सागर के आंगन में अब विंध्यागिरी

अब सिर्फ थल पर ही नहीं हवा और जल मंे भी मजबूत किलेबंदी की जरूरत है। हमारे देश के तीन तरफ समुद्र है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि दो तरफ से दो दुश्मन देश दुर्भावना की दृष्टि से घात लगाये रहते हैं। थल और नभ में हम बहुत मजबूत हैं। किसी भी दुश्मन देश को हम मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं। सागर के आंगन में भी हमारी किलेबंदी मजबूत हो रही है। गत 17 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छठा जंगी जहाज विंध्यागिरी का जलावतरण किया है। लगभग 488 फिट लम्बे इस जहाज मंे ब्रह्मोस मिसाइल भी लगी है। समुद्र मंे हमारी ताकत इससे काफी बढ़ गयी है। इस जंगी जहाज को मंझगांव डाकयार्ड और गार्डेन रीच शिप विल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स ने बनाया है। स्टील अथारिटी आफ इंडिया ने इसके लिए स्टील प्रदान की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 17 अगस्त को हुगली नदी के तट पर ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स लिमिटेड’ (जीआरएसई) केंद्र में भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट 17 अल्फा’ के छठे नौसैन्य युद्धपोत ‘विंध्यगिरि’ का जलावतरण (लॉन्च) किया। इससे भारत की समुद्री ताकत में और इजाफा हो गया है। युद्धपोत विंध्यगिरि तकनीकी रूप से उन्नत है। परियोजना के तहत पहले युद्धपोत का जलावतरण 2019 और 2022 के बीच हुआ था। यह तीसरा और आखिरी युद्धपोत है, जिसका कोलकाता स्थित युद्धपोत निर्माता ने परियोजना के तहत नौसेना के लिए निर्माण किया है। आईएनएस नीलगिरि, उदयगिरि, हिमगिरि, तारागिरि और दूनागिरि की तरह, विंध्यगिरि का नाम कर्नाटक की एक पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है।
नौसेना में लगभग 31 वर्षों की अपनी सेवा में पुराने विंध्यगिरि ने विभिन्न चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन और बहुराष्ट्रीय अभ्यास देखे। नया विंध्यगिरि, जिसका अब जलावतरण हुआ है, अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को अपनाने और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के भविष्य की दिशा में खुद को आगे बढ़ाने के भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है। विंध्यगिरि पी17ए निर्देशित मिसाइल युद्धपोत हैं। प्रत्येक युद्धपोत की लंबाई 149 मीटर है। इसका वजन लगभग 6,670 टन और गति 28 समुद्री मील है। ये वायु, सतह और सतह से नीचे तीनों आयामों में खतरों को बेअसर करने में सक्षम है। इस युद्धपोत के उपकरण और पी17ए जहाजों की प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों से हैं, जिसमें सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम (एमएसएमई) भी शामिल हैं। ये युद्धपोत प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलो-ऑन हैं। विंध्यगिरि का प्रक्षेपण आत्मनिर्भर नौसैनिक बल के निर्माण में हमारे राष्ट्र द्वारा की गई अविश्वसनीय प्रगति का एक उपयुक्त प्रमाण है
इससे पूर्व बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय नौसेना को अपने एक नौसेनिक जहाज को नष्ट करने की अनुमति दे दी जो एक मालवाहक जहाज से टक्कर के बाद एक साल से भी ज्यादा समय से शहर की गोदी पर खड़ा था। न्यायमूर्ति रोशन दलवी ने नौसेना की एक अर्जी पर सुनवाई की जिसमें आईएनएस विंध्यागिरि जहाज को इस आधार पर नष्ट करने की अनुमति मांगी गई थी कि इसमें गोला-बारूद रखा है। नौसेना ने यह भी कहा कि जहाज को लंबे समय तक इस स्थिति में रखना सुरक्षित नहीं होगा। साइप्रस का झंडा लगा मालवाहक पोत एमवी नार्डलेक पिछले साल 30 जनवरी को आईएनएस विंध्यागिरी से टकरा गया था। टक्कर के बाद नौसेनिक जहाज को गोदी पर खड़ा कर दिया गया। नौसेना को अदालत से जहाज को नष्ट करने की अनुमति इसलिए मांगनी पड़ी क्योंकि फिलहाल उच्च न्यायालय मालवाहक जहाज का स्वामित्व रखने वाली कंपनी से नौसेना द्वारा मांगे गए मुआवजे के विवाद पर सुनवाई कर रहा है। नौसेना द्वारा दाखिल अर्जी के मुताबिक, ‘जिस गोदी में आईएनएस विंध्यागिरी फिलहाल खड़ा है वहां कई अन्य नौसेनिक युद्धपोत भी हैं। वहां अन्य मालवाहक जहाज भी थे जो शहर के बंदरगाह से गुजरते हैं, जो इसी इलाके में है। इस तरह से गोला-बारूद को रखना असुरक्षित है और अन्य जहाजों को खतरा हो सकता था।
नीलगिरी क्लास फ्रिगेट्स को मझगांव डॉकयार्ड और गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स बना रहे हैं। इसके अंतर्गत सात जंगी जहाज बन रहे हैं। जिनमें से पांच लॉन्च हो चुके हैं और बाकी के 2025 तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएंगे। इन लॉन्च किए गए फ्रिगेट्स के नाम हैं- नीलगिरी, उदयगिरी, तारागिरी, हिमगिरी और दूनागिरी। अब छठां फ्रिगेट विंध्यगिरी लॉन्च हुआ है। इस युद्धपोत को नौसेना ने ही डिजाइन किया हैं। इसका डिस्प्लेसमेंट 6670 टन है। यह लगभग 48810 फीट लंबा है। इसका बीम 58।7 फीट है। इसमें दो मुख्य डीजल इंजन लगे हैं। इसके अलावा दो जनरल इलेक्ट्रिक के इंजन भी लगे हैं। यह इलेक्ट्रिक-डीजल युद्धपोत है जिसकी अधिकतम गति 59 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसमें ब्रहमोस मिसाइल भी तैनात किया गया हैं। इस युद्धपोत में आवश्यकतानुसार दो हेलीकॉप्टर भी तैनात हो सकते हैं। इसमें एन्टी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स भी लगे हैं तो दूसरी तरफ ऑटो मेलारा नौसैनिक गन से भी लैस है जो दुश्मन के जहाज या हेलीकॉप्टर पर हमला कर उसे तबाह कर सकती है।
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने भारत के छठे स्वदेशी युद्धपोत विंध्यागिरि के जरूरी लिए पूरे 4000 टन विशेष स्टील की आपूर्ति करके देश की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया है। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना द्वारा शुरू की गई परियोजना का हिस्सा है और इसका निर्माण मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा था। इस युद्धपोत का लांच भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा 17 अगस्त, 2023 को किया गया।
यह महत्वपूर्ण मील का पत्थर, देश के गौरव और उल्लास के प्रतीक आईएनएस विक्रांत की कमीशनिंग में सेल के उल्लेखनीय योगदान के बाद आया है, जिसमें सेल ने विमान वाहक पोत के निर्माण के लिए आवश्यक पूरे 30,000 टन स्पेशल स्टील प्रदान किया था। भारतीय नौसेना के दक्षिणी कमांड के नौसैनिकों ने अलग तरीके से आजादी का जश्न मनाया। लक्ष्यद्वीप के आसपास समंदर में तिरंगा लहराया गया। दक्षिणी कमांड ने ट्वीटर पर समंदर में तिरंगा फहराने का खूबसूरत वीडियो भी शेयर किया और लिखा, लक्षद्वीप में हर घर तिरंगा। वास्तव में एक गर्व का क्षण। आसमान से लेकर समंदर की गहराइयों तक तिरंगा हमारे दिल में बसता है। पानी के अंदर तिरंगा डेमो करते हुए भारतीय नौसेना के गोताखोरों का मनमोहक वीडियो। हमे गर्व से भर देता हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)