खरगे की टीम में संतुलन

कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव को विशेष रूप से फोकस करते हुए संगठन की नई टीम बनायी है। हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसी साल होने जा रहे राज्य विधानसभाओं के चुनाव पर भी विचार करते हुए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जहां खरगे के खिलाफ राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को जगह दी गयी तो वहीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखकर सचिन पायलट को शामिल किया गया। खरगे की टीम में सभी वर्गों और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। टीम में 39 सदस्यों के साथ 18 विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। इसके साथ ही कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों को प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस ने 13 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए हैं जिनमें अलका लाम्बा और पवन खेड़ा को भी शामिल किया गया है। समिति मंे 6 ओबीसी चेहरा हैं जबकि 9 अनुसूचित जाति से हैं। यह बदलाव कांग्रेस को नई ताकत दे सकता है क्योंकि शशि थरूर अपने को अलग-थलग समझने लगे थे और उनको सी डब्ल्यू सी में जगह मिलने की कतई उम्मीद नहीं थी। इसी तरह सचिन पायलट की निराशा भी किसी से छिपी नहीं रही थी, भले ही दिल्ली में अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने अपने-अपने शिकवे दूर होने की घोषणा की थी लेकिन सचिन पायलट को कुछ नहीं मिल पाया, यह सभी जानते थे। अब उनका ओहदा बढ़ाया गया है।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपनी टीम में बदलाव किया है और उसे बढ़ाया है। चुनावी रणनीति को लेकर तमाम तरह के फैसले लेने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) में हर तरह के समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है। जहां पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को कमेटी में शामिल किया गया है, वहीं गांधी परिवार के करीबियों का भी खास खयाल रखा गया है। वर्किंग कमेटी में युवा नेताओं की हिस्सेदारी से लेकर जातीय समीकरण को भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में जो बदलाव हुए हैं, उनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, पार्टी के युवा नेता और जमीनी तौर पर काम करने वाले नेताओं को साधा गया है। पार्टी अपनी इस नई और तमाम कॉम्बिनेशन वाली टीम के साथ 2024 के चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रही है। इसे कांग्रेस की नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का अहम रोल है।
कांग्रेस ने इसी साल छत्तीसगढ़ के रायपुर में अपना 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था, जिसमें पार्टी की स्टीयरिंग कमेटी के तमाम नेता पहुंचे थे। 24 से 26 फरवरी तक होने वाले इस अधिवेशन में तमाम विषयों पर चर्चा हुई। अधिवेशन के बाद बताया गया कि पार्टी में हर जाति और वर्ग के नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी जिसकी तस्वीर अब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में नजर आई है। इससे पहले पिछले साल उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में भी यही बात कही गई थी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को जगह देकर ये मैसेज दिया गया कि पार्टी में लोकतंत्र जिंदा है, साथ ही किसी भी बड़े नेता को नाराजगी दिखाने का मौका नहीं दिया गया। अब जातीय समीकरण की बात करें तो छह ओबीसी, नौ एससी और महेंद्रजीत मालवीय जैसे आदिवासी चेहरे को नई टीम में जगह दी गई है। पार्टी ने उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में दिए गए सुझावों पर मुहर लगाई, जिसमें कहा गया था कि कमेटी में 50 फीसदी नेता 50 साल की उम्र से कम और एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक होंगे।
कांग्रेस नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठाने वाले नाराज गुट को जी-23 ग्रुप के नाम से जाना जाता है, हालांकि पिछले कुछ महीनों से इसके तमाम नेताओं ने किसी भी तरह के बगावती सुर नहीं दिखाए हैं। कांग्रेस ने इस गुट के तमाम बड़े नेताओं को वर्किंग कमेटी में शामिल किया है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि पार्टी पिछले तमाम गिले-शिकवे मिटाकर नई शुरुआत करने की कोशिश कर रही है। इन नेताओं में आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक, शशि थरूर और वीरप्पा मोइली जैसे नाम शामिल हैं।
कुल 84 नेताओं की इस नई टीम में युवा नेताओं को भी खूब जगह मिली है। पार्टी ने राजस्थान चुनाव से ठीक पहले नाराज चल रहे युवा नेता सचिन पायलट को वर्किंग कमेटी में जगह दी है, वहीं बाकी युवा नेताओं में गौरव गोगोई, जितेंद्र सिंह, अलका लांबा, नासिर हुसैन, सुप्रिया श्रीनेत, यशोमति ठाकुर और प्रणिति शिदें जैसे नाम शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में बदलाव कर कई तरह के समीकरण साधने का काम किया, इस पावर कमेटी में उन तमाम नेताओं को शामिल किया गया है, जो पार्टी में पिछले लंबे समय से नाराज चल रहे थे या फिर किनारे लगा दिए गए थे। राहुल गांधी के खास माने जाने वाले कुछ युवा नेताओं को भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में जगह दी गई है, वहीं आनंद शर्मा जैसे नेताओं को भी पार्टी ने अपने सबसे बड़े पैनल में शामिल किया है। शर्मा कांग्रेस के उस जी-23 ग्रुप का हिस्सा रहे हैं, जिसने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुलकर सवाल उठाए थे। हालांकि खरगे के अध्यक्ष बनने के साथ ही ये तमाम नेता शांत हो गए।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हुए बदलावों में दो बदलाव काफी साफ दिख रहे हैं, पहला तो उन नेताओं को जगह मिली है जो गांधी परिवार के वफादार माने जाते हैं, वहीं जिन नेताओं को पार्टी ने कोई बड़ा पद नहीं दिया है या राज्यसभा सीट नहीं दे पाई, उन्हें अब कमेटी में जगह देकर मनाने की कोशिश की गई है। पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने वाले खेमे के नेताओं को भी कमेटी में रखा गया है। कर्नाटक के पूर्व सीएम वीरप्पा मोइली, जिन्हें लंबे समय से पार्टी ने किनारे कर दिया था, उन्हें भी कमेटी में शामिल किया गया है। कांग्रेस के ग्रुप-23 के नेता मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक, शशि थरूर और आनंद शर्मा को भी सीडब्ल्यूसी में जगह दी गई है। इसे कांग्रेस की एक नई शुरुआत माना जा रहा है। जिससे सभी मतभेदों को भुलाकर आने वाले चुनावों में एकजुट होकर आगे बढ़ा जाए। इस पूरी रणनीति में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अहम भूमिका रही है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)