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मणिपुर की घटना को लेकर उमा का छलका दर्द

भोपाल। मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ भयावहता के वीडियो सामने आने के बाद इस मुद्दे पर देशभर में राजनीति गरमा रही है। विपक्षी दल जहां मणिपुर की सरकार के साथ-साथ केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को भी घेरने में लगे हैं, वहीं भाजपा के लोग जवाब में राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की घटनाओं का हवाला दे रहे हैं। इस मामले को लेकर अब प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेत्री उमा भारती की भी प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने एक के बाद एक पांच ट्वीट किए और किसी भी दल या नेता का नाम लिए बगैर महिला हिंसा पर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत करने वालों को जमकर घेरा।
उमा ने कहा कि मणिपुर की महिलाओं के अपमान की घटना पर दुःख गहराता जाता है। विपक्ष आरोप लगाता है कि प्रधानमंत्री जी पार्लियामेंट के अंदर बोल दें या (मणिपुर के मुख्यमंत्री) एन. वीरेन सिंह इस्तीफा दे दें। फिर हम कहते हैं कि राजस्थान और बंगाल में भी तो ऐसा होता है। यदि सब जगह ही ऐसा होता है तो सभी जगह गलत नहीं हैं? दो गलत कैसे मिलाके एक सही हो जाएगा? सबसे बड़ा सवाल पुलिस क्यों नहीं पहुंची क्योंकि घटना बहुत लंबे समय तक चलती रही। आसपास की पुलिस की चौकी या थाना जो भी हो, वह सब उतने ही बड़े दंड के भागीदार हैं जितने कि मूल अपराधी लोग। महिलाओं को इस तरह से निर्वस्त्र घुमाते हुए छेड़खानी करते हुए और उनके पिता और भाई बचाने आए तो उनके टुकड़े-टुकड़े करते हुए जैसी घटना होना पूरे देश एवं पूरी दुनिया के लिए कलंक एवं शर्मिंदगी की बात है।
इसके उपरांत उन्होंने ऐसी घटनाओं को रोकने को लेकर भी सुझाव दिए। उमा ने कहा कि अगर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकनी है तो मौके पर न पहुंचने वाले पुलिसकर्मियों पर कठोरतम कार्रवाई हो। भारतीय दंड विधान संहिता में जो कठोरतम दंड ऐसे अपराध के लिए हो वह फास्ट ट्रेक कोर्ट के जरिए उनको दंडित किया जाना चाहिए। पूरे देशवासियों को और पूरी राजनीतिक व्यवस्था को उन महिलाओं से अपने गुनाहों की क्षमा याचना करनी चाहिए। इसलिए कृपया मणिपुर, राजस्थान, बंगाल का इस पर कंपटीशन मत कराइए, सभी लोग मिलकर माफी मांगिए।

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