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ज्ञानवापी पर योगी का सुझाव बेहतर

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ज्ञानवापी का मामला अभी फसाद के स्तर पर नहीं पहुंचा है लेकिन आगे इसकी आशंका प्रबल है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी पिछले दिनों एक समाचार एजेंसी को साक्षात्कार मंे कहा था कि अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहा गया तो विवाद होगा। उन्हांेने कहा कि ‘मुझे लगता है कि जिसे भगवान ने दृष्टि का आशीर्वाद दिया है, उसे देखना चाहिए। मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है? हमने इसे वहां नहीं रखा। वहां एक ज्योतिर्लिंग, देव प्रतिमाएं (मूर्तियां) हैं। दीवारें चीख-चीख कर कुछ कह रही हैं। मुझे लगता है कि मुस्लिम समाज की ओर से एक प्रस्ताव आना चाहिए कि एक ऐतिहासिक गलती हुई है और हमंे समाधान की जरूरत है…’ योगी के इस साक्षात्कार के चार दिन बाद ही इलाहाबाद हाईकोर्ट का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के सर्वे को लेकर फैसला गया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा लेकिन सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि पहले हाईकोर्ट को इस पर अपना फैसला देना होगा। एएसआई संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी एक सरकारी एजेंसी है जो पुरातात्विक अनुसंधान और सांस्कृतिक स्मारकों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्कियोलाॅजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) को ज्ञानवापी मामले मंे सर्वे की इजाजत दे दी है। मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए सुप्रीम कोर्ट मंे जाने की बात कह रहा है जो उसका संवैधानिक अधिकार है लेकिन इस प्रकार विवाद बढ़ेगा। बेहतर होगा, योगी के फार्मूले पर अमल किया जाए।
ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे की इजाजत दे दी है। हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे को ये कहते इजाजत दी कि इससे किसी को नुकसान नहीं। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने सर्वे को रोकने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने जिला जज के आदेश को बरकरार रखा। साथ ही मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया गया। अब ज्ञानवापी परिसर में तत्काल प्रभाव से एएसआई का सर्वे होगा। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने पर कहा कि मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। मुझे विश्वास है कि एएसआई सर्वेक्षण के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी और ज्ञानवापी मुद्दा सुलझ जाएगा। वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 21 जुलाई को चार महिलाओं की याचिका के आधार पर एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। उन्होंने दावा किया था कि ये यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका है कि ऐतिहासिक मस्जिद हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी या नहीं। मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित है। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया, लेकिन मस्जिद समिति के संपर्क करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही घंटों के भीतर इस पर रोक लगा दी थी। मस्जिद समिति ने तर्क दिया था कि संरचना एक हजार साल से अधिक पुरानी है और कोई भी खुदाई इसे अस्थिर कर सकती है, यह गिर सकता है। समिति ने ये भी तर्क दिया था कि ऐसा कोई भी सर्वेक्षण धार्मिक स्थलों के आसपास मौजूदा कानूनों का उल्लंघन है। हालांकि, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि सर्वेक्षण किसी भी तरह से संरचना में बदलाव नहीं करेगा और जोर दिया कि एक ईंट भी नहीं हटाई गई है और न ही इसकी योजना बनाई गई है।
ज्ञानवापी में साइंटिफिक सर्वे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच में सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अगर हिंन्दू पक्ष के मुताबिक सर्वे हो गया तो मस्जिद की पूरी ईमारत ही खत्म हो जाएगी। इसके जवाब में हिंन्दू पक्ष की तरफ से कहा गया कि ।ैप्से निर्देश लेने के बाद एसजी तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पहले ही। साफ कर चुके है कि मस्जिद की इमारत को कोई नुकसान नहीं होगा। जिला जज ने भी अपने आदेश मे मस्जिद की इमारत को नुकसान पहुचाए बगैर सर्वे को अंजाम देने के लिए कहा था। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मे भी एएसआई के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया है कि एएसआई फिलहाल खुदाई जैसा कोई काम नहीं करेगा। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि एएसआई सिर्फ एक हफ्ते के लिए खुदाई न करने की बात कह रही है। इसके बाद वो ऐसी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने हिन्दू पक्ष से पूछा कि क्या आपने जिला अदालत मे कोई दस्तावेज जमा कराए है ? जिनमे सर्वे के पूरे कवायद के प्लान का जिक्र हो। हिन्दू पक्ष ने कहा कि हां सर्वे का पूरा प्लान कोर्ट मे दिया गया था कि ए एस आई कैसे प्लान को अंजाम देगा।
कोर्ट ने पूछा कि क्या देश के किसी दूसरे हिस्से मे भी कभी इस तरह का सर्वे हुआ है। हिन्दू पक्ष ने कहा कि राम जन्मभूमि केस में भी ऐसा ही हुआ था। मुस्लिम पक्ष ने हिन्दू पक्ष की ओर से निचली अदालत मे रखी मांगों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी मांग में खुद खुदाई के जरिए सर्वे कराने की बात कही गई थी। हिन्दू पक्ष ने कहा कि चूंकि मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में ये दावा किया था कि औरंगजेब ने ये मस्जिद बनाई है ऐसे मे वाकई ये औरंगजेब की बनाई मस्जिद थी या कोई हिन्दू मंदिर था। इस सच का पता करने के लिए हमने सर्वे की मांग जिला अदालत से की थी।
मुस्लिम पक्ष का कहना है 1669 में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया। ज्ञानवापी मस्जिद 1000 साल से ज्यादा वहां मौजूद है। कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के दौरान शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा मिला था। राम जन्मभूमि के मामले में फैसले की परिस्थितियां अलग थी। राम मंदिर का उदाहरण ज्ञानवापी के मामले में नहीं दिया जा सकता है। जिस ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मंदिर होने की बात की जा रही है, वो मनगढ़ंत है। हिंदू पक्ष की ये कल्पना है कि पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ढांचे के नीचे कुछ मौजूद है। कल्पना के आधार पर एएसआई सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती।
उधर, हिंदू पक्ष का दावा है कि प्लॉट नंबर 9130 पर ही 1585 में राजा टोडरमल ने मंदिर का निर्माण कराया और 1669 में उसे तोड़ दिया गया। उसी मंदिर में गौरी श्रृंगार, हनुमान और गणेश भगवान की पूजा की मांग महिलाएं कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का जिक्र करते हुए कहा था कि मुस्लिम समाज को आगे आना चाहिए और ऐतिहासिक गलती का समाधान पेश करना चाहिए। सीएम योगी का ये बयान ऐसे समय में आया था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय मस्जिद समिति की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में, एएनआई संपादक स्मिता प्रकाश के साथ पॉडकास्ट का हिस्सा रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहा गया तो विवाद होगा। उन्होंने कहा, अगर हम इसे मस्जिद कहते हैं, तो विवाद होगा। मुझे लगता है कि जिसे भगवान ने दृष्टि का आशीर्वाद दिया है, उसे देखना चाहिए। मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है? हमने इसे वहां नहीं रखा। वहां, एक ज्योतिर्लिंग, देव प्रतिमाएं (मूर्तियां) है। मुख्यमंत्री ने कहा, दीवारें चीख-चीख कर कुछ कह रही हैं। मुझे लगता है कि मुस्लिम समाज की ओर से एक प्रस्ताव आना चाहिए कि एक ऐतिहासिक गलती हुई है और हमें समाधान की जरूरत है। ज्ञानवापी मस्जिद 2021 में तब सुर्खियों में आई जब महिलाओं के एक समूह ने वाराणसी में प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर में देवताओं की पूजा करने की अनुमति के लिए वाराणसी की एक अदालत का दरवाजा खटखटाया। (हिफी)

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