मतभेदों से भरे हैं महागठबंधन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति में महाभारत जैसा दृश्य उपस्थित हो गया है। भाजपा को सत्ता से हटाने के लिये कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 26 राजनीतिक दल एक मंच पर इकट्ठा हुए। इसके जवाब में अगले दिन अर्थात 18 जुलाई को दिल्ली के अशोका होटल में भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल 38 छोटे-बड़े राजनीतिक दलों के नेता इस बात का दम भरते हुए दिखे कि 2024 में राजग को सत्ता से कोई नहीं हटा सकता। कहने की जरूरत नहीं है कि केन्द्र और कई राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा को विपक्षी एकता का खतरा महसूस हुआ। इसीलिए उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के नेता ओमप्रकाश राजभर को राजग के साथ आनन-फानन में जोड़ा गया। इतना ही नहीं गठबंधन में संख्या बल ज्यादा दर्शाने के लिये ही बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा-रामविलास पासवान) के नेता चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस, जो पहले से केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल हैं और चिराग पासवान को उन्होंने पार्टी से निकाल दिया था। अब ये दोनों राजग के मंच पर खड़े हैं। इस तरह राजग के घटक दलों की संख्या 38 हो गयी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कहते हैं कि हमारा गठबंधन सेवा के लिए है और विपक्षी दलों का गठबंधन भाजपा को सत्ता से हटाने अर्थात सत्ता पाने के लिए है। उधर, विपक्षी दल कहते हैं कि भाजपा ने 9 साल में संस्थाओं को कमजोर किया है। अभी दोनों गठबंधनों में बहुत घालमेल नजर आता है लेकिन देानेां का मकसद सत्ता ही है। आरोप-प्रत्यारोप दोनों तरफ से लगाए जा रहे हैं लेकिन जनता उससे अप्रभावित लगती है। दोनों गठबंधनों का अभी मूल्यांकन करना जल्दबाजी होगा क्योंकि दोनों में भरपूर मतभेद हैं।
ं2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए तमाम राजनीतिक दल जुट गए हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से अपने गुट की मजबूती के लिए काम शुरू हो चुका है। 26 विपक्षी दलों की बेंगलुरु में दो दिन की बैठक हुई है। अनौपचारिक माहौल में तमाम दल एक-दूसरे से मिले। इसमें सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खरगे,
लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे जैसे तमाम विपक्षी नेता शामिल हुए। दूसरे दिन शरद पवार भी शामिल
हुए। विपक्षी दलों के गठबंधन को इंडिया अर्थात इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लुसिव एलायंस नाम दिया गया
है। यह भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन अभी एकमत नहीं
है। केजरीवाल और उमर अब्दुल्ला
जैसे नेता अप्रत्यक्ष रूप से जो कहना चाहते हैं, उस पर आम सहमति
नहीं है। सीट बंटवारे पर सहमति बतायी गयी।
इस बीच दिल्ली में एनडीए के सभी 38 दलों की बैठक हुई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया इस बैठक में बीजेपी, एआईएडीएमके, शिवसेना, एनपीपी, एनडीपीपी, एसकेएम, जेजेपी, आईएमकेएमके, एजेएसयू, आरपीआई, एमएनएफ, तमिल मानिल कांग्रेस, आईपीएफटी, बीपीपी, पीएमके, एमजीपी, अपना दल, एजीपी, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, निशाद पार्टी, यूपीपीएल, एआईआरएनसी, शिरोमणि अकाली दल संयुक्त, जनसेना, एनसीपी, लोक जनशक्ति पार्टी, एचएएम, आरएलएसपी, एसबीएसपी, बीडीजेएस, केरल कांग्रेस, जीएनएलएफ, जनाधिपति राष्ट्रीय सभा, एनपीएफ, यूडीपी, एचएसडीपी, जनसुराज शक्ति पार्टी व प्रहार जनशक्ति पार्टी इस बैठक मंे शामिल हुए।
इससे पहले भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को देशहित पर आधारित एक ऐसा ‘आदर्श’ गठबंधन करार दिया, जिसका लक्ष्य सेवा करना है। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी दलों के गठबंधन की बुनियाद ‘स्वार्थ’ पर टिकी है तथा उसके पास न तो कोई नेता है, न कोई नीति है और न ही निर्णय लेने की कोई क्षमता।
बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक मंे कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, जेडीयू, आरजेडी, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई एमएल, एनसीपी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जेएमएम, आरएलडी, आरएसपी, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस एम, वीसीके, एमडीएमके, केरला जे, केडीएमके, फॉरवर्ड ब्लॉक, एमएमके व अपना दल (कमेरावादी) के प्रतिनिधि मौजूद थे।
पहले दिन की बैठक से पूर्व कांग्रेस ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा था कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता भारत के राजनीतिक परिदृश्य के लिए परिवर्तनकारी साबित होगी तथा जो लोग अकेले दम पर विपक्षी दलों को हरा देने का दंभ भरते थे, वे इन दिनों ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के भूत’ में नयी जान फूंकने की कोशिश में लगे हुए हैं।
विपक्षी दलों के गठबंधन मंे फिलहाल अगुवाई करते कांग्रेस ही नजर आयी लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस की सत्ता या पीएम पद मंे दिलचस्पी नहीं है। हमारा लक्ष्य संविधान, लांेकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता व सामाजिक न्याय को बचाना है। उन्हांेने स्वीकार किया कि हम में कुछ मतभेद हैं। उनका इशारा पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र की तरफ था। इसके अलावा विपक्षी दलों की दूसरे दिन की बैठक मंे अखिलेश यादव और नीतीश कुमार का मौजूद न रहना भी मतभेदों की तरफ इशारा करता है। गठबंधन के नाम को लेकर भी मतभेद थे। अखिलेश यादव तो इसे पिछड़े, दलित और आदिवासी के नाम पर पीडीए करना चाहते थे। ममता बनर्जी ने भी डेवलपमेंट की जगह डेमोक्रेटिक शब्द प्रयोग किया था। इसीलिए पहले माना जाता था कि गठबंधन की नेता श्रीमती सोनिया गांधी और संयोजक नीतीश कुमार बनाए जाएंगे लेकिन
बाद मंे संयुक्त पत्रकारवार्ता मंे 11 सदस्यीय समन्वय समिति बनाने की घोषणा
की गयी है। विपक्षी दलों के गठबंधन
मंे 26 दल हैं तो समन्वय समिति में
11 कौन होंगे, इस पर भी मतभेद हो सकता है।
उधर, एनडीए का भय भी किसी से छिप नहीं पाया। इसीलिए चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच विवाद के चलते दोनों को एनडीए की बैठक मंे बुलाया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश से सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर के विधायक और मुख्तार अंसारी के बेटे को लेकर उंगलियां उठाई जा रही हैं। महाराष्ट्र से शिवसेना और एनसीपी से टूटे हुए लोग भी एनडीए के लिए समस्या साबित हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि लोकसभा चुनाव मंे सीटों को लेकर इनके विवाद अभी से सामने आ गये हैं। बिहार मंे पशुपति पारस ने साफ-साफ कहा कि वे हाजीपुर सीट नहीं छोड़ेंगे जबकि चिराग पासवान इसे अपने पिता की धरोहर मानते हैं। (हिफी)