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भारत की नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाएं 500 गीगावॉट से अधिक हो सकती हैं : अजय माथुर

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के महानिदेशक अजय माथुर ने कहा कि 2025 तक बैटरी की कीमतों में अनुमानित गिरावट के चलते भारत न केवल 2030 तक 500-गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तैयार है बल्कि वह इससे आगे भी निकल जाएगा। माथुर ने ने कहा कि वैश्विक जलवायु वित्त वितरण विषम बना हुआ है और बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार तथा नवीकरणीय ऊर्जा निवेश को सुविधाजनक बनाना भारत की जी20 अध्यक्षता के प्राथमिकता वाले क्षेत्र रहे हैं। माथुर जलवायु परिवर्तन पर भारतीय प्रधानमंत्री की परिषद के सदस्य भी रहे हैं। जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने आईएसए को एक अतिथि अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में आमंत्रित किया है। माथुर ने कहा कि 2025 तक बैटरी की कीमतों में गिरावट से सौर प्लस बैटरी समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साकार किया जा सकता है, जो 2021 ग्लासगो जलवायु वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा व्यक्त की गई पांच प्रतिबद्धताओं में से एक है। माथुर ने कहा, ‘‘ यदि आप दिन के दौरान 500 गीगावाट लगा रहे हैं, तो आप यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत महंगा भंडारण भी स्थापित कर रहे हैं कि आप इसका उपयोग रात में भी कर सकें। अब महंगे भंडारण का मतलब है कि आप और मैं बिजली के लिए हमारी क्षमता से अधिक कीमत चुकाते हैं। ऐसे देश में जो पहले से ही बिजली के लिए तरस रहे हैं, ऐसे देश में जहां बिजली के लिए भुगतान करने की क्षमता सीमित है, वहां ऐसे भविष्य की कल्पना करना जहां अधिक महंगी बिजली उपलब्ध होगी, सही नहीं लगता।’’
उन्होंने कहा, यदि बैटरी की कीमतें गिरेंगी तो संभव है कि भविष्य में ऐसा हो सकता है। आईएसए के पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि यह इस साल या 2024 या 2025 में होगा। यदि ऐसा होता है, तो सोलर प्लस बैटरियां ऊर्जा का पसंदीदा स्रोत बन जाएंगी क्योंकि वे सबसे सस्ती हैं। उस स्थिति में भारत न केवल 500 गीगावाट हासिल करेगा, बल्कि इस लक्ष्य से भी आगे निकल जाएगा।

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