बिहार में अटकलों का दौर

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)
महाराष्ट्र की राजनीति के बिहार पर असर को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। वहां उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने जनादेश के विपरीत गठबंधन सरकार बनाई थी। उसका हश्र सामने है। बिहार में ऐसा ही आचरण नीतीश ने किया। इस आधार पर अटकलें तो लगनी ही थी। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भाजपा को धोखा दिया था। जनादेश का अपमान किया था। लेकिन कुर्सी और पार्टी दोनों ने उनका साथ छोड़ दिया। इसके बाद शरद पवार का नंबर आया। उनका हिसाब भी हुआ। फिलहाल उनकी पार्टी में अजित पवार का पलड़ा भारी है। शरद पवार कमजोर हो चुके हैं। प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना भी टूटने लगा है। महाराष्ट्र में उद्धव और शरद ने जो किया था, वही कार्य बिहार में नीतीश ने किया। प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा में वह जनता दल की शरण में पहुँच गए थे। उन्होंने भाजपा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था। मतदाताओं ने इस गठबंधन को सरकार बनाने का आशीर्वाद दिया था। राजद सरकार को नीतीश ने ही जंगल राज का नाम दिया था। घोटालों के
आरोप लगाए थे। राजद के दबाब से परेशान होकर ही वह दुबारा भाजपा में लौटे थे। राजद से तौबा कर ली थी। लेकिन जनादेश का अपमान करते हुए फिर उसी राजग के पाले में चले गए।
वह जानते थे कि राजद के मुकाबले उनका संख्याबल आधा है। ऐसे में घोटालों से घिरे लालू कुनबे का उनपर बहुत दबाब रहेगा। सुशासन बाबू की छवि चैपट हुई,वह अलग। लेकिन राजद से तो उनका समझौता हो गया।दबाब के साथ वह फिलहाल कुर्सी पर हैं। लेकिन नीतीश पहले के मुकाबले बहुत कमजोर हो चुके है। उन्होंने अपनी छवि को खुद ही धूमिल कर लिया है। अपने को खुद ही अविश्वसनीय बना लिया है। ऐसे में जेडीयू कब तक उन पर विश्वास करेगी, यह देखना होगा। नीतीश को भी बगावत का सामना करना पड़ सकता है। शिवसेना में एकनाथ शिंदे और एनसीपी में अजित पवार की तरह जेडीयू में भी कोई उभर सकता है। होनहार शिष्य पर गुरु को गर्व होता है। लेकिन कई कई बार शिष्य सीखे हुए दांव से गुरु को ही पछाड़ देता है। अजित पवार ने ऐसा ही दांव चला। वह शरद पवार के भतीजे ही नहीं सर्वाधिक होनहार शिष्य भी रहे हैं। पिछली बार अजित गच्चा खा गए थे। इस बार पूरी तैयारी से दांव चला। शक्ति परीक्षण में चाचा से हिसाब चुकता कर दिया।
यह शरद पवार का चालीस साल पुराना दांव था। उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनका भतीजा उन्हीं पर यह दांव आजमा देगा। भतीजा भी क्या करता। चाचा ने अपनी पुत्री को उत्तराधिकारी बना दिया था। जबकि शरद की पाठशाला के वह सबसे होनहार शिष्य थे। बाल ठाकरे ने भी यही गलती की थी। पुत्र के मुकाबले उनका भतीजा ज्यादा तेज था। लेकिन उत्तराधिकारी अपने पुत्र को बना दिया। उद्धव ठाकरे और शारद पवार ने मिलकर महा आघाड़ी सरकार बनाई थी। इन दोनों को एक जैसी कीमत चुकानी पड़ रही है। शिवसेना एक नाथ शिंदे की हो गई। एनसीपी भी शायद अब अजित पवार के हिस्से में आयेगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के तिरपन में से पैंतीस विधायक अजित पवार की बैठक में शामिल हुए बताये गये। आठ में से पांच एमएलसी भी इस बैठक में पहुंचे। अजित पवार गुट ने बयालीस से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा किया है। शरद पवार ने भी वाई बी चह्वाण सेंटर में बैंठक की। बताया जाता है कि शरद पवार की इस बैठक में चैदह विधायक और दो एमएलसी ही पहुंचे। अजित ने कहा कि एनसीपी के सभी विधायक हमारे साथ हैं। आज कुछ विधायक मेरी बैठक में नहीं पहुंच पाए। कुछ को हमने वाई बी चह्वाण सेंटर में शरद पवार की बैठक में भेज दिया है, लेकिन सारे विधायक हमारे संपर्क में हैं।
दल-बदल कानून से बचने के लिए छत्तीस विधायकों का समर्थन चाहिए। प्रतीत होता है कि अजित यह आंकड़ा पार कर लेंगे। अजित पवार ने एनसीपी पर अपना दावा ठोक दिया है। उन्होंने पार्टी के चुनाव चिह्न पर भी अपना दावा किया है। अजित ने कहा कि बीजेपी में नेता पचहत्तर साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं। शरद पवार को भी विश्राम करना चाहिए। अजित ने यह भी कहा कि शरद पवार हमारे देवता हैं। हम उनका आशीर्वाद चाहते हैं। चार दशक पहले शरद पवार ने अपने गुरु के इशारे पर कांग्रेस यू से खुद को अलग कर लिया और जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई। शरद पवार राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। बाद में यशवंत राव पाटिल भी शरद पवार की पार्टी में शामिल हो गए।
अब एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार और अजित पवार दोनों गुट पार्टी पर नियंत्रण को लेकर हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अनुभवी राजनेता शरद पवार आज दिल्ली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर रहे हैं। वहीं उनके समर्थकों ने राजधानी में भतीजे अजित पवार के विरोध में पोस्टर लगाए और उन्हें देशद्रोही करार दिया। पोस्टर में कहा गया है कि लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे। शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास के बाहर लगाए गए पोस्टरों में अजित पवार को फिल्म बाहुबली का कटप्पा बताया। पोस्टर
में लिखा, पूरा देश अपनों के बीच
छिपे गद्दारों को देख रहा है। जनता ऐसे धोखेबाज लोगों को माफ नहीं करेगी।
हालांकि एनसीपी की छात्र शाखा द्वारा लगाए गए पोस्टर में किसी का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन हैशटैग के साथ अजित पवार को गद्दार बताया गया है। को मुंबई में एनसीपी की दो बड़ी बैठकों के बाद, जहां विधायकों ने अपने खेमों का समर्थन किया, आज शरद पवार अपने अगले कदम के तौर पर दिल्ली में पार्टी की कार्य समिति की बैठक कर रहे हैं।
शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी खेमे ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के लिए चुनाव आयोग से संपर्क किया है और दावा किया है कि पार्टी के अधिकांश विधायक उनके समर्थन में हैं। इधर शरद पवार खेमे ने चुनाव आयोग से प्रतिद्वंद्वी खेमे के आवेदन पर आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा है। अजित पवार खेमे की बैठक में एनसीपी के 53 में से 32 विधायक पहुंचे थे। वहीं शरद पवार की बैठक में 14 विधायक थे। बैठकों में दोनों खेमों ने एक-दूसरे पर निशाना साधा। अजित पवार ने कहा कि उनके चाचा अब 83 साल के हैं और उन्हें पीछे हटना चाहिए।
इस पर उनकी बहन और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा कि
अगर रतन टाटा और अमिताभ बच्चन काम करना जारी रख सकते हैं, तो वरिष्ठ राजनेता को अपनी पार्टी
का नेतृत्व करने से कौन रोक सकता है। (हिफी)