अध्यादेश पर विपक्षी दलों की फजीहत

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)
अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी का साथ देना विपक्षी इंडिया पर भारी पड़ा। संसद में उसे असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। क्योंकि चर्चा के दौरान आबकारी घोटाला, अरविंद केजरीवाल के शीश महल निर्माण घोटाला, इससे सम्बन्धी फाइलों को गायब करने के प्रयास आदि भी चर्चा में आ गए। यह भी पता चला कि दिल्ली विधानसभा और केजरीवाल मंत्रिमण्डल की बैठकें भी संवैधानिक भावना के अनुरूप नहीं होती थी। इसमें केजरीवाल की मनमानी व्यवस्था लागू रहती थी। इन सबके बाद अध्यादेश का विरोध करने वालों को फजीहत और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। संदेश यह गया कि विपक्षी इंडिया आप सरकार के कथित घोटालों और अलोकतांत्रिक तौर तरीकों का समर्थन कर रहा है, उसका बचाव कर रहा है। विपक्षी इंडिया पर नरेंद्र मोदी ने जो आरोप लगाए थे, वह इनकी अपनी हरकतों से प्रमाणित हो गए। मोदी ने कहा कि ये पार्टियां घोटालों से एक दूसरे को बचाने के लिए एकजुट हुई हैं।
विपक्षी गठबंधन को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये। क्या वह आप सरकार के इस कार्य से सहमत थी। अन्यथा अध्यादेश का विरोध क्यों कर रही थी। देश के किसी भी केंद्र शासित राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है। केजरीवाल को भी यह संवैधानिक स्थिति स्वीकार करनी चाहिए। आम आदमी पार्टी ने विपक्षी इंडिया में शामिल होने की शर्त लगाई थी। उसका कहना था कि दिल्ली सम्बन्धी अध्यादेश पर कांग्रेस उसका समर्थन करेंगी तभी वह गठबंधन का हिस्सा बनेगी। गृहमंत्री अमित शाह ने केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कहा कि आप के निशाने पर सतर्कता विभाग था जिससे घोटालों की जांच को प्रभावित किया जाए। उसके पास आबकारी घोटाले की फाइल, मुख्यमंत्री के नये बने आवास को अवैध रूप से बनाये जाने से संबंधित फाइल, बीएसईएस से संबंधित फाइल, एक कंपनी पर इक्कीस हजार करोड़ रुपये के बकाया होने के बावजूद उसे फिर फंड देने से संबंधित फाइल जांच के लिए पड़ी हैं केजरीवाल सरकार देश की एक ऐसी सरकार है, जिसके कार्यकाल में विधानसभा का सत्रावसान ही नहीं होता। जब राजनीतिक भाषण देना होता है तो विधानसभा का आधे दिन का सत्र बुला लिया जाता है। 2021 से लेकर 2023 तक बीच अब तक हर साल केवल एक-एक सत्र बुलाये गये हैं। वह भी बजट के लिए। इसी तरह केजरीवाल सरकार ने वर्ष 2022 में कैबिनेट की मात्र छह बैठकें बुलायीं, वर्ष 2023 में केवल दो ही बैठकें बुलायीं। यह बैठकें भी मुख्यतः बजट को लेकर थीं। पिछले दो वर्ष से विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक भी रिपोर्ट सदन के पटल पर नहीं रखी। आम आदमी पार्टी का जन्म नई राजनीति के दावे के साथ हुआ था, जिसमें ईमानदारी और वीआईपी कल्चर की समाप्ति का जज्बा दिखाया गया था। इसके लिए अरविंद केजरीवाल ने एक प्रकार का मोहक तिलिस्म भी बनाया था। कभी अपनी चर्चित नीली वैगन आर कार की सवारी, ऑटोरिक्शा की सवारी, मेट्रो की सवारी, ये सब उनके इसी तिलिस्म के हिस्से थे। इनके माध्यम से केजरीवाल आम लोगों के सामने नई राजनीति की इबारत लिखने की अपनी कोशिश का प्रदर्शन कर रहे थे। दावा किया गया कि पार्टी की मोहल्ला समिति और दिल्ली के आम लोग ही पार्टी की नीतियों या फैसलों के बारे में सभी फैसले लेंगे। अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन की विरासत का भी आम आदमी पार्टी को भरपूर फायदा मिला। लेकिन सत्ता में पहुँच कर इन्होंने असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। केजरीवाल ने अपने आवास के सौंदर्यीकरण पर पैंतालीस करोड़ रुपये खर्च किए थे। कांग्रेस ने दावा किया है कि केजरीवाल के बंगले पर पैंतालीस नहीं करोड़ नहीं बल्कि एक सौ इकहत्तर करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। सौंदर्यीकरण पर उस वक्त यह खर्च किया गया, जब दिल्ली कोविड महामारी से जूझ रही थी।
केजरीवाल ने जिन पर घोटालों के आरोप लगाए थे,उनके इंडिया में शामिल हैं। वैसे आप सरकार पर भी अब उसी तरह के आरोप हैं। आबकारी विभाग की अनियमितता ने सरकार की छवि को पूरी तरह धूमिल कर दिया हैं। केजरीवाल दिल्ली की संवैधानिक स्थिति नहीं समझेंगे तो उनकी सहायता कोई नहीं कर सकता। केजरीवाल की आबकारी नीति सवालों के घेरे में हैं। दो वर्ष पहले चार हजार करोड़ राजस्व मिला। इसके अगले वर्ष तैतीस सौ करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। इस वर्ष करीब डेढ़ सौ करोड़ का ही राजस्व मिला। पिछले साल से लगभग तीन हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। भाजपा ने कहा कि दिल्ली सरकार शराब ज्यादा बिकने का प्रचार नहीं कर सकती
लेकिन एक पेटी के साथ एक फ्री बिक रही थी, इसका प्रचार किया जा रहा
था और बाहर से आकर भी लोग खरीद रहे थे। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी लागू करने के मामले में हुई कथित गड़बड़ियों की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी। उपराज्यपाल ने इसके लिए चीफ सेक्रेटरी की उस रिपोर्ट को आधार बनाया था। दिल्ली सरकार ने पिछले साल ही अपनी नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी।
उपराज्यपाल ने जिस रिपोर्ट को आधार बनाया है, उसमें कहा गया है कि दिल्ली एक्साइज एक्ट और दिल्ली एक्साइज रूल्स का उल्लंघन किया गया। इसके अलावा शराब विक्रेताओं की लाइसेंस फीस भी माफ की गई,जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ। मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने वैधानिक प्रावधानों और आबकारी नीति का उल्लंघन किया। एक्साइज पालिसी लागू करते हुए कई प्रक्रियाओं का भी पूरी तरह से पालन नहीं किया गया। नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स , दिल्ली एक्साइज एक्ट और दिल्ली एक्साइज रूल्स का उल्लंघन किया गया है। टेंडर जारी होने के बाद लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के गैरवाजिब लाभ पहुंचाने के लिए भी जानबूझकर बड़े पैमाने पर तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। एलजी ऑफिस की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स के रूल नंबर के तहत चीफ सेक्रेटरी ने यह रिपोर्ट एलजी को भेजी थी। यह रूल कहता है कि पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं के पालन में कोई भी कमी पाए जाने पर चीफ सेक्रेटरी तुरंत उस पर संज्ञान लेकर उसकी जानकारी एलजी और सीएम को दे सकते हैं। यह रिपोर्ट भी इन दोनों को भेजी गई थी। रीटेल लाइसेंसियों के लिए विदेशी शराब और बियर की कीमत को सस्ता कर दिया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान झेलना पड़ा। जाहिर है कि आप सरकार की आबकारी नीति से अनेक प्रश्न उठे हैं। इनका जवाब सरकार को देना होगा। अमित शाह के जबाब से विपक्षी गठबंधन की कलई खुली है। कांग्रेस सरकार के समय 69 वें संशोधन अधिनियम, 1992 में दो नए अनुच्छेद 239एए और 239एबी जोड़े गए थे। जिसके अंतर्गत केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को एक विशेष दर्जा दिया गया। अनुच्छेद 239एए में प्रावधान है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कहा जाएगा और इसके प्रशासक को उपराज्यपाल के रूप में जाना जाएगा। यह दिल्ली के लिए एक विधानसभा का निर्माण भी करता है, जो सार्वजनिक व्यवस्था,
भूमि और पुलिस सम्बन्धी मामलों को छोड़कर राज्य सूची और समवर्ती
सूची के तहत विषयों पर कानून बना सकती है। (हिफी)