विश्व-लोक

इस्लामाबाद में आत्मघाती हमला, 12 की मौत

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद 11 नवम्बर को एक जोरदार धमाके से दहल उठी। एक आत्मघाती हमलावर ने जिला अदालत के बाहर पुलिस वाहन के पास खुद को उड़ा लिया। धमाके में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 27 से ज्यादा घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान से अलग हुए गुट जमात-उल-अहरार ने ली है। टीटीपी के नेता उमर मक्कारम खुर्शानी ने पत्रकारों को संदेश भेजकर दावा किया कि हमला उनके संगठन ने किया। हालांकि, ग्रुप के एक अन्य कमांडर सरबाकाफ मोहम्मद ने इस दावे से इनकार किया। पाकिस्तानी सरकार के लिए यह हमला इसलिए और चिंताजनक है क्योंकि टीटीपी पहले ही देश के कई इलाकों में सक्रिय है, और अब उसके ही पुराने साथी की राजधानी तक पहुंच इस्लामाबाद की सुरक्षा तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। यह वही जमात-उल-अहरार है जिसने साल 2022 में अपने सरगना की मौत के बाद टीटीपी से नाता तोड़ लिया था। हालांकि हाल के महीनों में इसके कुछ सदस्य दोबारा टीटीपी में शामिल हुए हैं, जबकि कई अब भी अलग काम कर रहे हैं। इससे दोनों गुटों के बीच मतभेद साफ झलकते हैं।
जमात-उल-अहरार कभी टीटीपी का ही हिस्सा था। दोनों गुटों का मकसद पाकिस्तान में शरीयत कानून लागू करना और अफगान तालिबान की तर्ज पर इस्लामी शासन स्थापित करना रहा है। हमले के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने भारत पर इस हमले का आरोप मढ़ दिया। हालांकि उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया। भारत ने इन आरोपों को बेबुनियाद और ध्यान भटकाने वाला बताया, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की इन चालों से गुमराह नहीं होगा।
विश्लेषकों का मानना है कि जमात-उल-अहरार का इस्लामाबाद में हमला करना पाकिस्तान के लिए एक नया चेतावनी संकेत है। पहले से टीटीपी की बढ़ती गतिविधियों, सीमाई तनाव और अफगान तालिबान के साथ नाजुक संबंधों के बीच अब यह हमला सरकार की मुश्किलें और बढ़ा सकता है।

 

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