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मोदी सरकार का ‘विश्वास’ मजबूत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

लोकसभा में नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ मणिपुर मंे हुई हिंसा के चलते विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इसी बीच दिल्ली राज्य को लेकर केन्द्र सरकार के एक अध्यादेश को कानून का रूप देना था। इस अध्यादेश को राज्यसभा मंे पारित कराने मंे दिक्कत हो सकती थी क्योंकि 26 विपक्षी दल एक हो चुके थे। इसलिए 11 अन्य विपक्षी दलों की मदद से ही भाजपा इसे पारित करा सकती थी। राज्यसभा मंे सरकार को बहुमत मिल गया क्योंकि आंध्र प्रदेश के दोनों विपक्षी दल-वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगुदेशम पार्टी ने सरकार के पक्ष मंे मत दिया। इस प्रकार सरकार का विश्वास तो पहले ही मजबूत हो गया है। अब मणिपुर के मामले मंे अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार को 366 सांसद समर्थन दे सकते हैं जबकि विपक्षी दलों के गठबंधन के पास कुल 1343 सांसद ही दिख रहे हैं। लोकसभा में मौजूदा समय मंे 539 सांसद हैं और बहुमत के लिए सिर्फ 270 सांसद चाहिए। भाजपा के पास ही 301 सांसद हैं। जाहिर है कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान सिर्फ खानापूरी है।
मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा तीन दिन के लिए तय की गयी। इस चर्चा के दौरान बीजेपी की ओर से 5 मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और किरेन रिजीजू सहित और 10 सांसद बहस में हिस्सा ले रहे थे। इन सांसदों में निशिकांत दुबे, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, रमेश बिधूड़ी, हिना गावित शामिल हैं। बीजेपी की ओर से बहस की शुरुआत निशिकांत दुबे ने की। वहीं, दोनों पक्षों द्वारा अपने मामले पेश करने के बाद अविश्वास पर मतदान होगा जबकि 10 अगस्त कोे पीएम मोदी इस चर्चा का जवाब देंगे अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग विपक्ष सरकार में विश्वास की कमी को व्यक्त करने के लिए करता है। इसके बाद विश्वास बनाए रखने के लिए सत्ता पार्टी को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है। अगर वह बहुमत खो देती है तो सरकार तुरंत गिर जाती है। सरकार तब तक सत्ता में रह सकती है जब तक उसके पास लोकसभा में बहुमत है। अगर आंकड़ों की बात करें तो वह सरकार के पक्ष में है। उम्मीद है कि विपक्ष इस मौके का फायदा अगले साल लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए अपनी नई मजबूत एकता दिखाने के लिए करेगा।लोकसभा में वर्तमान में 539 सदस्य हैं जो प्रस्ताव में मतदान करेंगे, उनमें से बहुमत का आंकड़ा 270 होगा। अकेले भाजपा के पास 301 मत हैं, जबकि उसके सहयोगियों के पास 31 और वोट हैं।
उधर, विपक्षी गठबंधन के पास 143 मत हैं, जिसमें केसीआर की बीआरएस, वाईएस जगन रेड्डी की वाईएसआरसीपी और नवीन पटनायक की बीजेडी के पास संयुक्त रूप से 70 मत है। इसके अलावा वाईएसआरसीपी (22) और बीजेडी (12) के भी सरकार का समर्थन करने की उम्मीद है। उम्मीद है कि सरकार लगभग 366 सदस्यों के समर्थन के साथ अविश्वास मत हासिल कर लेगी। विपक्षी भारत गठबंधन के पास 143 की ताकत है, और वह बीआरएस के 9 और वोट भी जीत सकती है, जिससे उनकी कुल संख्या 152 हो जाएगी। विपक्ष मणिपुर मुद्दे को लेकर चर्चा की मांग कर रहा है। इसके साथ ही इस मुद्दे पर सदन में प्रधानमंत्री का बयान आना विपक्ष की बड़ी मांग है। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पास कर दिया है। वोटिंग मशीन में खराबी के बाद वोटिंग स्लिप की मदद से विधेयक पर मतदान कराया गया। राज्यसभा में यह बिल 102 (ना) वोटों के मुकाबले 131 (हां) वोटों से पास हुआ। यानी अब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर और भारत सरकार के गजट में प्रकाशन के बाद यह विधेयक आधिकारिक रूप से कानून बन जाएगा।
इस विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा के पटल पर रखा थाराज्यसभा में विधेयक का बचाव करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किसी भी फैसले का उल्लंघन नहीं करता है। इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में सुचारू रूप से भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो। बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर तंज कसते हुए अमित शाह ने कहा, कई बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी, कई बार केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस की, उस समय ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कभी झगड़ा नहीं हुआ। उस समय इसी व्यवस्था से निर्णय होते थे और किसी मुख्यमंत्री को दिक्कत नहीं हुई। कई सदस्यों द्वारा बताया गया कि केंद्र को शक्ति हाथ में लेनी है। हमें शक्ति लेने की जरूरत नहीं क्योंकि 130 करोड़ की जनता ने हमें शक्ति दी हुई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आप सरकार ने शराब घोटाले में एजेंसी द्वारा की जा रही जांच से खुद को बचाने के लिए सतर्कता विभाग में अधिकारियों का तबादला कर दिया। शाह ने कहा, सतर्कता विभाग को लेकर दिल्ली सरकार ने इतनी जल्दबाजी इसलिए दिखाई क्योंकि उसके पास आबकारी नीति घोटाले और शीश-महल से जुड़ी फाइलें थीं। अमित शाह ने कांग्रेस पर भी हमला तेज करते हुए कहा कि वह सिर्फ आप को खुश करने के लिए विधेयक का विरोध कर रही है। अमित शाह ने यहां तक कहा कि दिल्ली सेवा विधेयक पारित होने के बाद अरविंद केजरीवाल विपक्षी गुट इंडिया छोड़ देंगे।
अमित शाह ने कहा कांग्रेस के विरोध के बाद आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ। उन्होंने (केजरीवाल ने) कांग्रेस के खिलाफ लगभग तीन टन आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और अस्तित्व में आए और आज वे इस बिल के विरोध में कांग्रेस से समर्थन मांग रहे हैं जिस वक्त यह बिल पास होगा, अरविंद केजरीवाल जी पलट जाएंगे, ठेंगा दिखाएंगे और कुछ नहीं होने वाला।
केजरीवाल का कहना है कि केंद्र द्वारा 19 मई को जारी अध्यादेश का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटना था, जिसने राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग सहित सेवाओं के संबंध में दिल्ली सरकार को कार्यकारी शक्तियां दी थीं।
बहरहाली, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पास कर दिया है। लोकसभा द्वारा विधेयक को मंजूरी दिए जाने के तुरंत बाद विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट कर दिया। लोकसभा से बिल पास होने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के 2013 के एक ट्वीट पर रिप्लाई करते कहा था कि हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। 2014 में मोदी जी ने खुद कहा कि प्रधान मंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे लेकिन आज इन लोगों ने दिल्ली वालों की पीठ में छुरा घोंप दिया। आगे से मोदी जी की किसी बात पे विश्वास मत करना। बहरहाल, अभी तो जनता मोदी पर ही विश्वास कर रही है। (हिफी)

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