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विपक्ष के मतभेदों में लालू बने सेतु

(अशोक त्रिपााठी-हिफी फीचर)

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव की राजनीति का आज भी कोई मुकाबला नहीं है। लालू प्रसाद यादव ने ही 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाल यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (यूपीए) को इतनी मजबूती दी थी कि उसने लगातार एक दशक तक केन्द्र की सत्ता संभाली। वामपंथी दलों को जोड़ने मंे लालू प्रसाद यादव का ही हाथ था। इसके बाद नीतीश कुमार से अपनी चिरप्रतिद्वन्द्विता को भुलाते हुए बिहार मंे महागठबंधन बनाया जिसने भाजपा को राज्य की सत्ता से दूर कर दिया था। लालू प्रसाद यादव की ऐसी ही दूरदर्शिता 18 जुलाई को बेंगलुरू मंे 26 दलों की बैठक मंे देखने को मिली। बेंगलुरू मंे 26 दलों ने एनडीए के खिलाफ इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (इंडिया) बनाया है लेकिन कई दलों के बीच कटुता समाप्त नहीं हो पायी है। लालू प्रसाद यादव ने पश्चिम बंगाल की विषम परिस्थितियों को देखते हुए कांग्रेस और माकपा नेताओं से अपने बयानों पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया। इसी प्रकार दिल्ली और पंजाब को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस नेताओं के बीच कटुता मौजूद है। लालू यादव ने कांग्रेस नेताओं से आप के नेताओं को गले मिलवाकर सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाया है।
सोनिया गांधी और ममता बनर्जी की लंबी बातचीत, जिसे एक पूरी बैठक का नाम भी दिया जा सकता है, बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के पहले दिन के मुख्य आकर्षणों में से एक थी। सूत्रों ने बताया कि दोनों नेता अपनी चर्चा में इतने तल्लीन थे कि अन्य विपक्षी नेताओं को बैठक शुरू करने के लिए कुछ देर इंतजार करना पड़ा। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा से मुकाबला करने के लिए संयुक्त मोर्चे पर निर्णय लेने के लिए 26 विपक्षी दलों के शीर्ष नेता दो दिवसीय बैठक के लिए बेंगलुरु में थे। बैठक के पहले दिन सोनिया गांधी और ममता बनर्जी सबसे पहले मुख्य हॉल में पहुंचीं, जहां कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने हॉल के बीच में खड़े होकर 20 मिनट तक बातचीत की। वे हिंसाग्रस्त बंगाल ग्रामीण चुनावों के बाद पहली बार मिले, जिसमें तृणमूल कांग्रेस का वाम-कांग्रेस गठबंधन के साथ टकराव हुआ था। भाजपा और वाम-कांग्रेस द्वारा चुनावी अनियमितताओं के आरोपों के बीच तृणमूल ने चुनाव में जीत हासिल की। सोनिया गांधी के साथ अपनी चर्चा में, ममता बनर्जी ने कथित तौर पर वाम दलों के साथ तृणमूल कांग्रेस के मनमुटाव के बारे में बात की। उन्होंने कथित तौर पर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार करने वाले बयान पर चर्चा की। बैठक से कुछ देर पहले येचुरी ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा था कि ममता और सीपीएम के बीच कोई बात नहीं होगी। उन्होंने कहा था, पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस के साथ-साथ धर्मनिरपेक्ष दल भी होंगे जो बीजेपी और टीएमसी के खिलाफ लड़ेंगे।
बिहार के राजनेता लालू यादव, जो सोनिया गांधी और ममता बनर्जी दोनों के करीबी हैं, ने कथित तौर पर बातचीत में हस्तक्षेप किया और तृणमूल नेता के समर्थन में सामने आए। कथित तौर पर लालू यादव ने बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस नेताओं द्वारा ममता बनर्जी की लगातार आलोचना करने से बचने की सलाह दी। राजद नेता ने ममता बनर्जी के घोर आलोचक कांग्रेस नेता अधीर रंजन चैधरी की टिप्पणियों का जिक्र किया और कहा कि विपक्षी एकता की खातिर ऐसी टिप्पणियों से हर कीमत पर बचना होगा। सोनिया गांधी और ममता बनर्जी के बीच चर्चा तब जारी रही, जब वे एक साथ बैठे और मेज पर अन्य नेताओं के साथ बैठ नहीं गए। ऐसा माना जाता है कि सोनिया और ममता के बीच अच्छे संबंध हैं, लेकिन बंगाल में उनकी प्रतिद्वंद्विता के कारण उनकी पार्टियों के बीच संबंधों में खटास आ गई है, लेकिन दोनों नेताओं ने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद को बचाने के लिए अगले साल भाजपा को हराना प्राथमिकता है।
बैठक में लालू यादव ने कथित तौर पर कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को भी एक-दूसरे पर हमला करना बंद करना चाहिए। बैठक में जब कांग्रेस नेताओं ने आप नेताओं का स्वागत किया, तो दोनों पार्टियों के नेता गले मिले और मुस्कुराए। जैसे ही आप के राघव चड्ढा कांग्रेस नेताओं के पास पहुंचे, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने मुस्कुराते हुए उन्हें गले लगाया, हालांकि, किसी को भी इसकी उम्मीद नहीं थी। बैठक शुरू हुई तो विपक्षी मोर्चे के लिए एक नाम के लिए सुझाव मांगे गए। कई नेताओं ने सुझाव दिया कि भारत शब्द नाम का हिस्सा होना चाहिए। वाम दलों ने एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम का आह्वान किया और यह भी कहा कि राज्य-विशिष्ट विषयों को अलग रखा जाना चाहिए। विपक्षी दलों ने अपने मोर्चे का नाम इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायन्स रखा है। इस दौरान कई नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि बेंगलुरु में बैठक का उद्देश्य देश, लोकतंत्र और संविधान को बचाना है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस की सत्ता या प्रधानमंत्री पद में कोई दिलचस्पी नहीं है।
विपक्षी नेताओं ने दो दिवसीय बैठक के पहले दिन रात्रिभोज के मौके पर अनौपचारिक रूप से चर्चा की थी। इसके जरिये यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और कुछ अन्य नेता भी दूसरे दिन की बैठक में शामिल हुए जो पहले दिन की बैठक में शामिल नहीं हो सके थे। दूसरे दिन की बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यू) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार, द्रमुक नेता एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आम आदमी पार्टी के नेता
एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के
प्रमुख अखिलेश यादव और कुछ अन्य नेता इस बैठक में शामिल थे। लालू प्रसाद यादव ने संवाददाताओं से
कहा कि अब केंद्र सरकार की विदाई करनी है। (हिफी)

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