मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकार

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में आज विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह सहित कांग्रेस के 48 विधायकों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव सदन में अस्वीकृत हो गया। भोजनावकाश से पहले स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 27 मार्च की तारीख दी थी। भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही प्रारंभ हुई, संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रस्ताव रखा कि विपक्ष द्वारा जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, वह विधिसंगत नहीं है इसलिए इसे अस्घ्वीकृत किया जाए। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसका समर्थन किया। कुछ देर बाद अध्यक्ष ने इस बार मतदान कराया, जिसमें ध्वनिमत से अविश्वास प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।
अविश्वास प्रस्ताव पर सदन का निर्णय आने के बाद संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रस्ताव रखा कि बजट की अनुदान मांगों को एक साथ पारित कराया जाए। विधानसभा अध्यक्ष की स्वीकृति मिलते ही वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सभी अनुदान मांगों को एक साथ प्रस्तुत किया। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हम इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं और कांग्रेस विधायक दल ने बहिर्गमन कर दिया। बजट की अनुदान मांगें पारित होने के बाद विधानसभा स्पीकर ने सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी। इसके साथ ही तय समय (27 मार्च) से पहले विधानसभा का बजट सत्र खत्घ्म हो गया। उधर, सदन के बाहर नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हमारा प्रस्ताव बिल्कुल सही था। हमने अविश्वास संकल्प ही प्रस्तुत किया था। यह सरकार कुछ सुनना ही नहीं चाहती है। लोकतांत्रिक तरीके से सदन की कार्यवाही संचालित नहीं की जा रही है। बजट अनुदान मांगों पर चर्चा न कराकर एक साथ सभी विभागों की मांगों को पारित कराया जा रहा है। इससे पहले आज आज सदन में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध कांग्रेस के 48 विधायकों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सत्घ्तापक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक हुई। नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने कहा कि हमने जो प्रस्ताव दिया है, उस पर विचार किया जाए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि नियमानुसार अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया ही नहीं जा सकता है। नियमों में स्पष्ट प्रावधान है कि अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास संकल्प ही आता है, इसलिए नियम अनुसार यह प्रस्ताव ही गलत है। सदन नियम प्रक्रियाओं और परंपराओं से चलता है।