Uncategorizedराजनीतिलेखक की कलम

2024 पर भाजपा का गंभीर मंथन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

लोकसभा चुनाव-2024 के लिए विपक्षी एकता भले ही बिखरी-बिखरी नजर आ रही हो लेकिन भाजपा के चाणक्य अपनी तैयारी में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते हैं। इसी संदर्भ मंे पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने गंभीर मंथन किया है। इसी मंथन से भाजपा की चाय पर चर्चा कार्यक्रम को बदलकर टिफिन पर चर्चा कार्यक्रम बनाया गया है। महा जनसंपर्क अभियान को देश भर मंे चलाया जा रहा है और जिन नेताओं को यह दायित्व सौंपा गया है, उनकी फीड बैक रिपोर्ट भी ली जा रही है। टिफिन मीटिंग का सुझाव खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था। इस अभियान में केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर कोर कैडर तक को शामिल किया गया है। टिफिन खाने से पहले कार्यकर्ताओं से संवाद होता है। पिछले दिनों नोएडा मंे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने टिफिन बैठक की थी। वह कहते हैं कि मैं घर से अपना टिफिन लेकर आया। मेरे टिफिन से जिन लोगों ने खाया उनके साथ सामूहिकता बढ़ी। इस तरह से यह सामूहिकता पूरे देश मंे इतनी मजबूत हो जाएगी जिससे भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव मंे 2019 से कहीं ज्यादा सफलता मिलेगी।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी वक्त है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इसकी तैयारी गंभीरता से शुरू कर दी है। बीजेपी ने पहली बार चाय पर चर्चा की जगह टिफिन पर चर्चा का प्लान बनाया है। इसके तहत, पार्टी के मंत्री, सांसद घर-घर पहुंचेंगे। एक-दूसरे के साथ अपना-अपना टिफिन शेयर करेंगे और ज्यादा वक्त बिताएंगे। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गत दिनों अपने टिफिन के साथ पदाधिकारियों के बीच नोएडा पहुंचे। नड्डा ने टिफिन खाने से पहले कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत की। यहां न कोई मंच था और न ही कोई मुख्य अतिथि। कुछ देर चर्चा करने के बाद पदाधिकारियों के बीच ही जेपी नड्डा ने अपना टिफिन शेयर किया। इस टिफिन बैठक का मकसद कार्यकर्ताओं को सामूहिकता का एहसास दिलाना था।
इस मौके पर जेपी नड्डा ने कहा, आज नोएडा आने का सौभाग्य मिला। कार्यकर्ताओं से अनौपचारिक बातचीत हुई। संगठन को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर बात हुई है। मैं घर से अपना टिफिन लेकर आया था। मेरे टिफिन से कुछ पदाधिकारियों ने और कुछ मैंने खाया। इससे सामूहिकता का विकास होता है, आगे भी ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे। दरअसल, मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर बीजेपी 30 मई से 30 जून तक जनसंपर्क अभियान चला रही है। इसके तहत जगह-जगह टिफिन सभाएं भी आयोजित की जा रही हैं। इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिखर बैठक भी की थी। टिफिन मीटिंग में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा प्रदेश अध्यक्ष भूपिंदर चैधरी समेत पश्चिमी यूपी के तमाम छोटे-बड़े पदाधिकारी मौजूद रहे। इस टिफिन मीटिंग का सुझाव खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था। उसके पीछे मकसद यही था कि कार्यकर्ता अपने घर से टिफिन लाकर जब दूसरे के साथ शेयर करेंगे, इस दौरान अनौपचारिक बातचीत होगी, जिससे संगठन को मजबूती मिलेगी। इस अभियान में केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद, विधायक, संगठन पदाधिकारियों से लेकर पार्टी के कोर कैडर को भी शामिल किया गया है।
इस साल के अंत में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इसके बाद जल्द ही लोकसभा चुनाव होंगे। आने वाले चुनावों की तैयारी, संगठन को मजबूत करने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने गत दिनों देर रात नवनिर्मित आवासीय सह कार्यालय परिसर में मुलाकात की। पार्टी सूत्रों के अनुसार, पार्टी के शीर्ष तीन नेताओं ने ताकत और कमजोरियों का आकलन करने और उन्हें दूर करने के तरीकों पर मंथन किया। बीजेपी की हाईलेवल मीटिंग पहले देर रात करीब चार घंटे और अगले दिन सुबह से करीब छह घंटे हुई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में संगठन के खाली पदों को भरने पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, कई संगठन में कई महासचिव लंबे समय से हैं, उन्हें बदलने पर भी चर्चा हुई है।
सूत्रों के अनुसार बैठक में केंद्रीय संगठन में फेरबदल पर चर्चा हुई है। चुनावों के मद्देनजर कुछ महत्वपूर्ण राज्यों के प्रदेश प्रभारी बदलने की संभावना हैं। कुछ राज्यों के प्रदेश
अध्यक्ष बदलने पर भी चर्चा हुई है। बैठकों का सिलसिला आने वाले दिनों में भी जारी रह सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संघ के नेताओं से भी बीजेपी नेता मुलाकात कर सकते हैं। इस बैठक में मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर जनसंपर्क अभियान की समीक्षा की गई। पार्टी सूत्रों ने यह भी कहा कि मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर पार्टी के सभी सांसदों और मंत्रियों को दिए जा रहे कार्यक्रमों और उनके कार्यान्वयन का जायजा भी लिया गया।
इसमें कोई दो राय नहीं है बीजेपी को सबसे बड़ी ताकत आरएसएस से मिलती है। बीजेपी ने अब तक दो प्रधानमंत्री बनाए हैं और दोनों ही संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे हैं। संघ और बीजेपी के बीच संवाद और पुल का काम करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासचिव की होती है। इसके साथ ही चुनाव में टिकट वितरण के लेकर रणनीति बनाने की भी जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासचिव की होती है।
इस दौरान पार्टी में किसी भी तरह के असंतोष, बगावत की स्थिति में राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका अहम हो जाती है। राष्ट्रीय और राज्यों में ये भूमिका संघ के प्रचारकों को ही मिलती है। जब भी किसी मुद्दे पर मतभेद हो जाते हैं तो संगठन में राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका अहम हो जाती है। बीएल संतोष के काम करने के तरीके में कुछ बातें एकदम साफ है। वो पार्टी में किसी भी कीमत पर परिवारवाद को लागू नहीं करने देना चाहते हैं। इसके साथ ही नए चेहरों को आगे बढ़ाना और पार्टी का विस्तार ही उनका एक लक्ष्य रहता है। कहा जाता है कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को मजबूत करने के लिए पन्ना प्रमुखों और बूथ प्रमुखों की सेना तैयार की थी। राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के तौर पर उनकी नियुक्ति से शख्स की कहानी है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक साधारण प्रचारक से
पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अमित शाह और हाल में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए जे पी नड्डा के बाद तीसरे सबसे बड़े पद पर पहुंच गए हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो लेाकसभा चुनाव की मुख्य कमान ही संभाल ली है। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button