शीघ्रदर्शनम की व्यवस्था बंद रहने वाली है।
सावन महीने में सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के ऊपर जलाभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है। वहीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर के बाबा बैद्यनाथधाम ज्योतिर्लिंग भी शामिल है। सावन के महीने में यहां कांवड़ियों से मंदिर पटा रहता है। साथ ही सावन के महीने में इस मंदिर में कांवड़ यात्रा की परंपरा है। कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त बहुत ही कठिन रास्ते से होकर बैद्यनाथ धाम मंदिर पहुंचते हैं और जलाभिषेक करते हैं। यात्रा के दौरान कोई कठिनाई न हो इसके लिए लगातार जिला प्रशासन तैयारी में जुटा रहे।
सावन महीने में कांवड़ यात्रा की परंपरा है। इस दौरान शिवभक्त बिहार के भागलपुर जिले से अजबेगीनाथ धाम के उत्तरवाहिनी गंगा से अपनी मनोकामना का संकल्प लेकर जल भरते हैं और नंगे पांव 105 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा कर देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर पहुंचते हैं। कभी-कभी ज्यादा गर्मी होने की वजह से कांवरियों के पांव में छाले भी पड़ जाते हैं जिससे उनको चलने में काफी कठिनाई होती है। कांवड़ियों की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन लगातार तैयारी में रहता है। सावन के पूरे महीने कांवड़ियों को चलने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए झारखंड बॉर्डर दुम्मा से लेकर खिजुरिया तक गंगा नदी का बालू बिछाया गया है। इससे कांवरियों को पैदल चलने के कारण पांव में छाले नहीं पड़ेंगे और मखमली रास्ते पर चलने का एहसास होगा। रास्ते में कांवड़ियों को गर्मी का एहसास न हो इसके लिए दुम्मा से लेकर खिजुरिया तक जगह-जगह पर इंद्र वर्षा की व्यवस्था की जा रही है। इंद्र वर्षा में पानी के फव्वारे निकलते हैं जिससे कांवरियों को गर्मी का एहसास नहीं होता है।
12 ज्योतिर्लिंगों में देवघर के बाबा बैद्यनाथधाम ज्योतिर्लिंग का भी नाम आता है। इस ज्योतिर्लिंग में कई ऐसी परंपराएं और मान्यताएं हैं जो किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में आपको देखने को नहीं मिलेंगी। इस ज्योतिर्लिंग में पंचशूल विराजमान हैं। इसके साथ ही भगवान शिव और शक्ति की पूजा आराधना की जाती है। इसलिए यह ज्योतिर्लिंग होने के साथ-साथ शक्तिपीठ भी है। इस ज्योतिर्लिंग में स्पर्श पूजन की व्यवस्था है। यानी भक्त गर्भगृह
जाकर शिवलिंग छूकर पूजा आराधना कर सकते हैं। मान्यता है इस
ज्योतिर्लिंग में शिवलिंग छूते वक्त मांगी गई हर मनोकामना जरूर पूर्ण होती है, इसलिए इसे मनोकामना लिंग भी कहते हैं। (हिफी)