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भारत में 41 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट से यह पता चलता है कि डेढ़ दशक में 41 करोड़ से ज्यादा भारतीय गरीबी से बाहर निकले हैं। इनमें नरेन्द्र मोदी सरकार के 7 साल महत्त्वपूर्ण रहे हैं। इस अवधि में भारत में गरीबी उन्मूलन में गंभीर प्रयास हुए हैं। वर्ष 2005-06 से 2019-21 के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की गरीबी और मानव विकास पहल द्वारा विश्व बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के ताजा आंकड़े जारी किये गये हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत ने गरीबी उन्मूलन के स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत समेत दुनिया के 25 देशों ने पिछले 15 साल में सफलता के साथ अपने एमपीआई को आधा किया है। इन देशों में चीन, कंबोडिया, कांगो, होंडुरास, भारत, इंडोनेशिया, मोरक्को और वियतनाम का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन के अनुसार भारत ने इसी वर्ष अप्रैल में 142.86 आबादी के साथ जनसंख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। इस अवधि में स्वच्छ पेयजल से वंचित लोगों की संख्या 2.7 प्रतिशत रह गयी है जो पहले 16.4 प्रतिशत हुआ करती थी। बिजली से वंचित लोगों की संख्या भी 29 प्रतिशत से घटकर 3.1 प्रतिशत रह गयी है। इसी प्रकार लोगों को आवास की सुविधा बेहतर ढंग से मिली है। आवास से वंचित लोगों का आंकड़ा 44.9 से घटकर 13.6 प्रतिशत रह गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत उन 19 देशों में शामिल है जिन्होंने अपने एमपीआई (गरीबी सूचकांक) को लगभग आधा किया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के पोषण के आधार पर बहुआयामी गरीबी और वंचित लोगों की संख्या 2005-06 में 44.3 प्रतिशत थी जो 2019-20 में 11.8 प्रतिशत पर आ गयी है। आंकड़ों के अनुसार बाल मृत्यु दर भी इस दौरान 4.5 फीसद से घटकर 1.5 प्रतिशत रह गयी है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उज्ज्वला जैसी योजना चलाकर गरीब महिलाओं
को सिलेन्डर प्रदान किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़े बताते हैं कि जो लोग गरीब हैं और खाना पकाने के
ईंधन से वंचित हैं, उनकी संख्या 52.9 फीसद से घटकर 13.9 प्रतिशत रह गयी है।
साम्प्रदायिक सौहार्द के रूप में भी भारत की छवि बहुत अच्छी है। मुस्लिम वल्र्ड लीग के महासचिव अब्दुल करीम अल इस्सा ने कहा है कि भारतीय मुसलमानों को अपने भारतीय होने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भारत पूरी दुनिया के लिये अस्तित्व के तौर पर एक महान माॅडल है। हिन्दू बहुल राष्ट्र होने के बावजूद भारत में एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है। मुस्लिम वल्र्ड लीग के महासचिव ने गत 11 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी बताया कि आतंकवाद में भारतीय मुसलमानों की संलिप्तता बहुत कम है। श्री डोभाल ने कहा कि एक गौरवान्वित सभ्यता वाले राष्ट्र के
रूप में भारत हमारे समय की
चुनौतियों से निपटने के लिए सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में विश्वास करता है। ये सभी बातें हमें भारतीय होने पर गर्व का अनुभव कराती हैं।
मोदी सरकार को सत्ता में आए 9 साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र में उनकी सरकार के 9 साल पूरे होने पर कहा था कि लोगों के जीवन को बेहतर करने की उनकी इच्छा उनके हर फैसले का कारण रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘आज, हम राष्ट्र की सेवा में 9 साल पूरे कर रहे हैं। मैं कृतज्ञ और आभारी हूं। (इस दौरान) किए गए हर फैसले, उठाए गए हर कदम के पीछे लोगों का जीवन बेहतर बनाने की इच्छा रही है। हम एक विकसित भारत के निर्माण के लिए और भी मेहनत से काम करते रहेंगे।’’ वैश्विक स्तर पर भारत के ‘‘बढ़ते’’ कद से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर, गरीबों के लिए आवास और शौचालय जैसे कल्याणकारी कदम, पाइप से पानी की आपूर्ति को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचा विकास और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लाने के प्रयास उन पहलों में शामिल रहे, जिनका भाजपा नेताओं ने देश के हर राज्य में आयोजित संवाददाता सम्मेलनों में उल्लेख किया। राष्ट्र संघ की रिपोर्ट भी यही कहती है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में भाजपा की विचारधारा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए जिनमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ करना शामिल है। गौरतलब है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद मोदी ने 30 मई 2019 को लगातार दूसरी बार बतौर प्रधानमंत्री, देश की कमान संभाली थी। लोकसभा की 543 सीटों में भाजपा ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी। मोदी सरकार के बीते 9 साल को बेमिसाल कहना बेमानी नहीं है। राजनीतिक, सामाजिक, कूटनीतिक, शैक्षणिक, रक्षा या लोक कल्याण किसी भी कसौटी पर देखें तो उपलब्धियों की एक फेहरिस्त है। इन उपलब्धियों में चंद ऐसी भी हैं जिन पर सवाल उठे हैं लेकिन वह नजरिये की बात है। मोदी सरकार बीते 9 साल में सक्रिय, जीवंत और बदलाव को तत्पर दिखी है। कोविड जैसी महामारी के बीच भारत की आर्थिक तबीयत को संभाल कर रखना भी बड़ी उपलब्धि है। मोदी सरकार के राजनीतिक निर्णयों की चर्चा अधिक हुई है। यही कारण है कि उपलब्धियां हमेशा विवादों के बीच गिनाई जाती रही हैं। वर्षों से लंबित राम जन्म भूमि विवाद का हल सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निकला। इसका श्रेय चाहे जिस किसी को मिले, लेकिन यह मोदी सरकार के दौरान घटी सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में एक है- इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।
इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को प्रभावहीन बनाना और प्रदेश को तीन हिस्सों में बांट देना मोदी सरकार की उपलब्धि मानी जाती है। यह भाजपा के घोषणापत्र में दशकों से रहा था। इसे पूरा कर दिया गया। सरकार का दावा है कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में शांति लौटी है, आतंकवाद का युग खत्म हुआ है और पाकिस्तान की सरपरस्ती में चलने वाली सियासत का बिल्कुल अंत हो गया है। मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि देश में लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग पैदा करना है। 3.45 करोड़ लोगों को पीएम आवास योजना के तहत मकान, उज्जवला योजना के तहत 9.59 करोड़ लोगों को एलपीजी कनेक्शन, जन आरोग्य योजना के तहत 4.44 करोड़ लोगों का मेडीक्लेम से इलाज, किसान सम्मान निधि के तहत देशभर में 12 करोड़ किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की मदद, हर घर जल योजना के तहत 11.66 करोड़ परिवारों को पीने का साफ पानी उल्लेखनीय उपलब्धि है। (हिफी)

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