महासमर के लिए नड्डा की टीम
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था ‘भाजपा कार्यकर्ताओं को 2047 के बारे मंे सोचना चाहिए जब यह देश आजादी की शताब्दी मना रहा होगा।’ पीएम मोदी के कहने का तात्पर्य यही था कि हमें सिर्फ 2024 के लेाकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर तैयारी नहीं करनी है बल्कि दूरदर्शी कार्यक्रम बनाने हैं। इसी रणनीति के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अभी हाल मंे (29 जुलाई) संगठन मंे बदलाव किया है। भाजपा संगठन में प्रभारी और सहप्रभारियों की भूमिका भी अहम होती है। वे पार्टी की प्रदेश इकाई और केन्द्रीय नेतृत्व के बीच सेतु का काम करते हैं। भाजपा को मुसलमानों का विरोधी साबित करने का प्रयास लगातार विपक्षी दल करते रहते हैं। इस भ्रांति को दूर करने के लिए ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। तारिक मंसूर पसमांदा मुसलमानों के समुदाय से आते हैं। महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हुए एक तरफ राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को जहां राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया, वहीं इसी साल विधानसभा चुनाव वाले राज्य छत्तीसगढ़ की लता उसेंडी को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। इस प्रकार जेपी नड्डा की नई टीम में 13 उपाध्यक्ष और नौ महासचिव हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संगठन में विस्तार से पहले हैदराबाद मंे साउथ के नेताओं ने साथ बैठक की थी। इसी चिंतन के चलते भारतीय जनता पार्टी ने अपने नए राष्ट्रीय पदाधिकारियों के नाम का ऐलान किया है। नई सूची के मुताबिक लक्ष्मीकांत वाजपेयी, संजय बंदी, राधामोहन अग्रवाल और अनिल एंटनी जैसे नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। लक्ष्मीकांत वाजपेयी, लता उसेंडी और तारिक मंसूर को उपाध्याक्ष बनाया गया है। वहीं, संजय बंदी और राधामोहन अग्रवाल को संगठन का नया महासचिव नियुक्त किया गया है, जबकि अनिल एंटनी को सचिव पद की जिम्मेदारी दी गई है। जाहिर है यूपी को विशेष महत्व दिया गया।
दूसरी तरफ बीजेपी ने उपाध्यक्ष के पद से दिलीप घोष और भारतीबेन शायल की छुट्टी कर दी है। इसी तरह महासचिव पद से भी सीटी रवि और दिलीप सैकिया को हटाया गया है। हरीश द्विवेदी से सचिव का पद वापस लिया गया है। संगठन के भीतर किए इन बदलावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा कदम माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इन बदलावों से बीजेपी और मजबूत होगी।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम में 13 उपाध्यक्ष और नौ महासचिव शामिल हैं। विधान परिषद सदस्य और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को भाजपा उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मंसूर एक पसमांदा मुसलमान हैं। भाजपा की तेलंगाना इकाई के पूर्व अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। देश में अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। इससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं। राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि कर्नाटक विधानसभा में अपना ही चुनाव हार गए थे। वह विधानसभा चुनाव के समय बी.एस. येदियुरप्पा से भिड़ भी गए थे। हालांकि, वह बी.एल. संतोष के करीबी माने जाते हैं लेकिन कहा जाता है कि वह महासचिव के तौर पर छाप छोड़ने में नाकाम रहे। शायद यही वजह रही कि उन्हें अब जाना पड़ा है। इसी प्रकार दिलीप घोष की बयानबाजी पर अंकुश नहीं लग पा रहा था।
भारतीबेन शायल के माध्यम से क्षेत्रीय संतुलन की कवायद की गयी। सुनील देवधर को दूसरी जिम्मेदारी मिलेगी और लक्ष्मीकांत वाजपेयी पश्चिमी यूपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। वे लंबे समय से हाशिए पर थे। लता उसेंडी छत्तीसगढ़ बीजेपी का प्रमुख चेहरा हैं। चुनावी राज्य की महिला नेता से प्रभाव बढ़ेगा। तारिक मंसूर मुस्लिम जगत में बड़ा नाम है। हाल तक एएमयू के वाइस चांसलर थे। बीजेपी संघ के नेताओं से नजदीकी रही है।
महासचिव बंदी संजय कुमार तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर प्रभावी काम करते रहे। गुटबाजी के चलते प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए थे, पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य और अब राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। यूपी के राधा मोहन अग्रवाल लगातार पंद्रह साल गोरखपुर शहर विधायक रहे। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के लिए सीट छोड़ी थी।
हाल में राज्य सभा भेजे गए, कामाख्या प्रसाद ताला सचिव बनाए गये हैं। वह सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बेहद करीबी रहे बतौर सांसद प्रभावी काम किया है। इसी प्रकार सुरेंद्र सिंह नागर बीएसपी से बीजेपी में आए। अनुच्छेद 370 में मतदान के समय साथ दिया था, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ताकतवर नेता हैं। अनिल एंटनी पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी के बेटे हैं। हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं। केरल में पैर पसारने में बीजेपी को मिलेगी मदद मिलेगी। भाजपा संगठन में प्रभारी और सह-प्रभारियों की भूमिका अहम होती है। वे पार्टी की प्रदेश इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कड़ी का काम करते हैं। बेंगलुरु में विपक्ष की दो दिन की बैठक खत्म होने के बाद दिल्ली में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की
बैठक हुई थी। इसमें बीजेपी समेत
38 दल शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की बैठक में विपक्षी गठबंधन पर तंज कसे थे लेकिन एनडीए की मजबूती के साथ वह भाजपा के संगठन को संतुलित और प्रभावी बनाना चाहते हैं। नड्डा ने यही प्रयास किया है।
लोकसभा चुनाव के लिहाज से इसे बेहद अहम माना जा रहा है। इस लिस्ट में कई पुराने लोगों की छुट्टी कर दी गई है तो वहीं कई नए चेहरों को भी जगह दी गई है। इस बार यूपी के आठ नेताओं को राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में रखा गया है तो वहीं विनोद सोनकर, हरीश द्विवेदी और सुनील देवधर जैसे नेताओं को राष्ट्रीय सचिव के पद से हटा दिया गया है। वहीं राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर को नई टीम में शामिल किया गया है। इस बार बीजेपी का सबसे ज्यादा यूपी पर फोकस हैं। बीजेपी ने यहां की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है ऐसे में पार्टी किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है, जिसे देखते हुए कई रणनीतिक बदलाव किए गए हैं। इस सूची में महिलाओं पर भी फोकस किया गया है। बीजेपी राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में यूपी से आठ नेताओं को शामिल किया गया है, जबकि सांसद विनय सोनकर और हरीश द्विवेदी को हटा दिया गया है वहीं सुनील देवधर को राष्ट्रीय सचिव पद से हटा दिया है।
विनोद सोनकर यूपी की कौशांबी सीट से लोकसभा सांसद है तो वहीं हरीश द्विवेदी बस्ती सीट से लोकसभा सांसद हैं। इन दोनों को जहां पद से हटाया गया तो वहीं राज्यसभा के सदस्य सुरेंद्र नागर को सचिव के रूप में पार्टी की राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया है। उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद नरेश बंसल को पार्टी का नया सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया है। वो मध्य प्रदेश के सांसद सुधीर गुप्ता की जगह लेंगे। गुप्ता गुजरात के सह-प्रभारी भी थे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटाए गए राधामोहन सिंह के पास उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभार था। (हिफी)