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छत्तीसगढ़ में दीपक बैज को कमान

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

इसी साल जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमंे छत्तीसगढ़ भी शामिल है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां भाजपा के डा. रमन सिंह से सत्ता छीन ली थी। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए घमासान जरूर हुआ था लेकिन भूपेश बघेल ने सत्ता संभालकर संगठन से भी तालमेल बनाये रखा। संगठन की कमान मोहन मरकाम के पास थी। अब सांसद दीपक बैज को राज्य इकाई का नया अध्यक्ष बनाया गया है। संगठन और सरकार में बेहतर तालमेल बनाकर कांग्रेस राज्य मंे अपनी सरकार को बनाए रखने का प्रयास करेगी। उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस तरह की रणनीति बना रही है ताकि उसकी सरकार बने। पहले कहा जा रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के चेहरे पर इस बार विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा लेकिन अब पार्टी नेतृत्व ने रणनीति बदल दी है। भाजपा छत्तीसगढ़ मंे विधानसभा का चुनाव बिना किसी चेहरे के लड़ेगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस भी भूपेश सिंह को चेहरा बनाकर चुनाव नहीं लड़ेगी। भूपेश के प्रतिद्वन्द्वी टीएस सिंह देव को पहले ही डिप्टी सीएम बनाया जा चुका है।
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पार्टी के प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए 12 जुलाई को सांसद दीपक बैज को अपनी राज्य इकाई का नया
अध्यक्ष नियुक्त किया। बस्तर से लोकसभा सदस्य बैज ने मोहन मरकाम का स्थान लिया है। मरकाम को पार्टी ने चुनाव से कुछ महीने पहले उस वक्त हटाया है जब सरकार और संगठन के बीच टकराव हुआ तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं उनके बीच असहज रिश्तों की खबरें पिछले कुछ महीनों से लगातार आ रही थी। इस बदलाव से कुछ दिनों पहले ही टी एस सिंहदेव को राज्य सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैज को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। छत्तीसगढ़ में इस साल नवंबर- दिसंबर में विधानसभा चुनाव होना है। राज्य में कांग्रेस की सरकार है।
बैज को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक बैज जी को नए दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ।हमारे निवर्तमान अध्यक्ष श्री मोहन मरकाम जी का संगठन का सफल नेतृत्व करने के लिए आभार। मरकाम को प्रदेश
अध्यक्ष पद से हटाने की चर्चा पिछले कुछ महीनों से लगातार जोरों पर थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संगठन में बदलाव को लेकर पार्टी नेतृत्व के साथ विस्तृत चर्चा भी की थी।
इस बीच टकराव की स्थिति देखी गई। पिछले दिनों सैलजा ने मरकाम के एक फैसले को पलट दिया था
और रवि घोष को पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव के रूप में बहाल कर दिया था।मरकाम जिस कोंडागांव विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
करते हैं वह बस्तर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिससे चुनकर वह लोकसभा पहुंचे।
दीपक बैज बस्तर के आदिवासी नेता हैं। वे ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं। चित्रकूट विधानसभा सीट से विधायक (2013 से 2018) रहे हैं। फिलहाल वो बस्तर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। कुछ दिनों पहले दिल्ली में छत्तीसगढ़ को लेकर कांग्रेस हाई कमान की बैठक हुई थी। इस बैठक में इस बात पर जोर दिया गया था कि पार्टी के नेता एकजुट होकर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरें। कांग्रेस के सामने सरकार को दोहराने की चुनौती है। विपक्षी दल बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार को घेर रही है। ऐसे में आने वाले समय में दीपक बैज के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। संगठन के नेताओं को साथ लेकर सामंजस्य बैठाने का काम भी प्रदेश अध्यक्ष के कंधे पर होता है। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की ये दूसरी बड़ी नियुक्ति है। इससे पहले कांग्रेस ने पार्टी के सीनियर नेता और छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री टीएस सिंह देव को राज्य का डिप्टी सीएम बनाया था।
उधर, छत्तीसगढ़ में इसी साल होने वाले विधानसा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्य में पार्टी इस बार तीन बार के मुख्यमंत्री रमन सिंह के चेहरे पर दांव नहीं खेलेगी बल्कि सीधे पीएम मोदी के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरेगी। दरअसल बीजेपी को लगता है कि राज्य में उसके लिए मौका है क्योंकि उसे लगता है कि भूपेश बघेल सरकार के लिए एंटी इनकंबेंसी का माहौल है। बीजेपी ने फैसला किया है कि वो राज्य में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। पीएम मोदी के रायपुर दौरे से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बीते पांच जुलाई को राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के साथ मैराथन बैठक की थी जिसके बाद पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए भी लिया गया ताकि राज्य इकाई में गुटबाजी को थामा जा सके। साल 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली थी। तब पार्टी को 90 में से महज 15 सीटें मिलीं थीं जबकि कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब दोनों पार्टियों के बीच वोट का फासला बढ़कर 10 फीसदी हो गया था। हालांकि इसके अगले साल ही हुए लोकसभा चुनाव परिणाम ने पार्टी की उम्मीदों को पर लगा दिए। तब बीजेपी को राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से 9 पर जीत मिली थी और वोट प्रतिशत भी बढ़कर 50 को पार कर गया था। अब बीजेपी को राज्य में संभावनाएं दिख रही है। बता दें कि पीएम मोदी और अमित शाह के अलावा मनसुख मंडाविया, अर्जुन मुंडा, गिरिराज सिंह और फग्गनसिंह कुलस्ते समेत केंद्र सरकार के कई मंत्री पिछले एक
महीने में छत्तीसगढ़ का दौरा कर चुके हैं। आने वाले दिनों में 24 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ का दौरा
करने वाले हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी और गृहमंत्री चुनाव से पहले महीने में 2 बार छत्तीसगढ़ के किसी न किसी कार्यक्रम में शामिल होंगे। (हिफी)

 

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