लेखक की कलम

उदाहरण बन गये सीएम योगी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी कालजयी रचना साकेत मंे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के माध्यम से भाई भरत के चरित्र को बताते हुए कहा है-
देना पडा है कोई जब प्यारा उदाहरण।
हमने दिया है तब तुम्हारा उदाहरण।।
अर्थात् उदाहरण कोई सामान्य बात नहीं है। उसके लिए व्यक्तित्व के विविध आयाम देखने पड़ते हैं। अभी कुछ दिन पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल मंे अवैध निर्माण को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। राज्य सरकार पर अवैध निर्माण हटवाने मंे अक्षमता दिखाने पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कोलकाता पुलिस और नगर निगम को सलाह दी कि यदि अवैध निर्माण हटाने मंे जरूरत पड़े तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर किराये पर ले लें। कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह उदाहरण देकर साबित कर दिया कि यूपी के मुख्यमंत्री एक ऐसे सीएम हैं जिनका उदाहरण सख्त और लोकहित की कार्रवाई के लिए दिया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ सिर्फ माफियाओं, गुण्डों-बदमाशों को लेकर ही सख्त नहीं हैं बल्कि अपनी सरकार के अफसरों को भी गलत काम नहीं करने देते। अभी ताजा उदाहरण वन विभाग में बड़ी संख्या मंे किये गये ट्रांसफर हैं। ये तबादले विभाग के एक बड़े अधिकारी ने किये जबकि विभागीय मंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं हुई। मुख्यमंत्री, योगी ने सभी तबादले स्थगित कर दिये और अफसर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये। इससे पहले स्वास्थ्य विभाग और लोकनिर्माण विभाग को लेकर भी इसी तरह का सख्त रवैया मुख्यमंत्री योगी ने अपनाया था। यही कारण है कि आज देश भर में सख्त कार्रवाई के लिए योगी आदित्यनाथ का उदाहरण दिया जाता है।

अविश्वास पर विपक्ष का दयनीय प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल मंे ममता बनर्जी की सरकार के विरोध मंे कुछ आरोप राजनीतिक हो सकते हैं लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की टिप्पणी को राजनीतिक नहीं कहा जा सकता। उन्हांेने राज्य सरकार की इच्छाशक्ति मंे कमी अथवा अफसरों पर सरकार की ढीली पकड़ की तरफ ही इशारा किया है। जस्टिस गंगोपाध्याय कोलकाता के मानिकतला इलाके मंे अवैध निर्माण के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। याचिकाकर्ता महिला के वकील ने कोर्ट में महिला की सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई थी और कहा था कि अवैध निर्माण के खिलाफ कदम उठाने के कारण वह असुरक्षित महसूस कर रही है। इस प्रकार यह मामला सिर्फ भू-माफिया के खिलाफ ही नहीं बल्कि महिलाओं की सुरक्षा से भी जुड़ा है। इसीलिए जस्टिस गंगोपाध्याय ने कुछ ज्यादा कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा अवैध निर्माण गिराने के लिए जरूरत पड़े तो कोलकाता नगर निगम कुछ बुलडोजर किराये पर ले ले। इसके बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने सरकार की ढिलाई की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जरूरत पड़े तो योगी से बुलडोजर किराये पर ले ले। इस प्रकार अदालत ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप मंे प्रस्तुत किया है।
योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग मंे थोक में किये गये तबादलों को लेकर भी सख्ती दिखाई है। वन विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे ने सेवानिवृत्ति से तीन दिन पहले 90 से ज्यादा क्षेत्रीय वनाधिकारियों (रेंजरों) के तबादले कर दिए। इसमें विभागीय मंत्री को भी भरोसे में नहीं लिया गया। मंत्री ने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की थी। मंत्री की नाराजगी के बाद शासन ने सभी तबादले निरस्त कर दिए हैं। शासन ने विभागाध्यक्ष के रवैये को स्वेच्छाचारी और विभागीय हितों के प्रतिकूल बताते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।वन विभाग में 28 जुलाई को 70-100 रेंजरों के तबादले कर दिए गए, जबकि 35 करोड़ पौधरोपण अभियान के चलते स्थानांतरण के लिए कट ऑफ डेट 30 जून को बढ़ाकर यहां 30 सितंबर कर दी गई थी। ये तबादले विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे के स्तर से किए गए। वह 31 जुलाई को रिटायर हो जाएंगी। वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने पहले यह मामला सरकार में उच्चस्तर पर उठाया। उच्चस्तर से हरी झंडी मिलने पर वन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण को पत्र लिखा कि क्षेत्रीय वनाधिकारियों का स्थानांतरण आदेश बिना मेरी अनुमति, अनुमोदन और विचार-विमर्श किए जारी किए गए हैं जबकि, 15 अगस्त को 5 करोड़ पौधरोपण किया जाना शेष है। इतना ही नहीं वन मंत्री ने तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण आदेशों को निरस्त करते हुए प्रकरण की सक्षम स्तर से जांच कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दे दिए हैं।

उत्तर कोरिया ने प्रतिबंधों को किया दरकिनार
मामले की गंभीरता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अपर मुख्य सचिव, वन मनोज कुमार सिंह ने रविवार को अवकाश के बावजूद विभागाध्यक्ष के स्तर से विगत 15 दिनों में रेंजरों के किए गए सभी स्थानांतरण तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में यह भी कहा गया है कि इन तबादलों पर न ही शासन का पूर्व अनुमोदन लिया गया और न ही तबादलों की प्रतिलिपि मुहैया कराई गई। इस तरह वृक्षारोपण सत्र के मध्य में किए गए क्षेत्रीय अधिकारियों के स्थानांतरण संदेह के घेरे में आ जाते हैं।
अफसरों पर भी सरकार को नजर रखनी चाहिए। इसीलिए सीएम कमांड सेंटर और डैशबोर्ड के जरिए 53 विभागों की 588 योजनाओं एवं परियोजनाओं की प्रगति पर राज्य सरकार की सीधी नजर रहेगी। वहीं मंडलायुक्त, डीएम की रैंकिंग व ग्रेडिंग के लिए 106 फ्लैगशिप प्रोजेक्ट चिह्नित किए गए हैं। दरअसल, पहले विभागों के कार्यों की प्रगति का डाटा कलेक्शन नहीं हो पा रहा था। राज्य सरकार ने सही डाटा कैप्चर करने की शुरुआत की, जिससे सही स्थिति सामने आयी।नीति आयोग ने इसकी प्रशंसा भी की।मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी स्थापना का उद्देश्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में गति लाने के साथ जनमानस की संतुष्टि को भी इससे जोड़ना है। समस्याओं के समाधान के लिए तकनीक का प्रयोग करना है। अब हम जिलों की हर गतिविधि को मॉनीटर कर सकते हैं। देश के 112 आकांक्षात्मक जिलों में प्रदेश के आठ जिले प्रगति में सबसे नीचे थे। डाटा कैप्चर करने के बाद छह जिले अच्छा प्रदर्शन करने वाले देश के टॉप-10 जिलों में शामिल हुए। वहीं, टॉप-20 में प्रदेश के सभी आठ जिले शामिल हुए। इसी तरह देश में 500 विकास खंडों को आकांक्षात्मक विकास खंड के रूप में चयनित किया गया है। इसमें प्रदेश के 100 विकास खंडों की प्रगति सबसे अच्छी है। इस अवसर पर एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। इस दौरान जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, नगर विकास मंत्री एके शर्मा, डीजीपी विजय कुमार, सलाहकार मुख्यमंत्री अवनीश कुमार अवस्थी, एपीसी मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद, सूचना निदेशक शिशिर आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी को देश के विकास का ग्रोथ इंजन बनाने के लिए प्रदेश के सभी 93 विभागों को डैश बोर्ड से जोड़ा जाएगा। अधिकारियों का दायित्व है कि डाटा सही तथा समयबद्ध हो। रिश्वतखोर सहायक चकबन्दी को 5 साल की सजाइसमें हेरा-फेरी नहीं होनी चाहिए। मुख्य सचिव द्वारा इनकी पाक्षिक समीक्षा तथा मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्रतिमाह समीक्षा की जाएगी। इसी से जिलों तथा फील्ड में तैनात अधिकारियों की ग्रेडिंग भी तय हो जाती है। इस दौरान उन्होंने मेरठ में आरआरटीएस परियोजना, कानपुर मेट्रो, प्रयागराज में उच्च न्यायालय की सुरक्षा तथा चित्रकूट में जल जीवन मिशन की प्रगति की जानकारी भी ली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सबसे सटीक जानकारी कॉमनमैन से ही मिलती हैं। राज्य सरकार में ह्यूमन इंटेलिजेन्स के साथ ही, आईजीआरएस तथा सीएम हेल्पलाइन का मैकेनिज्म है। जनता दर्शन में विभिन्न जिलों से लोग समस्याएं लेकर आते हैं, जो जिला, तहसील, थाने स्तर आदि की होती हैं। यह ह्यूमन इंटेलिजेंस विभागों की कार्य प्रणाली की जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम हैं। डीएम, एसपी सुनिश्चित करें कि तहसील, विकास खंड तथा थानों में सामान्य व्यक्ति की बात सीधे सुनी जाए, कोई मध्यस्थ न हो। (हिफी)

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