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विभाजन-विभीषिका दिवस

 

विभाजन-विभीषिका दिवस मनाने की शुरुआत प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने की थी। अब स्वतंत्रता दिवस के पहले इसको भी याद किया जाता था। आजादी के पहले भारत का विभाजन हुआ था। यह विभाजन विभीषिका के साथ हुआ था। पाकिस्तान का आतंकी चेहरा भी इसके साथ सामने आ गया था। नरेंद्र मोदी का कहना था कि
विभाजन-विभीषिका स्मृति दिवस भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। विभाजन की त्रासदी सदियों तक याद रखी जाएगी। वहां हिन्दुओं सिखों आदि के साथ आतंकी हिंसा का व्यवहार हुआ था। लाखों लोगों ने आपनी जान गँवाई थी। बड़ी संख्या में लोग अपनी पूरी चल अचल सम्पत्ति छोड़ कर भारत पहुँचे थे। जो वहां रह गए थे उन्हें भी उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा।
नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का कानून बनाया था लेकिन भारत के विपक्ष ने विभाजन विभीषिका और उत्पीड़ित लोगों को नागरिकता देने के कानून को भी वोटबैंक राजनीति के नजरिये से देखा था। इसीलिए नागरिकता संशोधन कानून पर आंदोलनजीवियों ने जम कर हंगामा किया था। यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के संबन्ध में था। यह कानून मानवता पर आधारित है लेकिन इसके विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाया गया था। कई स्थानों पर दंगे हुए। आंदोलन को समर्थन देने के लिए देश के दिग्गज विपक्षी नेता भी पहुंच रहे थे। किसी ने भी यह विचार नहीं किया कि इस कानून को बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी। तब विभाजन की विभीषका को अगर विरोधी याद रखते तो सीएए का महत्व समझ में आता। भारत का विभाजन और स्वतन्त्रता इतिहास के एक ही अध्याय में है। भीषण त्रासदी और विभाजन की काली रात के बाद स्वतन्त्रता का प्रकाश हुआ था। भारत का विभाजन कष्टप्रद था। लेकिन इसके लिए हिंसा का जो प्रदर्शन हुआ, उसने पूरी मानवता को शर्मशार किया था। इतिहास के इस अप्रिय प्रसंग को भी याद रखने की आवश्यकता है।
यह सराहनीय है कि वर्तमान सरकार ने चैदह अगस्त को विभाजन विभीषका स्मृति दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया। विभाजन-विभीषिका स्मृति दिवस नफरत और हिंसा के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। विभाजन की त्रासदी सदियों तक याद रखी जाएगी। यह बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी। इस दौरान हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। इस लड़ाई में महिलाओं ने सबसे अधिक दर्द झेला।पाकिस्तान में हिंदुओं व सिखों के घरों व जमीनों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान छोड़कर भारत चले जाने की नसीहत दी जाती थी। अपनी जमीन छोड़कर न जाने वालों को मार दिया जाता था। हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने से राष्ट्रीय एकता और अखण्डता सुदृढ़ होगी। सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा। देश के बंटवारे से विस्थापित हुए लोगों के संघर्ष और बलिदान की स्मृति में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप आयोजित करने से वर्तमान पीढ़ी को सकारात्मक सन्देश मिलेगा। मानवीय संवेदनाओं को मजबूती मिलेगी। यह भेदभाव, वैमनस्य तथा दुर्भावना को खत्म करने के लिए देशवासियों को प्रेरित करेगा। विभाजन के कारण लाखों लोगों ने हिंसा, अपनों की मृत्यु और विस्थापन की विभीषिका को झेला है। इस संघर्ष में जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया, उन्हें याद रखना आवश्यक है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस देश के विभाजन का दंश झेलने वाले सभी परिवारों को सच्ची श्रद्धांजलि है। देश अब विकास की तरफ अग्रसर है। इसके साथ ही पूर्णता की तरफ बढ़ने का मंसूबा है। देश के शत-प्रतिशत लोगों तक सुविधाएं व विकास के लाभ को पहुंचाया जा रहा है। सभी परिवारों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। शहरों और गांवों के बीच के अंतर को समाप्त करने के लिए वहां तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी पहुंच रहा है। गांव में कई जगहों पर महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप में शामिल हो कर नए उद्यम कर रही हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने की तैयारी में है। इससे उनके उत्पाद देश के हर कोने तक पहुंच सकेंगे।
वर्तमान सरकार ने पिछले कई दशकों से अनसुलझी समस्याओं को भी सुलझाने का काम किया है। सेनाओं के हाथ मजबूत करने के लिए भी सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। भारतीय कंपनियों और उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में अवसर देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला, देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने की नई व्यवस्था जीएसटी, देश के जवानों को वन रैंक वन पेंशन, राम जन्मभूमि केस का शांतिपूर्ण समाधान पिछले कुछ दिनों में देश ने सच होते देखा है। कृषि क्षेत्र की बात करें तो देश के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं, जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पहले देश में बनी नीतियों में इन छोटे किसानों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिये जा रहे हैं। उन्हें सस्ते में सामग्री मिले,आसानी से ऋण मिले और फसलों पर बीमा मिले इस पर जोर दिया जा रहा है। सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खोलने की घोषणा की गई। वर्तमान में देश में तैतीस सैनिक स्कूल चल रहे हैं। सड़क से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं में सुरक्षा का एहसास और सम्मान का भाव हो। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेल को एक्स्ट्रा करिकुलर के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है। मातृभाषा की प्राथमिकता पर जोर दिया गया है।
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में भारत नई ऊर्जा के साथ काम कर रहा है। स्वर्णिम भविष्य के रोडमैप पर कार्य किया जा रहा है। देशवासियों में आशा और विश्वास का संचार हुआ है। इक्कीसवीं सदी का आने वाला समय भारत का होगा। नरेंद्र मोदी ने न्यू इंडिया का रोडमैप बनाया था जिसमें भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके साथ ही गरीबों, किसानों, छोटे व्यवसायियों का जीवन स्तर सुधारने का भी संकल्प लिया गया था। पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस दिशा में अनेक योजनाएं लागू की थीं। इनके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं। जनधन खातों से लेकर उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रत्येक घर तक बिजली पहुंचाने की योजना, सौर ऊर्जा योजना, किसान सम्मान योजना, शौचालय निर्माण योजना, मुद्रा बैंक योजना, कौशल विकास योजना, स्टार्ट अप, मृदा परीक्षण, योजना, शहरी व ग्रामीण सड़क निर्माण योजना जैसी अनेक योजनाओं में अभूतपूर्व कार्य किये गए। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)

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