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सत्येंद्र जैन की अंतरिम जमानत पर सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को किया अलग

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पी के मिश्रा ने धनशोधन के मामले में दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले वर्ष 30 मई को जैन को गिरफ्तर किया था। जैन पर उनसे जुड़ी चार कंपनी के जरिए धनशोधन करने के आरोप हैं। मामला जब सुनवाई के लिए न्यायाधीश ए एस बोपन्ना की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष आया तो उन्होंने जैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि पीठ मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति बोपन्ना ने कहा,‘‘ हम इस मामले पर इस पीठ के समक्ष सुनवाई करने में असमर्थ हैं।’’ पीठ ने मामले को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया ताकि किसी पीठ के पास पुनर्निधारण के उचित आदेश मिल सकें। न्यायमूर्ति बोपन्ना ने कहा, ‘‘ किसी ऐसी पीठ के समक्ष पेश करने के आदेश प्रधान न्यायाधीश से प्राप्त कीजिए,जिसमें हममें से एक (न्यायमूर्ति मिश्रा) उसका हिस्सा नहीं हों।’’ आरंभ में सिंघवी ने अनुरोध किया कि मामले को सुनवाई के लिए थोड़ा समय दिए जाने की जरूरत है और उन्हें बहस के लिए कम से कम एक घंटे चाहिए।
उन्होंने पीठ से मामले को किसी भी मंगलवार के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। पीठ ने निर्देश दिया कि जैन की जमानत संबंधी अंतरिम आदेश की अवधि 12 सितंबर तक बढ़ाई जाए। इस मामले में अब अगली सुनवाई 12सितंबर को होगी। इससे पहले 25 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन के मामले में जैन की अंतरिम जमानत एक सितंबर तक बढ़ा दी थी।

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