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चंद्रयान-3 भारत के लिए व्यापक वैश्विक तालमेल को आकर्षित कर रहा है: डॉ. जितेंद्र सिंह

नयी दिल्ली। केंद्रीय परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग आकर्षित कर रहा है। डॉ. सिंह ने सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और नवाचार (एमआईटीसीआई) मंत्री दर्शनानंद दीपक बालगोबिन के नेतृत्व में आए मॉरीशस के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। मॉरीशस के प्रतिनिधिमंडल ने भारत-मॉरीशस संयुक्त उपग्रह के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए यहां उनसे (डॉ. सिंह)मुलाकात की। भारत और मॉरीशस तीसरे पक्ष के मिशनों को सहायता प्रदान करने के लिए मॉरीशस में भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के ग्राउंड स्टेशन का उपयोग करने पर भी सहमत हुए हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करके भारत ने दुनिया के अन्य देशों के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में एक समान भागीदार के रूप में सहयोग करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।
श्री बालगोबिन ने इससे पहले 17 अगस्त को बेंगलुरु में इसरो के केंद्र का दौरा किया था। इसरो ने मंत्री को प्रस्तावित भारत-मॉरीशस संयुक्त उपग्रह के तकनीकी विवरण और अनुप्रयोग क्षमताएं प्रस्तुत कीं। दोनों मंत्री यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी सहित तीसरे पक्ष के मिशनों को शामिल करने के लिए मॉरीशस में स्थापित इसरो के ग्राउंड स्टेशन का दायरा बढ़ाने पर सहमत हुए और इस तरह के सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए मौजूदा समझौता ज्ञापन में संशोधन पर हस्ताक्षर करने की योजना है। मॉरीशस ने तीन दशकों से अधिक समय से उपग्रह और प्रक्षेपण वाहनों पर नजर रखने के लिए इसरो के ग्राउंड स्टेशन की मेजबानी की है और वर्तमान में यह ग्राउंड स्टेशन मॉरीशस में संचालित दो एंटेना (11 मीटर व्यास के) के साथ लगातार संचालित होता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत ने 1999 में रिमोट सेंसिंग सेंटर की स्थापना करके और मॉरीशस क्षेत्र से संबंधित उपग्रह डेटा प्रदान करके मॉरीशस का समर्थन किया है तथा मॉरीशस के अधिकारियों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों पर भारतीय संस्थानों द्वारा पेश किए गए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों से लाभ हुआ है। डॉ. सिंह और श्री बालगोबिन ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह डेटा साझा करना, मॉरीशस से संबंधित उपग्रह डेटा, भू-स्थानिक परतों और मूल्य वर्धित सेवाओं के साथ एक श्भारत-मॉरीशस अंतरिक्ष पोर्टल विकसित करना, अंतरिक्ष उद्योग स्तर पर सहयोग के लिए चर्चा शुरू करना जैसे अंतरिक्ष सहयोग के मुद्दे पर चर्चा की।

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